Ujjain News in Hindi: महाकाल नगरी उज्जैन को सम्राट विक्रमादित्य (Samrat Vikramaditya) की नगरी के रूप में भी जाना जाता है. वजह है, यहां का विक्रमादित्य का टीला... इस टीले के पास सिंहासन बत्तीसी (Singhasan Battisi) बना हुआ है. इसमें 32 पुतलियां बनी हुई है, जिससे जुड़ी कई मान्यताएं हैं. लेकिन, अब ये सिंहासन इकत्तीसी रह गया है, क्योंकि 32 में से एक, इंदुमति (Indumati) की पुतली गायब है. साथ ही, उनके दरबार के नवरत्न की मूर्तियों में से चार मूर्तियां खंडित है.
क्या है सिंहासन बत्तीसी का इतिहास
उज्जैन को वैसे तो सबसे अधिक महाकाल मंदिर के कारण जाना जाता है. लेकिन, उस उज्जैन को चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है... कहते हैं कि विक्रमादित्य का दरबार उनकी कुलदेवी हरसिद्धी माता के मंदिर के सामने लगता था. इस दौरान जिस सिंहासन पर वो बैठते थे, उसका नाम सिंहासन बत्तीसी था.
पुतलियों से जुड़ी मान्यता
सिंहासन बत्तीसी से जुड़ी मान्यता है कि ये पुतलियों सजीव होकर न्याय देने में विक्रमादित्य की मदद करती थीं. विक्रमादित्य का राज खत्म हुआ, तो सिंहासन गायब हो गया. सालों बाद ये राजा भोज को सिंहासन मिला. उन्होंने इसका पुराना वैभव लौटाया. लेकिन, पुतलियों ने ऐसे कठिन सवाल पूछे कि राजा भोज इसपर कभी बैठ नहीं पाए. इन्हीं कहानियों को कुछ सालों पहले सजीव किया गया, जिसे देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. लेकिन, प्रशासनिक अनदेखी से वो दुखी हो रहे हैं.
पर्यटकों ने कही ये बात
सिंहासन बत्तीसी को देखने के लिए देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं. इनमें से एक ने कहा कि 32 पुतलियों में से एक गायब है. ये सब देखकर मुझे दुख हो रहा है. जिस राजा ने इस नगरी का निर्माण किया था, उसकी धरोहर के साथ ऐसा हो रहा है. दूसरे पर्यटक ने कहा कि ये सब देखा हमने. टूटा-फूटा है. प्रशासन को ध्यान देना चाहिये. यहां कोई सिक्योरिटी नहीं है.
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इंदुमति की पुतली गायब
सम्राट विक्रमादित्य की 25 फीट ऊंची प्रतिमा के सामने नवरत्न की मूर्तियां और आसपास 5-5 फीट की बत्तीस पुतलियों की प्रतिमा स्थापित की गई थी. इनमें से एक इंदुमति की पुतली की जगह बांस और पाइप है. तो नवरत्न में से चार रत्नों की मूर्तियां भी खंडित हो गई हैं.
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