मध्यप्रदेश के तमाम जिलों में मूसलाधार बारिश का कहर है. बीते दिन हुई भारी बारिश और जल भराव से सब कुछ तहस-नहस हो गया है. जिसके बाद हर तरफ तबाही ओर डूबे हुए गांवों का मंजर देखने को मिल रहा है. वहीं बताया जा रहा है कि गिरते जल स्तर के साथ जो लोग अपना आशियाना छोड़कर चले गए थे. वह लोग फिर से अपने टूटे आशियानों को समेटने में लग गए हैं. किसानों की फसलें बर्बाद हुई...लोगों के सिर से छत उजड़ गई...घरों तक में पानी घुस गया.
पानी के सैलाब में समाया सब कुछ
मालूम हो कि निसरपुर ब्लॉक के 780 से ज्यादा परिवारों पर बाढ़ का कहर बरपा है. इस सैलाब से सैकड़ों किसानों की हजारों एकड़ जमीन में लगी फसलें भी पूरी तरह चौपट हो गई. पिछले दो दिनों से इलाके के लोग अपने-अपने घरों और आशियानों को छोड़कर राहत कैंपों में रह रहे थे. वहीं रविवार शाम से जलस्तर में तेजी से कमी आई जिसके बाद डूब चुके गांव और घर दिखाई देने लगे. लोगों के आशियानों में पानी घुसने के चलते लोग अपना सारा सामान छोड़कर सुरक्षित जगह पर चले गए थे. वहीं अब, सभी लोग पानी उतरने के बाद अपने घरों में छूटे सामान की तलाश में जुट गए है. बाढ़ के बाद निसरपुर और आसपास के गांव में भयावह मंजर देखने को मिला. कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए. निसरपुर के कटनेरा ओर चिखलदा की खेडा बस्ती समेत आसपास के इलाकों में यह मंजर नजर आया.
बुरी तरीके से तहस-नहस हुए इलाके
इस बारिश के बाद यह इलाके तरीके से प्रभावित हुए है. आने वाले समय में यदि फिर से इस तरह की या इससे ज्यादा बारिश हुई तो इन इलाकों का हाल क्या रहेगा? इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है. खबर के मुताबिक, प्रशासनिक तौर पर बाढ़ आने के पहले संभावित बैक वॉटर बढ़ने की सूचना पहले ही कर दी जाती थी, लेकिन इस बार न तो स्थानीय प्रशासन ने डूब को लेकर कोई प्रशासनिक बैठक ली और न ही कोई दल गठित किए गए. इसका नतीजा यह रहा कि रेस्क्यू के लिए प्रशासनिक टीम को वाहन नहीं मिल पाए और समय पर भोजन-पानी भी मुहैया नहीं करवा पाए. इसका खामियाजा इलाके के लोगों को भुगतना पड़ा है.
बहरहाल, सभी गांव में सर्वे कर नुकसान का आंकलन किया जा रहा है. क्षतिग्रस्त हुए मकानों का भी जायजा लिया जा रहा है. जिसके बाद रिपोर्ट बनाकर वरीय अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा. जिसके बाद हर संभव मदद की जाएगी. कलेक्टर के निर्देशा के मुताबिक, ड्रोन से सभी जगह वीडियोग्राफी की मदद से सर्वे कराया जाएगा.
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