
UPSC की ओर से मंगलवार को जारी किए गए रिजल्ट में कई ऐसे उम्मीदवारों ने भी सफलता हासिल की है, जिसने लोगों को अचंभे में डाल दिया है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर के दूरस्थ गांव में किराने की दुकान चलाने वाले की बेटी दिव्यांशी भी उनमें से एक है. दरअसल, दिव्यांशी ने बिना किसी कोचिंग के घर पर रह कर ही तैयारी की और पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी परीक्षा में 249 वीं रैंक हासिल करने में सफल रही. उनकी इस सफलता के बाद गांव में जश्न का माहौल है.
यूपीएससी एग्जाम में ग्वालियर के धुर ग्रामीण इलाके में रहने वाली एक बेटी ने भी शानदार सफलता हासिल की हैं. ग्वालियर के भितरवार इलाके में रहने वाले एक किराना व्यापारी की बेटी दिव्यांशी अग्रवाल ने यूपीएससी में 249 वीं रैंक हासिल की है. ख़ास बात ये है कि दिव्यांशी ने यह सफलता पहले ही अटेम्पट में हासिल की. उन्हें आईआरएस कैडर मिला है. दिव्यांशी की इस सफलता की सूचना मिलने के बाद पूरे भितरवार गांव में जश्न का माहौल है.
दिव्यांशी ने युवाओं को दिया ये संदेश
दिव्यांशी ने कहा कि जो युवा खुद को यूपीएससी में सफल देखना चाहते हैं, उसे चाहिए कि वह अपने स्टडी पर फोकस रखें. इसके साथ ही यूपीएससी का जो सिलेबस है, उसे ध्यान के पढ़कर उसके आधार पर अपनी स्टडी का चार्ट तैयार करें और अपने आप पर भरोसा रखें. अगर इन तीन मंत्रों पर युवा ध्यान देंगे तो उन्होंने सफलता जरूर मिलेगी.
कलेक्टर रुचिका चौहान ने दी बधाई
ग्वालियर के दूरस्थ गांव में बसे भितरवार कस्बे में रहने वाले नरेन्द्र अग्रवाल मध्यमवर्गीय परिवार से हैं और कस्बे में ही अपनी किराने की दुकान चलाते हैं, लेकिन अचानक उनका घर आकर्षण का केंद्र बन गया. जैसे ही यूपीएससी का फाइनल रिजल्ट घोषित हुआ और पता चला कि कस्बे के किराना व्यापारी नरेंद्र अग्रवाल की बेटी दिव्यांशी ने उसमें सफलता हासिल कर ली है, तो लोग उन्हें बधाई देने के लिए उनके घर पहुंचने लगे. थोड़ी ही देर में ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने भी वीडियो कॉल के जरिए दिव्यांशी से बात की और उन्हें बधाई दी.
परिवार व रिश्तेदारों ने ऐसे मनाई खुशी
दिव्यांशी की इस ऐतिहासिक उपलब्धि की खबर मिलते ही परिवार, रिश्तेदारों और गांव वालों में खुशी की लहर दौड़ गई. घर पर मिठाई बांटी गई और आतिशबाजी कर जश्न मनाया गया. माता-पिता की आंखों में गर्व और भावुकता दोनों झलक रही थीं. पिता नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि हमारी बेटी ने जो कर दिखाया है, वो सिर्फ हमारे लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है. उसकी मेहनत और संकल्प ने हमारे सपनों को हकीकत में बदल दिया है.
वहीं, दिव्यांशी ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के आशीर्वाद, शिक्षकों के मार्गदर्शन और स्वयं की निरंतर मेहनत को दिया. उन्होंने कहा कि अगर आप सच्चे मन से कोशिश करें, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं रहेगी. उन्होंने युवाओं को यह भी बताया कि कैसे वे इस परीक्षा में सफलता हासिल कर सकते हैं.