मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. आरोप है कि अस्पताल ने एक महिला की मौत के बाद उसके पति को शव देने से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि उसके पास पैसे नहीं थे. अपनी पत्नी का इलाज करवाने के लिए पति जेवर गिरवी रखकर और कर्ज लेकर पैसे लाया था, लेकिन इलाज में यह राशि खत्म हो गई. उसने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने कहा कि पहले पूरे पैसे जमा करो, उसके बाद ही पत्नी का शव दिया जाएगा. हालांकि प्रशासन के दखल के बाद पति को अपनी पत्नी का शव मिल सका.
जानकारी के मुताबिक, छतरपुर जिले से करीब 25 किलोमीटर गड़ागांव थाना बमीठा के रहने वाले मुन्नीलाल आदिवासी की पत्नी पन्मी आदिवासी बीमार हो गई थी, जिसके चलते उसे मिशन हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया. 12 अगस्त को रात 9:00 बजे उसकी मौत हो गई. मुन्नीलाल ने बताया कि उसकी पत्नी को 11 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मैं अपनी पत्नी का जेवर साहूकार के यहां गिरवी रखकर पैसा लाया था. अस्पताल में 14 हजार रुपये खर्च हो गए और अस्पताल प्रबंधन कह रहा है कि बीस हजार रूपए और लाओ तभी डेड बॉडी मिलेगी. मुन्नीलाल ने बताया कि पैसे नहीं है, इस वजह से मेरी पत्नी की डेड बॉडी नहीं मिल रही है.
उन्होंने बताया कि मेरे पास आयुष्मान कार्ड भी है, लेकिन वो कार्ड यहां पर मान्य नहीं है. जबकि मैं इसी कार्ड से पहले भी इलाज करवा चुका हूं और इसी भरोसे पर अस्पताल में आया था कि मुझे आयुष्मान कार्ड का लाभ मिलेगा. हालांकि जब मुझसे पैसे मांगने लगे तो मैं अपने घर जाकर पत्नी के गहने गिरवी रखकर और कर्ज लेकर पैसा लाया. उन्होंने बताया कि मिशन हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड नहीं लिया जाता है यह ना तो किसी ने मुझे पहले बताया और ना ही यह कहीं पर लिखा हुआ है. उन्होंने कहा कि मैं बहुत परेशान हूं और मेरी पत्नी की डेड बॉडी मुझे दे दी जाए, जिससे मैं इसका क्रियाकर्म कर सकूं.
मिशन हॉस्पिटल के डायरेक्टर का कहना है कि भर्ती होने के पहले इन्हें बता दिया गया था कि हमारे यहां आयुष्मान कार्ड नहीं चलता है, लेकिन इनके द्वारा मरीज को भर्ती किया गया. उन्होंने कहा कि हमारे यहां पहले आयुष्मान कार्ड को स्वीकार किया जाता था. उन्होंने कहा कि यह अब प्रकिया में है और आयुष्मान कार्ड स्वीकार होने लगेगा तो हम मरीजों को सहायता देने लगेंगे.
इस मामले में प्रशासन के दखल के बाद आदिवासी मुन्नीलाल की पत्नी का शव उन्हें दे दिया गया है. छतरपुर की तहसीलदार सुनीता यादव ने कहा कि मुझे पता चला था कि मुन्नीलाल आदिवासी की पत्नी की डेड बॉडी मिशन अस्पताल द्वारा नहीं दी जा रही है. इसे लेकर मैंने बात की और डेड बॉडी दिलवाकर उन्हें गांव भेजा.