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शहादत को आखिरी सलाम... पंचतत्व में विलीन हुए शहीद संजय मीणा, 10 साल के बेटे ने दी मुखाग्नि

देवास जिले के संवरसी गांव के वीर नायक Sanjay Meena ने देश की सेवा करते हुए शहादत दी. अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी के दौरान भूस्खलन में फंसे संजय को तीन दिन तक रेस्क्यू किया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. शनिवार को गांव में Guard of Honor Ceremony के साथ अंतिम विदाई दी गई. पढ़ें Indian Army Hero Tribute और Military Sacrifice News

शहादत को आखिरी सलाम... पंचतत्व में विलीन हुए शहीद संजय मीणा, 10 साल के बेटे ने दी मुखाग्नि

Sanjay Meena Martyr: देवास जिले के संवरसी गांव के वीर पुत्र नायक संजय मीणा ने देश की सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया. वे अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी के दौरान आए भूस्खलन की चपेट में आने से शहीद हो गए. शनिवार को गांव में शहीद संजय मीणा को राजकीय सम्मान और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गई.

संजय की पत्नी ने संजय के लिए करवाचौथ का व्रत भी रखा था और पूजा भी की. और अगले दिन सुबह ही संजय का पार्थिव शरीर तीरंगे में लिपटकर उनके घर पहुंच गया.  

जहां खेले-कूदे, वहीं मिली अंतिम विदाई

संजय मीणा को उनके पैतृक गांव संवरसी में अंतिम संस्कार के लिए शनिवार को लाया गया. जिन गलियों में वो बचपन में खेलते-कूदते बड़े हुए, उन्हीं गलियों से अब उनकी अंतिम यात्रा निकली. इस दौरान पूरा गांव में लोगों ने फूलों की वर्षा कर अपने लाल को श्रद्धांजलि दी. “संजय मीणा अमर रहे!” और “भारत माता की जय” के नारों से पूरा माहौल गूंज उठा.

भूस्खलन में फंसे, तीन दिन तक चला रेस्क्यू

जानकारी के अनुसार, संजय मीणा अपनी यूनिट के साथ अरुणाचल प्रदेश में मिलिट्री ट्रेनिंग पर गए थे. गश्त के दौरान अचानक भूस्खलन हुआ, जिसमें वे गहरी घाटी में दब गए. सेना के जवानों ने लगातार तीन दिन तक अथक प्रयास किया और उन्हें बाहर निकाला. इसके बाद उन्हें हरियाणा के अंबाला यूनिट में लाया गया, लेकिन डॉक्टरों की कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका.

सीएम यादव ने भी दी श्रद्धांजलि

गांव में उमड़ा जनसागर, आंखें हुईं नम

शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया और शनिवार सुबह इंदौर एयरपोर्ट से सेना के वाहन द्वारा संवरसी गांव पहुंचाया गया. पूरे रास्ते लोग फूल बरसाते रहे और देशभक्ति के गीतों से माहौल गूंजता रहा. गांव पहुंचते ही परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था.

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10 साल के बेटे ने दी मुखाग्नि

दोपहर करीब 12 बजे सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर उन्हें अंतिम सलामी दी. उसके बाद 10 वर्षीय पुत्र युवराज मीणा ने अपने पिता को मुखाग्नि दी. यह क्षण पूरे गांव के लिए बेहद भावुक था. 

स्मृति को अमर बनाने की घोषणा

अंतिम संस्कार के दौरान सोनकच्छ विधायक डॉ. राजेश सोनकर ने घोषणा की कि गांव में शहीद संजय मीणा की स्मृति में स्मारक और द्वार बनाया जाएगा. साथ ही गांव के हायर सेकेंडरी स्कूल का नाम भी उनके नाम पर रखा जाएगा.  

साथियों की आंखों में यादें और गर्व

संजय मीणा के सैनिक साथियों ने उन्हें अनुशासित, ईमानदार और देशभक्त बताया. उनके दोस्त अमर चौधरी ने कहा कि संजय हमेशा अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानते थे. वो हर मुश्किल परिस्थिति में भी मुस्कुराते रहते थे और साथियों को प्रेरित करते थे कि “देश सेवा से बड़ा धर्म कोई नहीं.” शहीद के बड़े भाई रिटायर फौजी राम प्रसाद मीणा ने कहा कि "संजय अब हमारे बीच नहीं हैं, पर उनकी बहादुरी हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी." 

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