
High Court Big Verdict: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने शुक्रवार पति-पत्नी के बीच अप्राकृतिक शारीरिक संबंध को लेकर बड़ा फैसला सुनाया हैं. एक महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ धारा 377 के तहत दर्ज किए केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मुकदमे को निरस्त कर दिया और कहा कि पत्नी के साथ अप्राकृतिक संबध रेप नहीं, क्रूरता है.
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पत्नी की इच्छा के बिना अप्राकृतिक सैक्स क्रूरता की श्रेणी में आता है
हालांकि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि पत्नी की इच्छा के बिना अप्राकृतिक सैक्स करना और मना करने पर मारपीट करना क्रूरता की श्रेणी में आता है. वहीं, केस के अन्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने पत्नी द्वारा दर्ज दहेज प्रताड़ना के केस को रद्द करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल धारा 377 का केस निरस्त किया गया है.
पति ने धारा 377 व 498 (ए) के तहत दर्ज केस रद्द करने मांग की थी
गौरतलब है सिरोल इलाके में निवासी पति ने हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर करते हुए अपने खिलाफ दर्ज धारा 377 और 498 (ए) का केस निरस्त करने की मांग की. याची ने कोर्ट को बताया गया कि आरोप लगाने वाली महिला याची की पत्नी है. दोनों का 2 मई 2023 को विवाह हुआ था.
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दलील, बालिग होने की स्थिति में ऐसा कृत्य रेप श्रेणी में नहीं आता
रिपोर्ट के मुताबिक पत्नी द्वारा दर्ज कराए मुकदमे के खिलाफ आरोपी पति की ओर से हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका रद्द करने की अपील की गई. सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में संशोधन के अनुसार पत्नी के बालिग होने की स्थिति में पति द्वारा किया गया ऐसा कृत्य रेप या अप्राकृतिक कृत्य की श्रेणी में नहीं आता.
हाई कोर्ट ने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के कई प्रकरणों का हवाला दिया
अपर लोक अभियोजक डीके शर्मा ने बताया कि पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग प्रकरणों का हवाला दिया, जिसमें इस संबंध में पहले भी निर्णय आ चुके हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे क्रूरता माना है।