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Morena: रेलवे ट्रैक के दर्जनों अंडरपास में भरा पानी, आवागमन प्रभावित, तकनीकी खामी की सजा भुगत रहे स्थानीय लोग

MP News: मुरैना में बन रही नई रेलवे लाइन में ऐसे कई अंडरपास बने हैं, जिनमें पिछले 6 महीने से पानी भरा हुआ है. अंडरपास में पानी भरने के चलते लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है.

Morena: रेलवे ट्रैक के दर्जनों अंडरपास में भरा पानी, आवागमन प्रभावित, तकनीकी खामी की सजा भुगत रहे स्थानीय लोग
पानी भरे होने से अंडरपास छोटे तालाब की तरह दिखाई दे रहा है.

Water Filled in Underpass: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के चंबल संभाग (Chambal Region) में नैरोगेज रेल ट्रैक को ब्रॉडगेज (Broad Gauge Railway Line) किया जा रहा है. जिसको लेकर ग्वालियर से श्योपुर तक 200 किलोमीटर लंबी रेल लाइन (Gwalior To Sheopur Railway Line) का निर्माण किया जा रहा है. इस रेल लाइन का 50 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है, जो ग्वालियर से रायरू होकर मुरैना जिले (Morena) के बानमोर होती हुई जौरा तक बनाई गई है. इस बीच कई अंडरपास बनाए गए हैं, जो ग्रामीणों और शहरवासियों के लिए समस्या का कारण बने हुए हैं. इन अंडरपासों में पानी भरा रहता है, जिससे ग्रामीणों को आने-जाने में दिक्कत होती है. कई बार बच्चे और महिलाएं अंडरपास से गुजरते समय गंदे पानी में गिर जाती हैं.

अंडरपासों में भरा पानी

कैलारस रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के आने-जाने के लिए बनाया गया अंडरपास छोटे तालाब के रूप में दिखाई दे रहा है. कैलारस से दो दर्जन ग्राम पंचायतों की ओर जाने वाले नेपरी, बृजगढ़ी अंडरपास की हालत भी इसी तरह दिखाई दे रही है. रेलवे ट्रैक के नीचे बनाए गए अधिकांश अंडरपास गंदे पानी के साथ कीचड़ और दलदल से भरे पड़े हैं. इन अंडरपास से निकलने के दौरान स्कूली बच्चे और महिलाएं गंदे पानी में गिर जाते हैं. यहां तक कि दो पहिया वाहन भी पानी में बंद हो जाते हैं. इस समस्या के बारे में स्थानीय लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों, प्रशासन और रेल अधिकारियों को जानकारी दी है. इसके साथ ही लोगों ने रेलवे ट्रैक के दोनों ओर नाला और सर्विस रोड बनाने की भी मांग की है. लेकिन, अब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया है.

Water filled in dozens of underpasses in Morena

अंडरपास में पानी भरे होने से दो पहिया वाहनों में पानी भर जाता है और वे फंस जाते हैं.

खराब अंडरपास के चलते बड़ी आबादी प्रभावित

वर्तमान में जौरा से सबलगढ़ तक लगभग 45 किलोमीटर की रेलवे लाइन निर्माण का काम तेजी से पूरा किया जा रहा है. इस परियोजना की लागत लगभग 3 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है. रेल गेज परिवर्तन के कारण रेल लाइन का निर्माण जमीन से 15 फीट से 18 फीट की ऊंचाई पर किया जा रहा है. इस कारण जौरा से सबलगढ़ तक का क्षेत्र दो भागों में बंट गया है. इसमें उत्तर दिशा की ओर चंबल के बीहड़ों का ग्रामीण क्षेत्र और जौरा, कैलारस की एक तिहाई शहरी आबादी शामिल है. 

दूसरी ओर दक्षिण दिशा की तरफ जौरा, कैलारस, सबलगढ़ तक का शहरी और ग्रामीण क्षेत्र शामिल है. इन लोगों के आवागमन की सुविधा के लिए बनाए गए लगभग एक दर्जन अंडरपास तकनीकी चूक के कारण पानी से भरे हुए हैं. कैलारस शहर में लगभग एक दर्जन अंडरपास गंदे पानी, कीचड़ और दलदल से भरे हुए हैं. इनसे आवागमन नहीं हो पा रहा है. इन अंडरपासों से निकलने वाले दर्जनों दोपहिया वाहन रोजाना गंदे पानी में अपना दम तोड़ देते हैं. इससे महिलाओं और बच्चों को गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है. इन अंडरपासों में दो से तीन फीट पानी बीते 6 महीने से भरा हुआ है. 

जमीन तल से 1-2 फीट नीचे बने अंडरपास

रेलवे ट्रैक के दोनों किनारों पर नाला और सर्विस रोड बनाये जाने की मांग की जा रही है. हालांकि, जिला प्रशासन समस्या को लेकर रेल अधिकारियों से बातचीत कर उसके निराकरण की बात कह रहा है. सभी अंडरपास जमीन तल से 1 से 2 फीट नीचे बनाए गए हैं. इन्हें ऊंचा किया गया तो रेल ट्रैक से बस, ट्रक और अनाज से भरे हुए कृषि वाहन रेल ट्रैक के निचले हिस्से से टकराने की संभावना है.

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