Domination on Women Representatives in Madhya Pradesh: भारतीय समाज में महिला को अपनी काबिलियत का प्रमाण हमेशा से देना पड़ा है. चाहे वो पुराने समय की बात हो या वर्तमान समय की. यहां हर महिला को कम आंका जाता रहा है. इस पुरुष प्रधान समाज (Male-Dominated Society) ने महिलाओं का भरपूर शोषण भी किया. कहने को तो महिलाओं को अब आगे बढ़ने का मौका दिया जा रहा है, और ये सच्चाई भी है कि पहले की अपेक्षा में महिलाओं की स्थिति में सुधार भी हुआ है. लेकिन, अभी भी कई शहरों, गांवों और दूरदराज के इलाकों में महिलाओं की स्थित भयावह है. हालांकि, सरकार ने महिलाओं के लिए आरक्षण के जरिए उन्हें आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बखान करती है.
हाल ही में फिल्माई गई पंचायत सीरीज के जरिए भी महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर दर्शाया गया है. जिसमें एक ग्राम पंचायत में महिला प्रधान (सरपंच) होते हुए भी प्रधान पति (महिला सरपंच का पति) पंचायत की कमान अपने हाथों में रखता है. मध्य प्रदेश के कई इलाकों में यह तस्वीर देखने को मिल रही है. कहीं ग्राम पंचायत की कमान सरपंच के पति के हाथ में है तो कहीं जनपद को चुने गए महिला प्रतिनिधि का पति संभालता है. महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर NDTV की टीम ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी में जांच-पड़ताल की, जिसमें कई चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई. आइए पढ़ते हैं NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट...
पति के अलावा दबंग और सचिव भी संभालते हैं सरपंची
मध्य प्रदेश में कई ऐसी महिला सरपंच (Women Sarpanch) हैं, जो सरपंच तो बन गई, लेकिन सरपंची उनके पति, गांव के दबंग या फिर पंचायत के सचिव ही संभालते हैं. शिवपुरी की जनपद अध्यक्ष की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. जहां पत्नी जनपद अध्यक्ष है, लेकिन सिर्फ नाम के लिए. जनपद तो उनके पति ही चलाते हैं. इतना ही नहीं ग्राम पंचायत बदरवास और ग्राम पंचायत झींरी में भी महिला सरपंच के साथ कुछ यही हो रहा है. सतनवाड़ा खुर्द ग्राम पंचायत से महिला आदिवासी सरपंच तो है, लेकिन नाम मात्र की. इस पंचायत पर सचिव ने कब्जा जमा रखा है.
खुलेआम हो रहा प्रोटोकॉल का उल्लंघन
शिवपुरी की जनपद पंचायत की अध्यक्ष हेमलता रावत हैं, लेकिन कार्यालय में उनके पति बैठकर न केवल दफ्तर का कामकाज करते हैं बल्कि पूरी जनपद में इनका ही दबदबा है. NDTV की टीम जब जनपद कार्यालय पहुंची तो वहां बाकायदा चौपाल लगी दिखी. हमारी टीम ने कैमरे में जैसे ही कमरे की तस्वीर लेना शुरू किया तो जनपद पंचायत की अध्यक्ष के पति ने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरी तस्वीर मत लीजिए. दरअसल, इन्हें भी पता है कि वे गैरकानूनी काम कर रहे हैं. इस सब के बावजूद उनकी पत्नी जनपद अध्यक्ष हैं और सब लोग इन्हें ही अध्यक्ष जी कहते हैं.
सबसे हैरानी वाली बात यह है कि जनपद पंचायत अध्यक्ष के कमरे में बैठकर उनके पति बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करते हैं. एक तरफ महिला जनपद अध्यक्ष सिर्फ नाम के लिए बैठी हैं तो दूसरी तरफ उनके पति पत्रकारों से बातचीत कर रहे हैं. हैरानी इस बात से भी है कि किसी भी पत्रकार ने उनसे यह नहीं पूछा कि आप किस पद के चलते यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं.
महिला जनपद अध्यक्ष को नहीं पता गांवों की संख्या
NDTV की टीम ने थोड़ी और वास्तविकता जानने की कोशिश की, जिसके लिए हमने सीधे महिला जनपद अध्यक्ष से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने हमारे कुछ सवालों के जवाब पीछे से अपने पति से सुनकर ठीक दिए, लेकिन कुछ सवालों पर मुंह इधर-उधर करती हुई नजर आई और पति को देखती हुई दिखीं. दरअसल, पास ही में बैठे उनके पति हमेशा साए की तरह साथ रहते हैं. वे हमारे सवालों के जवाब पीछे से दे रहे थे.
इसके बाद हमारी टीम ने महिला जनपद अध्यक्ष के पति से भी बातचीत की. जिसमें उन्होंने इस बात को कबूल किया कि वे खुद ही जनपद का कामकाज देखते हैं. हैरानी की बात यह थी कि जब हमारी टीम ने जनपद अध्यक्ष हेमलता से पूछा कि उनकी जनपद में कितने गांव हैं तो उन्होंने कहा कि 300 से ऊपर गांव हैं. जबकि जनपद अध्यक्ष के पति ने बताया कि इस जनपद में ठीक 210 गांव हैं. इसका मतलब साफ है कि हेमलता रावत सिर्फ नाम की जनपद अध्यक्ष हैं, जनपद का काम तो उनके पति ही करते हैं.
आदिवासी महिला सरपंच को सचिव की धमकी
NDTV की टीम जब आगे बढ़ी तो ग्राम पंचायत सतनवाड़ा खुर्द की तस्वीरें और भी चौंकाने वाली थीं. यहां महिला आदिवासी सरपंच खुद बदहाली का जीवन जी रही है. महिला सरपंच एक कच्ची झोपड़ी में रहती हैं और उनका पैर भी फ्रैक्चर है. ग्राम पंचायत सतनवाड़ा खुर्द की महिला सरपंच विद्या आदिवासी हैं. वे कहती हैं कि जब से सरपंच बनी हैं, तब से सचिव उसे जीने नहीं दे रहा है. रोज मार देने की धमकी देता है और कहता है कि 5 साल काम नहीं करने दूंगा. ग्राम पंचायत की तस्वीर बताती है कि यहां न तो विकास हुआ है और न घर बने हैं. इसके अलावा किसी को कोई योजना का लाभ भी नहीं मिला है. आदिवासी महिला सरपंच ने बताया कि उन्होंने शासन को कई बार अपनी दुख भरी कहानी, शिकायत की लेकिन, कुछ नहीं हुआ, किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
थाने में नहीं हुई सुनवाई
आदिवासी महिला सरपंच विद्या कहती हैं, "मुझे सेक्रेटरी सरपंची नहीं करने देता. वह धमकी देता है कि मार दूंगा. कहता है कि मैं 5 साल तक तुम्हें ऐसे ही बैठे रहने दूंगा. काम नहीं करने दूंगा, तुम्हें मार डालूंगा. सेक्रेटरी मुझे बताता है कि काम हो रहे हैं, लेकिन सब वही कर रहा है. पता नहीं क्या करता है... साइन वगैरा मैं कर देती हूं." विद्या ने बताया कि सरपंच के चुनाव में सेक्रेटरी ने भी अपना प्रत्याशी खड़ा किया था, लेकिन वह हार गया. और विद्या जीत गईं. इसलिए वह विद्या से चिढ़ता है और खुद ही पंचायत का पैसा खर्च करता है और महिला सरपंच को मारने की धमकी देता है. महिला सरपंच ने बताया कि उन्होंने सेक्रेटरी की शिकायत थाने में की. लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं होती.
उप सरपंच कर रहा सरपंची
शिवपुरी जिले की बदरवास ग्राम पंचायत और झिरी ग्राम पंचायत की कहानी भी कुछ इसी तरह की है. यहां लोकतांत्रिक तरीके से महिला सरपंच को चुना गया, लेकिन इनकी सरपंची सिर्फ नाममात्र की ही है. ग्राम पंचायत थामन टूक ब्लॉक बदरवास की सरपंच विमला बाई हैं. उनके घर में शौचालय तक नहीं है. बस है तो एक टूटा-फूटा सा मकान. पंचायत में डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा के विकास काम हुए, लेकिन इन्हें कुछ भी नहीं पता. लोग इन्हें सिर्फ नाम के लिए सरपंच कहते हैं और असली सरपंची यहां के उप सरपंच श्याम बिहारी के पास है.
महिला सरपंच पर 25 लाख की रिकवरी
महिला सरपंचों में सबसे दर्दनाक कहानी शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत झिरी की सरपंच की है. इस पंचायत की सरपंच एक आदिवासी महिला पप्पी हैं. वे 2022 में सरपंच चुनी गईं, लेकिन इनकी सरपंची पर दबंगों का कब्जा है. दुख भरी बात यह है कि उनके ऊपर सरकारी रिकवरी डाल दी गई है. वह भी पूरे 25 लाख रुपये की. अब किसी तरह रिकवरी को पूरा करने के लिए वे मजदूरी कर रही हैं और हर रोज कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रही हैं. पप्पी सिर्फ कहने को महिला सरपंच हैं, दबंगों के आगे वह सिर्फ न्याय के लिए गुहार लगा रही हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
अधिकारियों ने कही यह बात
वहीं इस पूरे मामले में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर जब NDTV की टीम ने जिला पंचायत सीईओ उमराव मरावी से बात की तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि जो कुछ भी जनपद अध्यक्ष का काम पति कर रहे हैं वह गैरकानूनी है, गलत है. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. महिला सरपंचों की बदहाली पर वे कहते हैं, हम उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें सारी योजनाओं के बारे में अवगत करा रहे हैं. जिला पंचायत सीईओ ने कहा, हमने आदेश दिए हैं कि सारे जनपद सीईओ महिला सरपंचों की ट्रेनिंग करें. हमारे जिले में 300 से ज्यादा महिला सरपंच हैं.
जिला पंचायत सीईओ उमराव मरावी ने कहा, "अधिकांश जगह में तो ऐसा नहीं है, लेकिन कुछ जगह पर ऐसा है. मैंने स्वयं जनपद पंचायत बदरवास में जांच के लिए भेजा था. जांच के बाद वस्तु स्थिति जानकर आए हैं, लेकिन हमने सभी जनपद सीईओ को यह निर्देश दिया है कि जितनी भी महिला जनप्रतिनिधि हैं उनकी एक 15 दिन में मीटिंग की जाए और उन्हें विभाग के बारे में, कार्यों के बारे में और योजनाओं के बारे में बताएं."
उन्होंने कहा, "हमने निर्देश दे दिया है, फिर भी कोई शिकायत मिलती है तो हम इसको संज्ञान में लेंगे और कार्रवाई करेंगे. सतनवाड़ा खुर्द ग्राम पंचायत की जहां तक बात है तो वहां सचिव और सरपंच के बीच आपसी झगड़ा है. उनकी एफआईआर भी हो चुकी है. जहां तक जनपद शिवपुरी की बात है तो जनपद अध्यक्ष के पति को ऐसा नहीं करना चाहिए था. उन्हें खुद सोचना चाहिए था कि उन्हें उस कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए."
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