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This Article is From Sep 05, 2024

Farewell Ceremony: शिक्षक हो तो ऐसा, ट्रांसफर होने पर लिपट कर रोने लगे बच्चे, भावुक हुआ माहौल

Government Teacher Arun Tripathi Farewell:  शिक्षक दिवस (Teacher's Day) के मौके पर भिंड (Bhind) जिले से एक सरकारी स्कूल (Government School) से काफी भावुक करने वाली खबर आई है. यहां शिक्षक अरुण त्रिपाठी की विदाई समारोह के कार्यक्रम में स्टूडेंट्स के साथ गांव के नागरिक भी भावुक हो गए. जानें अरुण में ऐसी क्या खूबी रही है..

Farewell Ceremony: शिक्षक हो तो ऐसा, ट्रांसफर होने पर लिपट कर रोने लगे बच्चे, भावुक हुआ माहौल
Farewell Ceremony: शिक्षक हो तो ऐसा, ट्रांसफर होने पर ऐसे लिपट कर रोने लगे बच्चे, भावुक हुआ माहौल.

Teacher's Day Special News: मध्य प्रदेश के भिंड  (Bhind) जिले में के एक सरकारी स्कूल (Government School) में शिक्षक दिवस (Teacher's Day) का कार्यक्रम हमेशा के लिए खास हो गया. बता दें, शिक्षक के विदाई समारोह कार्यक्रम में मौजूद स्टूडेंट्स (Students)  से लेकर ग्रामीण सब भावुक हो गए. दरअसल लहार तहसील के रूरई शासकीय स्कूल में पदस्थ अध्यापक अरुण त्रिपाठी (Arun Tripathi) का विदाई सम्मान समारोह बड़े धूमधाम से आयोजित किया गया. इस समारोह में गांव के छोटे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हुए. सभी की आंखें नम हो गईं और विदाई यादगार बन गई.

ऐसे बदली स्कूल की तस्वीर

अरुण त्रिपाठी (Arun Tripathi) की विदाई समारोह में शामिल हुए सभी गांववासियों ने उनकी मेहनत और लगन की जमकर सराहना की. ग्रामीणों ने बताया कि जब अरुण त्रिपाठी स्कूल में पदस्थ हुए थे, तब स्कूल की हालत बहुत ही खराब थी.लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान स्कूल की शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ और अब यहां का रिजल्ट भी शानदार है. वे न केवल शिक्षा के प्रति प्रतिबद्ध थे, बल्कि बच्चों के प्रति भी अपार स्नेह दिखाते थे. वे खुद घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल लाते थे और उनकी किसी भी समस्या का समाधान अपने बच्चों की तरह करते थे.

 लिपटकर रोते हुए दिखे स्टूडेंट्स

अरुण त्रिपाठी के साथ गांववासियों का रिश्ता बेहद अच्छा था. इसीलिए आज पूरा गांव उनकी विदाई पर भावुक हो गया. बच्चों ने अपने शिक्षक से लिपटकर रोते हुए उन्हें जाने नहीं देने की गुहार की, जिससे समारोह में एक भावुक माहौल बन गया.

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ढोल-नगाड़े बजाकर दी विदाई 

अरुण त्रिपाठी का ट्रांसफर अब असवार में हो गया है. आज उनके सम्मान में गांव ने ढोल-नगाड़े बजाकर उन्हें विदाई दी, और नम आंखों से उन्हें अलविदा कहा. इस विदाई समारोह ने साबित कर दिया कि एक शिक्षक केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव भी स्थापित करता है.

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