MP Unemployment : मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या गंभीर होती जा रही है. बीते 5 महीनों में प्रदेश में 35,186 नए बेरोजगार जुड़े हैं. अब प्रदेशभर में 26,17,945 पंजीकृत बेरोजगार हैं. अकेले भोपाल में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग नौकरी की तलाश कर रहे हैं. यह आंकड़े सरकार ने विधानसभा में पेश किए हैं. हैरत की बात तो ये है कि सरकार अपने पिता की दुकान पर बैठने या खेत में काम करने वाले युवाओं को बेरोजगार नहीं मानती. राज्य के कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री गौतम टेटवाल का कहना है,
रीवा के अभिषेक गौतम जैसे कई युवा हैं जिन्होंने पढ़ाई पूरी कर ली लेकिन नौकरी नहीं मिल रही. अभिषेक ने 2018 में इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. उन्होंने कहा कि मेरे कॉलेज में प्लेसमेंट के मौके नहीं आए. तब से मैं बेरोजगार हूं.
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अभिषेक गौतम
उमरिया जिले के सुरेंद्र यादव भी इंजीनियर हैं. वे इंदौर में MPPSC की तैयारी कर रहे हैं. उनके पिता किसान हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. मायूस होते हुए सुरेंद्र ने बताया,
क्या कहते हैं आंकड़ें ?
बेरोजगारी पर विपक्ष ने साधा निशाना
विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है. कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने कहा, "जुलाई से अब तक हर महीने 6,000 बेरोजगार बढ़े हैं. सरकार इस दिशा में कुछ भी नहीं कर रही. वह सिर्फ असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम कर रही है."
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मंत्री जी का क्या तक है?
मंत्री गौतम टेटवाल ने विधानसभा में कहा, "बेरोजगारों की संख्या नहीं बढ़ी है बल्कि रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है. जिनका नाम पंजीकरण में है वे भी रोजगार में लगे हो सकते हैं, लेकिन बेहतर नौकरी की तलाश में हैं. अगर पिताजी की दुकान पर कोई बेरोजगार बैठता है, तो वह रोजगार में ही लगा है. अगर पिता के साथ खेत में काम कर रहा है, तो वह भी रोजगार में लगा है. उसे बेरोजगार कैसे कहेंगे? हां, उसने नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन किया है. यह रजिस्ट्रेशन की संख्या है, बेरोजगारों की नहीं."
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.... लेकिन इन सब के बीच युवाओं का कहना है कि बेरोजगारी का पैमाना सरकार की नजर में क्या है, ये साफ नहीं है. कुछ युवाओं के लिए छोटी नौकरियां भी मुश्किल हैं. मध्य प्रदेश में बेरोजगारी के आंकड़े चिंताजनक हैं. बीते 5 महीनों में हर महीने लगभग 7,000 बेरोजगार बढ़े हैं. लेकिन सरकार अपने पिता के साथ दुकान पर बैठने और खेत में काम करने वाले युवाओं को बेरोजगार नहीं मानती. सवाल यह है कि आखिर जिम्मेदारों की नजर में बेरोजगारी का पैमाना क्या है ? और युवाओं को रोजगार कब मिलेगा?
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