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Mahakumbh: उज्जैन सिंहस्थ कुंभ में VIP एंट्री को बैन करने की मांग,पुजारी संघ ने लिखा CM को पत्र 

Simhastha kumbh: प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद उज्जैन में अलर्ट है. यहां साल 2028 को होने वाले सिंहस्थ कुंभ में वीआईपी एंट्री को बैन करने की मांग अभी से की जा रही है.  

Mahakumbh: उज्जैन सिंहस्थ कुंभ में VIP एंट्री को बैन करने की मांग,पुजारी संघ ने लिखा CM को पत्र 
फाइल फोटो.

Simhastha kumbh 2028 Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ (कुंभ) 2028  लगने में तीन साल का समय है,लेकिन प्रयागराज में हुए गंभीर हादसे के बाद यहां सुरक्षा को लेकर लोग चिंतित हो रहे हैं. यही वजह है कि अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने सिंहस्थ में वीआईपी एंट्री को बैन करने के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र भेजा है.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में भगदड़ होने से करीब 30 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हो गए.उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ 2028 में ऐसी कोई दुर्घटना या हादसा न हो, इसके लिए अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव को एक पत्र भेजा है.

जिसमें लिखा है कि कुंभ में विशेष पर्वों पर रामघाट पर केवल चारों शंकराचार्यों को स्नान की अनुमति हो, अन्य अखाड़ों को नहीं.

सभी वीवीआईपी को मेला क्षेत्र में प्रतिबंधित किया जाए, जिससे आम श्रद्धालु भावना और आस्था के साथ सुरक्षित रहकर क्षिप्रा में पुण्य स्नान का लाभ ले सकें.

साधु संत भी प्रदर्शन न करें

पुजारी महासंघ अध्यक्ष और महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि कुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. तब क्षिप्रा के हर घाट को रामघाट के रूप में प्रचारित कर श्रद्धालुओं को वहीं स्नान  की अपील की जाती है,जबकि तेरह अखाड़े वैभव प्रदर्शन करते हुए रामघाट जाकर स्नान करते हैं. उस दौरान श्रद्धालुओं को नदी क्षेत्र में जाने से रोक दिया जाता है, जिससे श्रद्धालुओं का दबाव बढ़ता है और भगदड़ या हादसों की आशंका उत्पन्न होती है. 

इसलिए 2028 के कुंभ में स्नान के समय अखाड़ों की पेशवाई बंद करना चाहिए और साधु-संतों को अनुयायियो के बिना पैदल ही स्नान के लिए जाना चाहिए.

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अखाड़ों के नहान के घाट 

अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने कहा कि स्नान करने के लिए जाने में किस बात का वैभव और प्रदर्शन? क्योंकि संत परंपरा त्याग का प्रतीक है.जब क्षिप्रा सभी स्थानों पर पवित्र है,तो तेरह अखाड़ों के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित किए जाने चाहिए. संबंधित अखाड़ों के साधु-संत वहां स्नान करें.अखाड़ों का स्नान होने के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए घाट खोल दिए जाएं. यदि सरकार उपरोक्त सुझावों को सिंहस्थ 2028 में लागू करती है, तो निश्चित ही निर्विघ्न रूप से सिंहस्थ सफल होगा.

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