
Diwali in Bhopal : राजधानी भोपाल (Bhopal) के दिव्यांग बच्चों ने इस दिवाली अपनी कला के माध्यम से लोगों के घरों में रोशनी करने की ठान ली है. भोपाल के आर्ट मेले (Art mela) में दिव्यांग कलाकार बच्चों ने अपना हुनर प्रदर्शित किया है. मेले की खास बात यह है कि यहां दिव्यांग कलाकारों की तरफ से निर्मित उत्पादों की खरीदी-बिक्री भी हो रही है. यहां के दिव्यांग कलाकारों में से कोई देख, सुन नहीं सकता तो कोई चल नहीं सकता. लेकिन खास बात यह है कि इन सभी के अंदर कला कूट-कूटकर भरी है जिसका उदाहरण हमें देखने को मिल रहा है.
दिव्यांग आयुष ने बताया कि हमने दीये और तोरण बनाए हैं और मालाएं बनाई हैं. हमने दीयों पर कांच भी चिपकाए हैं. यह काम करने में हमें बहुत मजा आया और कुछ नया सीखने को भी मिला.
दिव्यांग समृद्धि अग्रवाल का कहना है कि हमने दीपक बनाए हैं और हमें सबसे ज्यादा मजा दीयों में कांच लगाने में आया. हमने दीपावली का सामान बनाया है. हमें दीपावली का त्योहार बहुत पसंद है.
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बच्चों का किया मार्गदर्शन
दिव्यांग बच्चों का मार्गदर्शन करने वाली रेखा मालवीय ने बताया कि ये सब बच्चों ने बनाया है. बच्चों को ये सब काम करने में बहुत मज़ा आया. उन्होंने दीपक को आकृति देकर भट्टी में डालने में भी मदद की. बच्चों को दीपक में रंग भरने में बहुत मजा आया.
दिव्यांग बच्चों की मेहनत में श्रुति ने उनकी मदद करते हुए कहा कि हमें बहुत खुशी हो रही है कि बच्चे महीनों से जो चीजें तैयार करने में मेहनत कर रहे थे, उसे खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आ रहे हैं. बच्चों को ये सब बनाने में बहुत मजा आया. हमें देखकर काफी खुशी हो रही है कि भोपाल से दूर-दूर से लोग उनके बनाए हुए सामान को खरीद रहे हैं.

क्या बोले खरीदार?
खरीदार प्राची खटकवार ने बताया कि यहां आकर दिव्यांग बच्चों से मिलकर बेहद खुशी हो रही है. हम जिस लाइफस्टाइल में रह रहे हैं, वहां हमारी एक्सपेक्टेशन बढ़ती ही जा रही है लेकिन यहां आकर जिंदगी का असली मतलब समझा आता है. इन सभी स्पेशल चिल्ड्रेन्स को देखकर और इनसे मिलकर बेहद खुशी हो रही है कि ये लोग जिंदगी को कितने खूबसूरत तरीके से जीते हैं. हमारे पास सब कुछ होते हुए भी हम अपनी जिंदगी से शिकायत करते रहते हैं लेकिन ये बच्चे बिना किसी शिकायत के खुश होकर कितने अच्छे से जीवन जी रहे हैं.
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खरीदार हर्षि सिन्हा ने बताया कि मैं यहां पहली बार आई हूं. यहां आकर दिव्यांग बच्चों से मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है. बच्चों ने कड़ी मेहनत करके इतनी अच्छी-अच्छी चीजें बनाई हैं कि हम जिस चीज को करने के लिए क्लास लेते हैं, सीखने के लिए कोर्स करने की सोचते हैं, वहीं बच्चों ने अपनी क्रिएटिविटी से ये सारी चीजें तैयार की हैं.