Hailstorm in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से मौसम बहुत ज्यादा सितम ढा रहा है. ओलावृष्टि (Hailstorm) और आंधी-तूफान (Thunderstorm) ने कहर बरपा रखा है. इस बेमौसम बरसात से सबसे ज्यादा परेशान प्रदेश के किसान (Farmers of Madhya Pradesh) हैं. खासतौर से शिवपुरी (Shivpuri) जिले के किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. इसको लेकर एनडीटीवी की टीम खेत पर पहुंची और हालात का जायजा लेते हुए किसानों से बात की. इस दौरान महिला किसानों ने अपनी परेशानी बताई.
ममता का गेहूं का खेत हुआ बर्बाद
अपने गेहूं के फसल को बर्बाद होने के बाद मायूस आंखों से देख रही ममता गुर्जर अपने हालात को कोस रही है. इसके घर में इसके लड़के की कुछ ही दिनों में शादी है. इसने इस उम्मीद से फसल लगाई थी कि इससे उसे पैसे मिलेंगे. लेकिन, अब मौसम की मार के कारण ममता की आंखों में आंसू हैं.
ममता गुर्जर का खेत शिवपुरी जिला मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर दूर बड़ा मझेरा गांव में है. फसल के चौपट हो जाने के बाद पूरे घर में मायूसी पसरी है. अब वो अपने बेटे की शादी को लेकर बहुत चिंता में है.
कर्ज पर पैसे लेकर सरोज ने की थी खेती
मझेरा गांव की रहने वाली सरोज की भी कुछ ऐसी ही कहानी है. सरोज भी अपने खेतों को देखकर नाराज है. कहती है कि बड़ी मुश्किल से खेती करने के लिए पैसे कर्ज पर उठाए थे. खेती के भरोसे शादी तय किया था. घर में लड़की और लड़के दोनों की शादी है. ऐसे में फसल चौपट हो गई और कर्ज पहले का उतरा नहीं और अब शादी के लिए नया कर्ज लेना पड़ेगा.
300 हेक्टेयर से ज्यादा फसल हुई चौपट
शिवपुरी मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर दूर बड़ा मझेरा गांव में अगर प्रशासनिक टीम का दस्ता सही जमीन पर पहुंचकर बर्बाद फसलों का मुआयना करे तो गांव वालों के मुताबिक यहां गेहूं, चना, सरसों, मसूर, मटर और अजवाइन के लगभग 300 हेक्टेयर से भी ज्यादा खेतों में खड़ी फसलें खराब और बर्बाद हो गई हैं.
कब मिलेगा मुआवजा
इस गांव में रहने वाले लोगों ने बताया कि उनकी फसलों को बर्बाद होने के बाद प्रशासन ने खबर तो ली, लेकिन पटवारी महोदय आए, तस्वीर खींची और चले गए. अभी तक इन ग्रामीणों को यह नहीं बताया गया कि उनकी फसल के नुकसान के भरपाई के रूप में इन्हें मुआवजा कब मिलेगा और कितना मिलेगा.
मिलने वाला मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा
सरकार मुआवजे का दावा करती है, बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी हकीकत बहुत बुरी है. किसानों का कहना है कि उसे मुआवजा मिलता तो है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे के जैसा होता है. हर किसान को अपनी फसल बर्बादी के बाद सरकार के इस छोटी-सी मुआवजे की रकम का बड़ा सहारा होता है.
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किसानों के त्यौहार का रंग पड़ा फीका
किसानों की फसल होली पर कटनी थी और होली के लिए बड़ी खुशियों के साथ आने वाली फसल का इंतजार किया जा रहा था. लेकिन, अब होली में ऐसी स्थिति बन गई है जैसे कुदरत ने रंग में भंग डाल दिया हो.
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