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This Article is From Jul 24, 2023

ये है देश का सबसे VVIP पेड़, केवल सुरक्षा पर ही सालाना खर्च होते हैं ₹1,24,8000

भोपाल-विदिशा हाईवे पर मौजूद एक पहाड़ी पर लगा है वो पेड़ जिसके नीचे मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था.बोधि वृक्ष का ही ये हिस्सा है. इसकी सुरक्षा औऱ रखरखाव पर सरकार अब तक करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है. जानिए क्या है पूरी कहानी

ये है देश का सबसे VVIP पेड़, केवल सुरक्षा पर ही सालाना खर्च होते हैं ₹1,24,8000

मध्यप्रदेश में एक ऐसा पेड़ है जिसकी सिर्फ सुरक्षा पर ही हर साल 12.48 लाख रुपये खर्च होते हैं. 24 घंटे उसकी सुरक्षा में 4 गार्ड तैनात रहते हैं. ये पेड़ इतना VVIP है कि इसका एक पत्ता भी सूख जाए जो प्रशासनिक अधिकारियों की नींद उड़ जाती है. ये ब्यौरे आपको थोड़ा चौंका सकते हैं...लेकिन पूरी खबर पता चलने पर आप भी कहेंगे इतना तो बनता है. 

इसी के नीचे बुद्ध ने प्राप्त किया ज्ञान

दरअसल ये पेड़ राज्य की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर लगा है. इस पहाड़ी को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है. इस पूरे क्षेत्र को बौद्ध सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है. इसी वजह से इस पेड़ को यहां लगाया गया है क्योंकि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इसका खास महत्व है. इसे बोधि वृक्ष कहा जाता है. 21 सितंबर, 2012 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने इसे यहां लगाया था. बौद्ध धर्मगुरू चंद्ररतन के मुताबिक थागत बुद्ध ने बोधगया में इसी पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था. इसे भारत से सम्राट अशोक की बेटी संघमित्रा श्रीलंका ले गई थी. जहां इसे अनुराधापुरम में लगाया गया था. उसी पेड़ के हिस्से को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की जमीन पर लगाया गया है. 

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हर हफ्ते होती है स्वास्थ्य की जांच

सौ एकड़ की इस पहाड़ी पर लोहे की लगभग 15 फीट ऊंची जाली के अंदर ये VVIP पड़े लहलहाता है. इसकी सुरक्षा में तैनात राहुल धमनोदिया बताते हैं कि इस पवित्र पेड़ की निगरानी 24 घंटे की जाती है. कोई तीज-त्योहार होने पर भी छुट्टियां नहीं होतीं. सितंबर 2012 से ही यहां पेड़ की सुरक्षा के लिए 4 से 5 जवान तैनात रहते हैं. एक जवान का वेतन करीब 26 हजार रुपये है. इस लिहाज से एक महीने में चार जवानों का वेतन 1 लाख 4 हजार रुपये होता है और साल में ये खर्च बढ़कर 12 लाख 48 हजार रुपये हो जाता है.  इसकी सिंचाई के लिए यहां सांची नगरपालिका ने अलग से पानी के टैंकर का इंतजाम किया है. पेड़ को बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी हर हफ्ते यहां दौरा करते हैं. यह सबकुछ होता है जिला कलेक्टर की निगरानी में.

कब तैयार होगी बौद्ध यूनिवर्सिटी? 

इस पेड़ तक पहुंचने के लिए भोपाल-विदिशा हाईवे से पहाड़ी तक पक्की सड़क भी बनाई गई है. हालांकि परेशान करने वाली बात ये है कि साल 2012 में इस बौद्ध यूनिवर्सिटी की नींव रखी गई लेकिन साल 2023 तक यह यूनिवर्सिटी बन कर तैयार नहीं हो सकी है. सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी वर्तमान में मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के होटल सांची के एक भवन में संचालित हो रही है. 
 

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