आधुनिक युग में गांव शहर की तरफ बढ़ रहा है. इन सबके बावजूद अभी भी शहर में गांव में ज़िंदा हैं. कुछ ऐसी मान्यताएं या प्रथाएं भी लोगों के लिए प्रासंगिक हैं. आज हम आपको छत्तीसगढ़ के सूरजपुर की एक मान्यता के बारे में बताने जा रहे हैं. मान्यता के अनुसार, आदिवासी बहुल क्षेत्र के घरों में गोबर की मदद से सुरक्षा घेरा बनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि ये अकाशीय बिजली से रक्षा करता है. यहां के सभी ग्रामीण अपने घरों में इस मान्यता का अनुपालन करते हैं.
क्या है इन गोबर की रेखाओं की मान्यता
ग्रामीण इलाको मे आपने देखा होगा कि आकाशीय बिजली कि चपेट मे आने वाले लोगों को गोबर से लेप लगा दिया जाता है. यह केवल ग्रामीण इलाको मे ही अक्सर होता है. यहां तक की जिन स्थानो पर गोबर का भंडार किया जाता है, वहां माना जाता है कि आकाशीय बिजली नहीं गिरती है. बारिश होने के बाद लोग खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं.
घरों में होते है शुभकार्य
ग्रामीण इलाकों में गोबर की बेहद अहमियत होती है, जहां आज भी किसी भी शुभकार्य मे आंगन को गोबर से लिपा जाता है. ऐसे में घरों के बाहर भी सुरक्षा घेरा लगा दिया जाता है. ग्रामीणों का मानना है कि इससे घर सुरक्षित रहता है. गोबर के लेप से अकाशीय बिजली से राहत तो मिलती ही है, साथ ही साथ सांप बिच्छु से भी राहत मिलती है. कीड़े-मकोड़े घर के अंदर नहीं आते हैं.
कोलियारी गांव के अमरेश कुमार बताते हैं की आज के युग में नई पीढ़ी अब प्राचीन परम्पराओं से दूर है,, ऐसे में शहरीकरण की ओर बढ़ रहे गांवो से ये परंपरा विलुप्त हो चुके और अंदरूनी ग्रामीण इलाकों के चंद गांव में ही यह परंपरा कायम हैं.