
Balaghat Collector Office: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बालाघाट जिले से कलेक्ट्रेट परिसर के मुख्य द्वार पर लगे एक बोर्ड में स्पष्ट निर्देश है कि ‘कार्यालयीन समय के बाद कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर घूमना-फिरना वर्जित है'... लेकिन, प्रशासन के इस आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Welfare Department) के एक कर्मचारी ने कलेक्ट्रेट की सुरक्षा व्यवस्था को झूठा साबित कर दिया है. कर्मचारी ने रात करीब आठ से सवा आठ बजे के बीच कलेक्ट्रेट में घुसकर कलेक्टर मृणाल मीना के दरवाजे से लेकर अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के कमरे के बाहर एक पत्र चस्पा किया है, जिसमें महिला एवं बाल विकास में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का जिक्र है.

बालाघाट में महिला एवं बाल विकास कार्यालय के कर्मचारी ने तोड़े कलेक्टर परिसर के नियम
अनुकंपा से मिली नौकरी, तीन बार हो चुका है निलंबित
महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, खिलेश डहाटे को विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी. अपने कार्यकाल में वह तीन बार निलंबित हो चुका है. लांजी में पदस्थापना से पहले खिलेश कलेक्ट्रेट स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग में ही काम करता था. आखिरी बार उस पर विभाग के कंप्यूटर की हार्ड डिस्क चुराने का आरोप लगा, जिसके बाद उसे आठ महीनों के लिए निलंबित कर दिया गया. दो महीने पहले ही बहाल होने के बाद उसे लांजी में पदस्थ किया गया था. चार साल पहले भी खिलेश ने फर्जी हस्ताक्षर किए थे, जिसके लिए उसे निलंबित किया गया था. महिला दिवस पर हुई सुरक्षा में चूक पर कलेक्टर मृणाल मीना भी नाराज हैं और विभाग को कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

महिला एवं बाल विकास कर्मचारी ने कलेक्टर परिसर में लगाया पर्चा
कर्मचारी का काम नक्सलियों जैसा-अधिकारी
महिला एवं बाल विकास की प्रभारी अधिकारी दीपमाला सोलंकी का कहना है कि खिलेश डहाटे का रात के समय प्रतिबंधित समय पर कलेक्ट्रेट परिसर में प्रवेश करना और मुंह पर गमछा ढककर अधिकारियों के दरवाजों और दीवारों पर पत्र को चस्पा करने का कृत्य किसी नक्सलियों के कृत्य जैसा है. अधिकारी का कहना है कि विभाग के खिलाफ बार-बार ऐसा कृत्य उसकी खराब मानसिक स्थिति को दर्शाता है.
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पत्र में गंभीर आरोपों का जिक्र
कर्मचारी के चस्पा किए गए पत्र में एक कर्मचारी के नाम लिखकर उसे अनैतिक रूप से अटैच करने, महिला एवं बाल विकास विभाग भ्रष्टाचार करने, विभाग की कार्यशालाओं के फर्जी बिल लगाने, पोषण आहार के फर्जी बिल लगाने सहित कलेक्टर को इस अनियमितता पर ध्यान देने की बात लिखी है. कर्मचारी के कृत्य को विभाग ने गंभीरता से लिया है. उसके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी. उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ी हुई प्रतीत होती है. इसकी मेडिकल जांच की जाएगी.