
MP News: आपने घरों में खाने को लेकर नोकझोंक के किस्से तो बहुत सुने होंगे. कभी सब्जी कम, कभी नमक ज्यादा—ये तो आम बात है लेकिन क्या महज़ इसलिए कोई अपनी जान दे सकता है? दरअसल, मध्यप्रदेश के विदिशा ज़िले से आई एक खबर ने सबको चौंका दिया. यहां एक 20 साल का युवक सिर्फ इसलिए मौत को गले लगा बैठा, क्योंकि उसे खाने में मुर्गा नहीं मिला.
मामला ग्यारसपुर तहसील के हैदरगढ़ थाना क्षेत्र का है. करण सिंह अहिरवार रोज की तरह घर लौटा. उस दिन उसका मन था कुछ "खास" खाने का. उसने मां से कहा—"आज मुर्गा बनाओ!" मां ने शायद थकान या किसी और कारण से मना कर दिया. अब सामान्य घरों में ऐसा होता है—बच्चा कहे, मां मना कर दे. दोपहर में झगड़ा, शाम तक सब ठीक. लेकिन करण के दिल को ये बात इतनी लगी कि उसने अपने जीवन का सबसे खतरनाक कदम उठा लिया.
मुर्गा खुद लाया, मां ने नहीं बनाया… भाई ने बनाया लेकिन...
करण मुर्गा खुद खरीदकर लाया था. जब मां ने नहीं बनाया तो उसने मुर्गा अपने भाई को दे दिया. भाई ने बनाया भी… यानी आखिरकार उसकी प्लेट में वही खाना परोसा गया जिसकी उसे चाह थी. लेकिन उसे यह बात खल गई कि जिस चीज़ के लिए वह खुद बाजार गया, वह मां के हाथ से नहीं बनी. और यही छोटी सी बात एक बड़ी ट्रैजेडी बन गई.
परिजनों ने बचाया, लेकिन… मौत ने नहीं छोड़ा
परिजनों ने करण को फांसी पर झूलते हुए देखा तो तुरंत नीचे उतारा. ग्यारसपुर के स्वास्थ्य केंद्र ले गए, फिर विदिशा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. डॉक्टरों ने जान बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन करण ने अंतिम साँसें ले लीं. चौकी प्रभारी एस.के. शर्मा ने बताया कि प्राथमिक जांच में मामला घरेलू तनाव का है, कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं दिखा है. करण के भाइयों ने भी बताया कि वह नॉर्मल था, किसी तनाव में नहीं दिख रहा था. बस उस दिन वह बेहद भावुक हो गया और बिना कुछ कहे ऐसा कदम उठा लिया.