
Sheetala Mandir Rajgarh: सनातन धर्म में माता शीतला को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है. शीतला सप्तमी के दिन माता शीतला (Sheetala Mata) को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. होली के सात दिन बाद शीतला सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है. इसे बसौड़ा भी कहा जाता है. इस दिन माता शीतला की खास पूजा की जाती है. इस साल 2025 में शीतला सप्तमी 21 मार्च को पड़ा है. इसी क्रम में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कई जिलों में माता की पूजा के लिए भक्तों ने देर रात से ही लाइन लगा दिया. उज्जैन, राजगढ़ (Rajgarh) और देवास जिले में भक्तों की लंबी लाइन देखने को मिली. सभी माता को बासी खाने का भोग लगाने के लिए आए थे.

शीतला माता को भोग लगाने के लिए लंबी लाइन
सुख-सौभाग्य की मांगते हैं मनोकामना
कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शुक्रवार को शीतला सप्तमी का पर्व मनाया गया. महिलाएं सुख सौभाग्य और अरोग्यता की कामना से शीतला माता का पूजन करने रात्रि 12 बजे से ही पहुंचने लगी, जहां नगर परिषद जीरापुर ने अनोखी व्यवस्था की है. परिषद ने कारपेट बिछाया और लाइट की व्यवस्था की. मान्यता है कि शीतला माता के पूजन से संक्रमण जनित व्याधियों का नाश होता है. इसलिए शीत व ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल में शीतला पूजन की परंपरा है.
उज्जैन के घरों में नहीं जला चूल्हा
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में रंगपंचमी के दूसरे दिन सप्तमी का त्योहार मनाया गया. इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलता है. महिलाएं शीतला माता को ठंडा भोजन चढ़ाती है और लोग भी बासी खाना ही खाते हैं. इस खास दिन पर माता की पूजा करने और उन्हें भोग लगाने के लिए भक्तों ने रात 12 बजे से ही लाइन लगाया.

देवास में शीतला माता को भक्तों ने लगाया भोग
देवास में शीतला माता को लगा खास भोग
होली के सातवें दिन माता शीतला को ठंडे व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. देवास जिले के भगतसिंह मार्ग स्तिथ गोया में शीतला माता रियासत कालीन मंदिर पर महिलाओं ने प्रातः काल से शीतला माता को ठंडे व्यंजनों का भोग लगाकर सुख-समृद्धि के साथ रोगों से मुक्ति की प्रार्थना की. महिलाओं ने पूजा के बाद मां को मीठा भात, खाजा, चूरमा, मगद, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी,राबड़ी, बाजरे की रोटी, पूड़ी, सब्जी भोग लगाया.
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शीतला माता को ठंडा खाना चढ़ाने की परंपरा
मौसम में बदलाव के समय शारीरिक संतुलन के दृष्टिकोण से भी एक दिन पहले बना ठंडा भोजन देवी को अर्पण कर प्रसाद रूप में ग्रहण करने की मान्यता है. ऐसा कहा जाता है कि यह करने से माता की कृपा प्राप्त होती है, बाल बच्चों को शीत जनित रोग नहीं सताते और ठंडा भोजन प्राप्त करने से रेजिस्टेंस पावर बढ़ता है. इससे वसंत ऋतु के साथ-साथ गर्मी के लिए भी स्वास्थ्य बेहतर होता है. आयुर्वेद इस संबंध में अलग-अलग प्रकार के विचार व्यक्त करता है.
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