अबोध बच्चे जिन्हें बेसहारा छोड़ दिया जाता है उन पर लावारिश होने का दाग लग जाता है. ऐसे बच्चों के लिए मातृछाया मददगार साबित हो रही है. यह संस्था बच्चों को अपने पास रखकर बचपन में उन्हें माता-पिता जैसा प्यार देती है और फिर सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथार्टी (CARA) तथा महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) की सहायता से बच्चों का दत्तक ग्रहण करवाती है. सतना में संचालित मातृछाया ने पिछले दस साल के अंदर लगभग 179 बच्चों को माता-पिता की गोद दिलाने का काम किया. इसमें से करीब 17 बच्चे हैं, जिन्हें NRI या फिर विदेशी अभिभावकों ने ग्रहण किया है.