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This Article is From Aug 17, 2023

भूपेश सरकार के खिलाफ तेवर दिखाने वाले पूर्व IAS ओपी चौधरी का BJP ने क्यों काटा टिकट?

इतना ही नहीं बीजेपी के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के आला नेताओं की गुड बुक में भी ओपी चौधरी का नाम शामिल है. इसका ही नतीजा है कि ओपी चौधरी को प्रदेश भाजपा संगठन में महामंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. 

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भूपेश सरकार के खिलाफ तेवर दिखाने वाले पूर्व IAS ओपी चौधरी का BJP ने क्यों काटा टिकट?

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने साल 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ के जिन 21 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें से एक हाई प्रोफाइल सीट खरसिया भी शामिल है. कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट मानी जाने वाली खरसिया से बीजेपी ने इस बार मनोज साहू को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी द्वारा चुनाव के ऐलान से पहले ही प्रत्याशियों की पहली सूचि जारी होना चर्चा का विषय तो बना ही है, लेकिन इसके साथ ही एक बड़ी चर्चा यह भी है कि आखिर खरसिया सीट से पूर्व आईएएस व मुखर युवा नेता ओम प्रकाश (ओपी) चौधरी का टिकट क्यों काटा गया. 

छत्तीसगढ़ में 15 सालों की सत्ता के बाद साल 2018 में बीजेपी को बुरी हार का सामना करना पड़ा. 90 सीटों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में सिर्फ 15 सीटों पर ही बीजेपी को जीत मिली. इस बुरी हार के बाद बीजेपी का एक बड़ा धड़ा कांग्रेस सरकार के खिलाफ शुरुआती करीब साढ़े 3 सालों तक लगभग शांत ही रहा. लेकिन इसके विपरित युवा नेता के तौर पर ओपी चौधरी ने राज्य की भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ तीखे तेवर दिखाते रहे. सरकारी सोसायटियों से किसानों को अघोषित रूप से जैविक खाद खरिदने की अनिवार्यता का मुद्दा भी ओपी चौधरी ने ही उठाया. इतना ही नहीं सरकारी नौकरियों की भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी, कथित शराब घोटाला समेत तमाम मुद्दों पर ओपी चौधरी सोशल मीडिया पर एक्टिव तो रहते ही हैं. इसके अलावा जमीन पर आंदोलनों में भी प्रमुखता से हिस्सा लेते हैं.

बीजेपी के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के आला नेताओं की गुड बुक में भी ओपी चौधरी का नाम शामिल है. इसका ही नतीजा है कि ओपी चौधरी को प्रदेश भाजपा संगठन में महामंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर ओपी चौधरी का टिकट क्यों काट दिया गया.


उमेश पटेल से मिली थी हार

बता दें कि साल 2018 में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही रायपुर कलेक्टर रहते हुए ही आईएएस से त्यागपत्र दिया और फिर बीजेपी में शामिल हो गए. पार्टी ने उन्हें उनके ही गांव वाले विधानसभा क्षेत्र खरसिया से प्रत्याशी बनाया. पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और खरसिया से लगातार 22 साल तक विधायक रहे स्वर्गीय नंद कुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल से ओपी चौधरी को हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में उमेश पटेल को 22 हजार 823 वोट मिले. जबकि ओपी चौधरी को 18 हजार 300 वोट.

अब 2023 चुनाव के लिए इस सीट से मनोज साहू को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है. चर्चा है कि खरसिया में इस बार भी कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत है. ऐसे में ओपी चौधरी फिर से बड़ा रिश्क नहीं लेना चाहते थे. बता दें कि पिछले करीब एक साल से राजनीतिक तौर पर ओपी चौधरी खरसिया से ज्यादा रायगढ़ जिले की ही एक अन्य सामान्य विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. बताया जा रहा है कि इसी सीट से ओपी चौधरी को बीजेपी प्रत्याशी बना सकती है.

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