विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Jul 27, 2023

'व्यापम के नटवरलाल' हर मोर्चे पर सरकार को यूं देते रहे हैं मात ! आगे क्या होगा?

व्यापम घोटाला...जिसे देश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला कहा जा सकता है. उसकी कहानी शुरू होती है साल 2007 से. तब से लेकर अब तक सरकार इन घोटालेबाजों को पकड़ने के साथ-साथ परीक्षा के सिस्टम में भी लगातार सुधार कर रही है. लेकिन ये नटरवाल हर बार कोई न कोई नई जुगत निकाल लेते हैं और घोटालों को अंजाम दे देते हैं. अब देखना होगा कि सरकार इस पर अगला क्या कदम उठाती है?

Read Time: 12 min
'व्यापम के नटवरलाल' हर मोर्चे पर सरकार को यूं देते रहे हैं मात ! आगे क्या होगा?

मध्यप्रदेश को देश का दिल कहा जाता है...लेकिन इस दिल पर व्यापम या यूं कहें व्यावसायिक परीक्षा मंडल का ऐसा धब्बा लगा है जो लाख कोशिशों के बावजूद साफ नहीं होता. यहां तक सरकार ने इसका नाम बदलकर पहले पीईबी यानि प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड किया और फिर कर्मचारी चयन मंडल कर दिया लेकिन न तो इसमें करप्शन कम हुआ और न ही नौजवानों का भविष्य की सुधरा. इसमें हुए घोटालों की जांच के लिए कई एजेंसियों को लगाया गया...मसलन- मध्य प्रदेश पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो और केन्द्रीय जांच ब्यूरो. लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही रहा. बहरहाल आपने व्यापम और व्यापम-2 की चर्चा सुनी होगी लेकिन इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे इसके 2 नहीं 3 भाग हैं. इस रिपोर्ट से आपको पता चलेगा कि व्यापम के नटवरलाल कैसे हर बार सरकार की हर कोशिश पर भारी पड़ते रहे हैं. 

व्यापम पार्ट -1: फैक्स मशीन ने राज़ खोले, किरदार नहीं

व्यापम की कहानी 2013 नहीं, 2007 से शुरू होती है. उस वक्त भी सवालों के घेरे में आई थी पटवारी की परीक्षा. व्यापम ने इस परीक्षा को आयोजित किया था. लेकिन परीक्षा से 2 दिन पहले नटवरलालों ने खेल कर दिया. हुआ यूं कि भोपाल से एक फैक्स शिवपुरी गया, इस फैक्स में परीक्षा का पर्चा भेजा गया था. बाद में जब परीक्षा में गड़बड़ी का पता चला तो सीबीआई जांच कराई गई. इस जांच में जिन दुकानों से फैक्स किया गया और जिसे फैक्स मिला उसका पता तो लग गया लेकिन उस वक्त सीसीटीवी का जाल नहीं था जिससे असल आरोपी पकड़े नहीं गये.

इसके बाद साल 2009 में मध्यप्रदेश में जूनियर डेटा एंट्री ऑपरेटर के 120 पदों के लिये भर्ती परीक्षा हुई. 8-10,000 की तनख्वाह के लिये 2 लाख रु. में सीट का सौदा हुआ लेकिन भोपाल में शाहपुरा थाने में जो पहली कार्रवाई की उससे व्यापम के पहले पार्ट के तार खुलने लगे.

दरअसल पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी जिसके आधार पर उसने भोपाल के मिसरोद इलाके के एक स्कूल में छापा मारा. पुलिस ने प्रश्नपत्र को हल कराते हुए 6 सॉल्वरों के साथ 92 उम्मीदवारों को पकड़ा. हालांकि इस दौरान पुलिस के एक आला अधिकारी की सूझबूझ ने इन 92 उम्मीदवारों के भविष्य को बचा लिया. पुलिस ने उन्हें गवाह बना दिया और वे बरी हो गए. 

तब जांच में क्या निकला था ? 

गवाह बने छात्रों ने बताया कि उन्हें 25,000 रु. के बदले प्रश्न पत्र दिया गया लेकिन उनकी ऑरिजनल मॉर्कशीट आरोपियों ने अपने पास रख ली.  75,000 रु. प्रश्न पत्र मिलान के बाद देना तय हुआ और नतीजा मिलने के बाद उम्मीदवारों को 1 लाख रु. और देना था. पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया और व्यापम के तत्कालीन अधिकारियों को सूचना दी. लेकिन व्यापम ने टका सा जवाब दिया कि परीक्षा शुरू होने से पहले प्रश्नपत्रों के मिलान का प्रावधान नहीं है. अगले दिन उम्मीदवारों से मिले प्रश्नपत्र का 100 फीसद मिलान परीक्षा में मिले प्रश्नपत्र से हो गया. बाद में सीबीआई उस प्रेस तक पहुंची जहां से प्रश्नपत्र की छपाई हुई थी लेकिन वहां के इंतज़ाम चाक चौबंद थे. कुल मिलाकर प्रश्नपत्र कैसे लीक हुआ इसकी जांच का नतीजा सिफर रहा.

9mo395ao

मध्यप्रदेश के व्यापम पर कई सारे सवाल हैं जो सालों से जवाब की तलाश कर रहे हैं.

परीक्षा में चोरी के लिए RTI का इस्तेमाल !

इतना होने के बावजूद व्यापम तो नहीं सुधरा लेकिन आरोपी बहुत सुधर गये. वो समझ चुके थे कि उनके फोन टैप हो रहे हैं और ई-मेल खंगाले जा रहे हैं लिहाजा उन्होंने नया रास्ता निकाला. वो रास्ता था सूचना के अधिकार का इस्तेमाल का. इस तरीके में उम्मीदवार अपनी पूरी ओएमआर शीट खाली छोड़ देते थे, नतीजा आने के बाद उत्तर पुस्तिका देखने के नाम पर आरटीआई से अपनी ओएमआर शीट निकालते थे. इसके बाद उसमें पेंसिल से सही जवाब में गोला लगा देते थे. बाद में कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से कंप्यूटर में ही खाली ओएमआर शीट का पुराना रिकॉर्ड मिटाकर दुबारा भरे ओएमआर का रिकॉर्ड डाला जाता था. लेकिन जब सीबीआई ने जांच की तो सच्चाई सामने आ गई. इस बार फॉरेस्ट गार्ड, पुलिस और ट्रांसपोर्ट जैसी परीक्षाएं सवालों के घेरे में थीं.

व्यापम पार्ट टू - 18 लाख चेहरों से कैसे हटा 308 का नकाब

ये व्यापम का वो दाग है जिससे मध्यप्रदेश कभी पीछा नहीं छुड़ा पाया. MBBS जैसे पाठ्यक्रमों के अलावा 14 परीक्षाओं पर गंभीर सवाल उठे. इसमें एक बार फिर आरोपियों ने एजेंसियों को तू डाल-डाल, मैं पात-पात की तर्ज पर छकाया. इस बार उन्होंने तरकश से सॉल्वर के तीर और तकनीक दोनों का सहारा लिया.

दरअसल तब व्यापम के दो अहम किरदार थे. पहला नितिन महिंद्रा जो सिस्टम एनालिस्ट था और दूसरा सीके मिश्रा जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर था. दोनों के पास मेन सर्वर का एकसेस था. जिसके बूते वे रोल नंबर एलॉट करते थे.

तब एक सॉल्वर दो उम्मीदवारों की मदद करता था - एक वो जिसके एडमिट कार्ड पर सॉल्वर की तस्वीर लगाई जाती थी दूसरा सॉल्वर के बगल में भी उसी उम्मीदवार को बिठाया जाता था जिसकी सेटिंग हो. यहां भी व्यवस्था को धता बताकर उसे एक ही सेट का प्रश्नपत्र दिया जाता था ताकि सॉल्वर उसको भी चोरी करवा सके. इस मामले की जांच में सीबीआई को भी इंटरपोल और एफबीआई तक की मदद लेनी पड़ी थी. दरअसल रिकॉर्ड में वो चेहरे थे ही नहीं जिनकी तस्वीर एडमिट कार्ड में चिपकाई गई थी. लाखों तस्वीरों में से संदिग्धों की पहचान भूसे के ढेर से सुई निकालने जैसा काम था. सीबीआई को 308 संदिग्धों की पहचान मॉर्फ तस्वीरों से करनी थी जिसे बेहद शातिराना तरीके से यूपी में बैठे घोटालेबाजों ने बनाया था. फोटो का ऊपरी हिस्सा असली उम्मीदवार, नीचे सॉल्वर का था जिससे निरीक्षक को चेहरा देखने पर शक़ ना हो.

असली उम्मीदवार भी नहीं जानते कौन दे रहा है परीक्षा ?

असली उम्मीदवारों को भी ये पता नहीं होता था कि उनके बदले किसने परीक्षा दी? ऐसे में उनसे पूछताछ से कोई नतीजा नहीं निकला. सीबीआई ने UIDAI से मदद मांगी, लेकिन गोपनीयता का हवाला देकर जानकारी साझा नहीं की गई, फिर देश भर के कोचिंग संस्थानों से 6 साल तक पीएमटी परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की जानकारी जुटाई गई. जानकारी मिल भी गई लेकिन वो तादाद थी लगभग 18 लाख. सीबीआई के लिये रास्ता बंद था क्योंकि इनाम के ऐलान के बाद भी किसी की पहचान नहीं हुई, हैदराबाद की एक प्राइवेट एजेंसी ने इन तस्वीरों की पहचान के लिये 6 करोड़ रु. मांगे. हालांकि बाद में रास्ता खुला हैदराबाद से ही. वहां पुलिस के पास मौजूद अपराधियों की पहचान के लिए एक सॉफ्टवेयर से  25-30 आरोपियों के चेहरे से नकाब हटा. जिसकी सहायता से पुलिस ने बाकी आरोपियों को भी बेनकाब कर दिया.  

व्यापम 3 - बीजेपी विधायक का कॉलेज कनेक्शन

2021 में कृषि विभाग की दो परीक्षाएं में फर्जीवाड़े की रिपोर्ट एनडीटीवी ने दिखाई जो दस्तावेज हमें मिले उससे पता लगा कि शीर्ष 10 स्थान पर काबिज उम्मीदवार एक ही कॉलेज से बीएससी हैं. इन्हें परीक्षा में एक जैसे अंक मिले हैं. इनके प्रश्न पत्र में गलतियां भी एक जैसी हैं. सारे 10 छात्र चंबल क्षेत्र के हैं.

व्यापमं ने 10-11 फरवरी को ये परीक्षा आयोजित की थी, 17 फरवरी को आंसर शीट जारी हुई. जनरल नॉलेज की परीक्षा में सभी 10 छात्रों को एक जैसे अंक मिले. इन छात्रों ने जिन सवालों के गलत उत्तर दिये वो भी एक जैसे थे.

वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पर्चे में 200 अंक के 200 सवाल थे जिसमें 100 कृषि और फिर सीसैट के थे जिसमें सामान्य ज्ञान, गणित, अंग्रेज़ी जैसे सवाल थे. बाद भारी विरोध होने पर भर्ती परीक्षा निरस्त हुई, जांच में पता लगा कि प्रश्नपत्र किसी अनाधिकृत कंप्यूटर से डाउनलोड किया गया था.

टॉप 10 के 7 उम्मीदवार एक ही कॉलेज के

इसी कड़ी में 2 साल बाद फिर हमारे साथ जो दस्तावेज लगे उससे व्यापम का जिन्न बाहर आ गया, व्यापम का नाम अब कर्मचारी चयन मंडल हो चुका है लेकिन 2023 में जो ग्रुप-2 और पटवारी भर्ती परीक्षा आयोजित की गई उसमें भी टॉप-10 में 7 उम्मीदवार जिस कॉलेज में बैठकर परीक्षा दे रहे थे वो ग्वालियर का था, ये कॉलेज बीएसपी से बीजेपी में शामिल हुए विधायक विधायक संजीव कुशवाहा का है. इस एक परीक्षा केन्द्र से 114 लोगों का चयन हुआ. इस कॉलेज का नाम है एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट. जो टॉपर NRI कॉलेज से हैं उनका रोल नंबर 2488 7991 से 2488 9693 के बीच है, 5 उम्मीदवारों ने हस्ताक्षर की जगह हिंदी में नाम लिखा है, जबकि परीक्षा अंग्रेजी में दी है, सातों को 200 में 174.88 - 183.36 के बीच में नंबर मिले हैं. बाद में आरोप लगने पर  कुशवाहा ने सफाई में कहा कि उनका कॉलेज सिर्फ कंप्यूटर देता है इसके अलावा उनकी कोई भूमिका नहीं.

सरकार की सफाई में भी है झोल

बता दें कि ग्रुप-2 (सब ग्रुप-4) के लिये 13 शहरों में ऑनलाइन परीक्षा हुई थी, इसके लिए 12.79 लाख आवेदन आए थे। इनमें से 9.78 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। रिजल्ट 30 जून को आया. टॉप-10 उम्मीदवारों की लिस्ट 10 जुलाई को जारी की गई थी उसी दिन एनडीटीवी के हाथ ये दस्तावेज लगे थे,

इसकी खबर के बाद रिजल्ट को लेकर विधानसभा में हंगामा हुआ, सरकार की भी सफाई आई कि NRI कॉलेज में जो उम्मीदवार परीक्षा के लिये बैठे थे वो कुल उम्मीदवारों का 1.32 प्रतिशत है.

टॉप 10 के सारे उम्मीदवारों की परीक्षा तारीख,और पाली अलग-अलग है. यानी इन सबके प्रश्न-पत्र भी अलग-अलग थे. टॉप 10 अभ्यर्थियों में से 6 ने हिंदी में तथा 4 ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किये हैं. टॉप 10 के किसी भी उम्मीदवार को अंग्रेजी में पूरे अंक नहीं मिले हैं बल्कि 13 से 23 के बीच नंबर आए हैं. 

31 अगस्त तक आएगी जांच रिपोर्ट

सरकार की सफाई के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया परीक्षा परिणाम में एक सेन्टर के परिणाम पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है. इस परीक्षा के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियां अभी रोक रहा हूं. सेन्टर के परिणाम का पुनः परीक्षण किया जाएगा.लेकिन इसके बाद भी कई सवालों के जवाब नहीं आये. मसलन इस परीक्षा में 23 ऐसे छात्रों का चयन हुआ है जिन्हें सुनने में दिक्कत है. वे सभी दिव्यांग कोटे चयनित हुए हैं और वे सभी मुरैना जिले से हैं. सरकार ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिये हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश राजेन्द्र कुमार वर्मा को नियुक्त किया है. जो 31 अगस्त 2023 तक राज्य शासन को जांच रिपोर्ट सौपेंगे.

जाहिर है व्यापम के घपलेबाज और पैसे का जोर हर मोर्चे पर सरकार पर भारी पड़ता रहा है. देश में भर्ती परीक्षा के इस सबसे बड़े घोटाले में 155 से ज्यादा मामले हैं. जांच के दौरान 44 लोगों की संदेहास्पद मौत हुई है. 3500 से ज्यादा लोगों के ख़िलाफ चार्जशीट दायर हैं लेकिन व्यापम के ये 3 पार्ट बताते हैं कि हर जांच की आंच चढ़ी तो ज़रूर लेकिन ठीक से जली नहीं.  
 

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close