
Rajiv Gandhi Kisan Nyay Yojana: राजीव गांधी किसान न्याय योजना. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. भूपेश बघेल सरकार में किसानों को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से इस योजना का आरंभ किया गया था. इस योजना के तहत खरीफ फसलों, उद्यानिकी फसलों के उत्पादक कृषकों को प्रतिवर्ष 9 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी दी जाती है. धान के बदले अन्य फसल अथवा वृक्षारोपण करने पर 10 हजार रुपये प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी दी जा रही है. वृक्षारोपण करने वाले किसानों को यह इनपुट सब्सिडी तीन साल तक दी जाती है. बीते दो सालों में राज्य के लगभग 22 लाख किसानों को 12,920 करोड़ रुपये की इनपुट सब्सिडी दी गई है.
बता दें कि राज्य में कुल किसानों की संख्या करीब 2276379 है. इसके अलावा राज्य में करीब कुल 20911 ग्राम हैं. सरकार ने राज्य के किसानों को इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए विशेष पोर्टल भी बनाया हुआ है. इस पोर्टल पर कृषकों के लिए आसान एवं सुगम पंजीयन की व्यवस्था की गई है. सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए एक ही बार कृषक पंजीयन करना होगा. इससे सभी योजनाओं के क्रियान्वयन, प्रबंधन एवं पर्यवेक्षण में आसानी होती है. इसके अलावा योजना से संबंधिक सटीक एवं त्वरित डाटा की प्राप्ति होती है. साथ ही वास्तविक लाभार्थी को फायदा होता है और दोहराव से बचत हो जाती है.
पंजीयन की पात्रता समझें
सरकारी वेबसाइट के अनुसार समस्त श्रेणी के भू-स्वामी एवं वन पट्टाधारी कृषक को पोर्टल में पंजीयन की पात्रता होती है. मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजनान्तर्गत वन पट्टा धारक, ग्राम पंचायत एवं संयुक्त वन प्रबंधन समिति जो अपने उपलब्ध भूमि में वृक्षारोपण करते हैं, उन्हें पोर्टल में पंजीयन की पात्रता होती है.
योजना का लाभ लेने के लिए पंजीयन की प्रक्रिया इस प्रकार है -
- कृषक को राजीव गांधी किसान न्याय योजना, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना, धान एवं मक्का उपार्जन तथा कोदो, कुटकी एवं रागी उर्पाजन योजना का लाभ लेने हेतु इन योजनाओं के दिशा-निर्देश अनुसार पात्र कृषक को निर्धारित समयावधि में एकीकृत किसान पोर्टल (https://kisan.cg.nic.in) पर पंजीयन कराना अनिवार्य होता है.
- आवेदन स्वीकृत/अस्वीकृत होने की जानकारी कृषक को दी जाती है. पंजीयन उपरांत प्रत्येक कृषक को एक यूनिक आईडी दी जात है.
- संयुक्त खातेदार कृषकों का पंजीयन नंबरदार के नाम से अथवा समस्त खाता धारकों द्वारा नामित व्यक्ति के नाम से अथवा सभी खातेदारों की सहमति से हिस्सेदारी अनुसार अलग-अलग किया जाता है. इस के लिए संबंधित कृषकों को आवेदन पत्र के साथ समस्त खाताधारकों की सहमति सह स्वघोषणा पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है.
- संस्थागत/रेगहा/बटाईदार/लीज/डुबान क्षेत्र के कृषकों का पंजीयन खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत् किया जाता है. इसके लिए पोर्टल में पृथक से लिंक दिया गया है.
- पोर्टल में खरीफ मौसम की कृषि फसल, उद्यानिकी फसल तथा वृक्षारोपण करने वाले कृषको का पंजीयन किया जाता है. खरीफ 2020 में धान उपार्जन हेतु पंजीकृत/विक्रय कए गए रकबा पर ही धान के बदले सुगंधित धान, फोर्टिफाइड धान, कृषि फसल, उद्यानिकी फसल एवं वृक्षारोपण करने वाले कृषकों का पंजीयन किया जाता है.
- कुल धारित रकबे के अधीन बोये गये समस्त फसल हेतु कृषक को ग्रामवार आवेदन करना होता है. कृषक को बोए गए फसल के रकबे की जानकारी खसरावार देनी होती है. यदि कृषक द्वारा कृषि भूमि का क्रय/विक्रय किया जाता है तो गिरदावरी की अंतिम तिथि तक भूइया पोर्टल में प्रदर्शित कुल रकबा के अधीन संबंधित कृषक की पात्रता निधारित की जाती है.
- संबंधित मौसम में भुंइया पोर्टल में संधारित गिरदावरी के आंकड़े तथा कृषक के आवेदन में अंकित फसल व रकबे, में से न्यूनतम फसल व रकबे को विभिन्न योजनाओं हेतु मान्य की जाती है.
- पंजीकृत किसानों के डेटाबेस को आगामी वर्षों में उपयोग हेतु कैरी फॉरवर्ड किया जाता है. कृषक जो, गतवर्ष के पंजीकृत डेटा में संशोधन नहीं कराना चाहते हैं उन्हें चालू वर्ष में पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं होती है. किन्तु यदि पूर्व में पंजीकृत कृषक किसी कारण से पंजीयन में संशोधन कराना चाहते हैं, तो निर्धारित प्रपत्र में आवेदन कर संशोधन करा सकते हैं.
- प्रमाणित बीज उत्पादन कार्यक्रम में भाग लेने वाले कृषकों को राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के साथ-साथ राजीव गाँधी किसान न्याय योजना में अनिवार्य रुप से पंजीयन कराना होता है. पोर्टल में पंजीयन हेतु कृषक को आवेदन के साथ आधार नंबर अनिवार्य रूप से देना होता है.
- लाभार्थी कृषकों से आधार नंबर उनकी सहमति से प्राप्त किया जाता है. यदि किसी कृषक के पास आधार नंबर नहीं है, तो मैदानी अमलों के द्वारा ऐसे कृषकों को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में पंजीयन हेतु प्रोत्साहित किया जाता है.
- आधार नंबरों की गोपनीयता सुनिश्चित की जाती है.
- पोर्टल में डूप्लीकेसी को रोकने के लिए आधार नंबर को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से सत्यापन किया जाता है तथा वास्तविक हितग्राही को ही लाभान्वित करने हेतु कृषकों के बैंक विवरण से सत्यापन कराया जाता है.
- कृषि फसल लगाने वाले कृषक के आवेदन का परीक्षण व सत्यापन ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा किया जाएगा. किन्तु यदि कोई कृषक उद्यानिकी फसल/वृक्षारोपण करता है अथवा कृषि फसल के साथ उद्यानिकी अथवा वृक्षारोपण करता है तो ऐसे कृषकों के आवेदन का परीक्षण व सत्यापन ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी अथवा ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी में से किसी एक द्वारा किया जाता है.
- पोर्टल पर कृषक के आवेदन का ऑनलाइन सत्यापन ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी/ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी को अनिवार्य रूप से करना होगा, तत्पश्चात् ही कृषक का पंजीयन संबंधित सहकारी समिति द्वारा किया जा सकेगा.
- फसल के रकबा निर्धारण हेतु भुंइया पोर्टल में संधारित भूमि/गिरदावरी के आंकड़ों को ही अधिकृत रुप से उपयोग किया जाता है.
- सभी फसलों का कृषकवार, खसरावार, बोए गए फसल के क्षेत्राच्छादन की जानकारी राजस्व विभाग द्वारा गिरदावरी के माध्यम से संकलित की जाती है.
- गिरदावरी के आंकड़ों में त्रुटि/भिन्नता होने पर प्रचलित निर्देश एवं प्रक्रिया के अनुसार राजस्व विभाग द्वारा सुधारात्मक कार्यवाही की जाती है.
- पोर्टल में प्रदर्शित प्रक्रिया के अनुसार सर्व संबंधितों द्वारा सत्यापन/पंजीयन की कार्यवाही की जाती है.