Vyapam Scam Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले में एक और महत्वपूर्ण कार्रवाई सामने आई है. CBI की विशेष अदालत (व्यापम प्रकरण), ग्वालियर ने गुरुवार को पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2012 में प्रतिरूपण (Impersonation) करने वाले दो आरोपियों रणवीर और हरवेंद्र सिंह चौहान उर्फ प्रवेंद्र कुमार को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने दोनों पर 11,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
कैसे खुला था मामला?
यह मामला एफआईआर नंबर 770/2012, दिनांक 30 सितंबर 2012, थाना मुरैना में सेंटर सुपरिंटेंडेंट की शिकायत पर दर्ज हुआ था. शिकायत में परीक्षा के दौरान प्रतिरूपण के गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिससे संगठित नकल की आशंका पैदा हुई.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर CBI ने संभाली जांच
शुरुआत में मध्य पुलिस ने रणवीर के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जबकि दूसरे आरोपी प्रवेंद्र कुमार की जांच जारी रखी गई. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केस 8 अगस्त 2015 को CBI को सौंपा गया. CBI ने IPC की विभिन्न धाराओं साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी सहित MP Recognised Examination Act, 1937 के तहत आरोप तय किए.
CBI ने दायर की दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट
मामले में सीबीआई ने कोर्ट में दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की. 30 सितंबर 2016 को रणवीर के खिलाफ और 29 सितंबर 2017 को हरवेंद्र उर्फ प्रवेंद्र के खिलाफ. जांच में सामने आया कि दोनों आरोपियों ने पुलिस कांस्टेबल परीक्षा को प्रभावित करने और सिस्टम को धोखा देने के लिए इम्पर्सोनेटर तैनात किए थे. अभियोजन पक्ष ने अदालत में ठोस साक्ष्य पेश किए. दोनों की भूमिका संदेह से परे सिद्ध होने पर अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए 7 साल की कठोर कैद व जुर्माना की सजा सुनाई.
CBI ने कहा-यह विश्वास बहाली की दिशा में अहम कदम
CBI ने कहा कि परीक्षा संबंधित भ्रष्टाचार जन विश्वास को खत्म करता है और ऐसी प्रक्रियाओं से जुड़े संस्थानों की विश्वसनीयता को चोट पहुँचाता है. यह सजा व्यावसायिक परीक्षाओं में गड़बड़ियों के खिलाफ CBI की निरंतर कार्रवाई का हिस्सा है.