नक्सलियों के खिलाफ कई सफल ऑपरेशन चलाने वाले IPS अधिकारी समीर सौरभ के कंधो पर संवेदनशील जिले बालाघाट की सुरक्षा का भार है. जिले के SP समीर सौरभ ने का ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है. वे खासकर नक्सलियों को घुटने पर लाने के लिए जाने जाते हैं. झारखंड के छोटे से शहर हजारीबाग से निकलकर उन्होंने साल 2016 में सिविल सर्विस की परीक्षा क्रैक की. इसके बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
झारखंड के हज़ारीबाग़ में जन्मे और पले-बढ़े समीर सौरभ ने सिविल सर्विस से पहले एनआईटी त्रिची से उच्च शिक्षा हासिल की. बीटेक करने के बाद मुंबई में एक निजी कंपनी में काम भी किया लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा. इसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी की और फिर 2016 में इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता हासिल की. साल 2018 में उज्जैन के महाकाल संभाग में, 2019 में ग्वालियर में, 2020 में छतरपुर में और फिर 2021 में सागर जिले में बतौर पुलिस अधीक्षक अपनी सेवाएं दी..जनवरी 2022 में समीर सौरभ ने बालाघाट के पुलिस अधीक्षक के रूप में पदभार संभाला.
तब समीर के सामने नक्सलियों से लड़ने की बड़ी चुनौती थी. बीते एक साल में उन्होंने इलाके में कई सफल ऑपरेशन चलाए. जिसके परिणामस्वरूप न केवल प्रमुख नक्सली नेताओं का सफाया हुआ बल्कि अवैध हथियारों की महत्वपूर्ण बरामदगी हुई.
भविष्य की संभावनाओं.
चूंकि, समीर सौरभ बालाघाट के पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत हैं, वे जिले में नक्सली गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाने के बाद अब सुरक्षा को और मजबूत करने की मुहिम में लगे हुए हैं. साथ ही जनता में पुलिस का विश्वास बहाल हो ये भी उनकी प्राथमिकता में है.