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उज्जैन की 8 साल की बच्ची को मिली पुलिस की नौकरी ! हर महीने 15000 वेतन, जानें कौन है इच्छा

उज्जैन की पुलिस लाइन में सोमवार को एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसे जिसने भी देखा उसकी आंखें भर आईं. सामने खड़ी थी महज आठ साल की एक बच्ची, स्कूल की चौथी कक्षा की छात्रा. नन्हीं हथेलियों में कॉपी-पेंसिल की जगह था नौकरी का कागज़, जिस पर लिखा था- बाल आरक्षक नियुक्ति.

उज्जैन की 8 साल की बच्ची को मिली पुलिस की नौकरी ! हर महीने 15000 वेतन, जानें कौन है इच्छा

Ujjain police Job for 8 year old girl: उज्जैन की पुलिस लाइन में सोमवार को एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसे जिसने भी देखा उसकी आंखें भर आईं. सामने खड़ी थी महज आठ साल की एक बच्ची, स्कूल की चौथी कक्षा की छात्रा. नन्हीं हथेलियों में कॉपी-पेंसिल की जगह था नौकरी का कागज़, जिस पर लिखा था- बाल आरक्षक नियुक्ति. ये बच्ची है इच्छा, जिसके पिता देवेंद्र सिंह रघुवंशी महाकाल थाना में प्रधान आरक्षक थे. 17 मई को ड्यूटी के दौरान अचानक हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई. एक ही पल में घर का सहारा चला गया. मां और बेटी पर ग़म का पहाड़ टूट पड़ा और सामने आ खड़ा हुआ भविष्य का संकट. तीन महीने बीत गए, लेकिन पिता की कमी और भविष्य की चिंता इस परिवार को रोज सता रही थी.

सिर्फ 25 मिनट में मिला नियुक्ति पत्र

यही वजह है कि समाधान की तलाश में मां बेटी को लेकर सोमवार को एसपी दफ्तर पहुंची. हाथ में अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन था. वो चाहती थीं कि बेटी को पिता की जगह नौकरी मिल जाए. वैसे तो आमतौर पर ऐसे मामलों में फाइलें घूमती रहती हैं, दस्तख़त और आदेश के बीच वक्त बीतता है. लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ. एसपी प्रदीप शर्मा ने आवेदन हाथ में लिया और तुरंत अधिकारियों को कार्रवाई का निर्देश दिया. पुलिस मुख्यालय की गाइडलाइन भी यही कहती है कि अनुकंपा नियुक्ति में देरी नहीं होनी चाहिए. नतीजा ये हुआ कि आवेदन देने के सिर्फ 25 मिनट के भीतर आदेश तैयार हो गया और बच्ची को बाल आरक्षक का नियुक्ति पत्र सौंप दिया गया.

8 साल की बच्ची और सरकारी नौकरी !

जरा सोचिए, एक आठ साल की बच्ची, जिसके लिए अभी स्कूली किताबें और खेल का मैदान ज़िंदगी है उसके हाथों में जब नौकरी का आदेश आया, तो नज़ारा कितना मार्मिक रहा होगा. तस्वीर में जब इच्छा ये कागज़ थामे खड़ी दिखी, तो पूरे दफ्तर का माहौल भारी हो गया. कुछ के चेहरे पर राहत थी कि परिवार को सहारा मिला, तो कुछ की आंखों में सवाल कि 8 साल की ये मासूम इस जिम्मेदारी को कैसे निभाएगी.

इच्छा को ऐसे करनी होगी अभी 'नौकरी'

मां का कहना है कि इच्छा अभी चौथी में पढ़ती है. नियमों के मुताबिक, जब वो 10वीं पास करेगी तब स्थायी आरक्षक बन जाएगी. फिलहाल, पुलिस की स्थापना शाखा के अनुसार बाल आरक्षक को नव आरक्षक से आधा वेतन मिलता है. इसी नियम के तहत इच्छा को हर महीने 15,113 रुपए वेतन मिलेगा. उसे महीने में एक बार आकर साइन करना होगा और इस दौरान उसकी पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी जानकारी भी ली जाएगी. 18 साल की उम्र पूरी करने और 10वीं पास करने के बाद ही इच्छा स्थायी आरक्षक बन पाएगी. वहीं, पिता की पेंशन उनकी मां को मिलती रहेगी. यानी अभी वर्दी दूर है, लेकिन जिम्मेदारी का एहसास पहले ही उसके हिस्से में दर्ज हो चुका है.

पूरे मामले में ये सवाल भी है

ये पूरी घटना हमें एक अजीब दुविधा के सामने खड़ा करती है. एक तरफ पुलिस विभाग की संवेदनशीलता है, जिसने रिकॉर्ड समय में नियुक्ति देकर परिवार को सहारा दिया और एक मिसाल कायम की तो दूसरी तरफ मासूम बचपन है, जिसके हाथों में अभी से उसका भविष्य सौंप दिया गया है. उज्जैन की ये छोटी सी घटना अब सिर्फ एक परिवार की निजी कहानी नहीं रही। ये समाज के लिए आईना है, इच्छा अभी छोटी है, लेकिन उसका नाम अब वर्दी की सूची में दर्ज हो चुका है। पिता की ड्यूटी जहां अधूरी छूट गई थी, अब वहीं से बेटी को कदम बढ़ाना है. इसी को तो जिंदगी कहते हैं जब अक्सर हालात आपसे वो छीन लेते हैं जिनके आप हकदार होते हैं. तो फिर वही हालात आपके लिए एक नई राह बनाते है. एक नई पहचान देते हैं.

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