
Rewa Sunderja Aam: मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गोविंदगढ़ की दो चीजें पूरी दुनिया मे मशहुर है. एक गोविंदगढ़ का सफेद बाघ, दुसरा सुंदरजा आम. आज बात सुदंरजा की, गोविंदगढ़ के किले में 1885 में तत्कालीन महाराजा रघुराज सिंह ने इस आम की वैरायटी को ईजाद किया था. इस आम की ढेरों सारी खासियत है, शुगर कम है, रेशे नहीं होते, कलर गोल्डन है,देखने में बेहद सुंदर है, जिसके चलते इसको नाम दिया गया सुंदरजा.
मिल चुका है जीआई टैग
साल 2023 में इस आम को जीआई टैग दिया गया, सुंदरजा आम को दिल्ली में 1970 में प्रथम पुरस्कार मिला था, उसके बाद इस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने डाक टिकट भी जारी किया था. आम के सीजन में जो भी रीवा आता है, इस आम की फरमाइश करता है. 4 जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी रीवा आए थे. उन्होंने मंच से सुंदरजा आम को याद किया .
140 साल पहले बनाया गया था ये आम
संभागीय मुख्यालय रीवा से 20 किलोमीटर दूर है गोबिंदगढ़. गोविंदगढ़ किले में आज से लगभग 140 साल पहले रीवा के तत्कालीन महाराजा रघुराज सिंह ने सुंदरजा आम की खोज की थी. इस आम की ढेरों खासियत है. सबसे बड़ी खासियत सुंदरजा को खाने के बाद हाथ में इसकी खुशबू लंबे समय तक बरकरार रहती है, सुंदरजा आम में रेशे नहीं होते, आप इसको आइसक्रीम की तरह चम्मच से निकाल कर खा सकते हैं. सुंदरजा में शुगर की मात्रा काफी कम होती है, जिसके चलते इस आम का सेवन शुगर से पीड़ित व्यक्ति भी कर सकता है.अपनी इन्हीं विशेषताओं की वजह से यह आम आज पूरी दुनिया मे मशहुर है.

सुंदरजा आम बाग, रीवा
तत्कालीन रीवा महाराजा रघुराज सिंह ने राघव महल के बाहर 8 एकड़ के रकबे में इस आम को लगवाया था. लंबे समय तक सुंदरजा किले के अंदर ही रहा और रीवा राज घराने का प्रिय फल बना रहा. यह आम गोविंदगढ़ के किले के बाहर निकला 1970 में जब इसको दिल्ली में आमों की एक प्रदर्शनी में ले जाया गया, जहां सुंदरजा को प्रथम पुरस्कार मिला. इसके चलते आमों का राजा 1970 में सुंदरजा बन गया. उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सुन्दरजा आम पर डाक टिकट जारी किया.
क्यों मिला प्रथम पुरस्कार?
रीवा कुठुलिया फार्म के वैज्ञानिक और इस आम को जीआई टैग दिलाने मे प्रमुख भूमिका निभाने वाले डॉ टीके सिंह के अनुसार, सुंदरजा की बात की जाए तो, इस आम का वृक्ष अन्य आमों की तरह ही होता है, लंबे समय तक फल देता है. इसकी ऊंचाई 5. 36 मी, कैनओपी 4.88 मीटर, चौड़ाई 7.48 मी, होती है.

सुंदरजा आम: आम हो तो ऐसा!
वजन की बात की जाए तो इसका औसत वजन 350 ग्राम होता है. लंबाई में यह 12.2 इंच होता है. इसकी चौड़ाई 7.93 इंच होती है. पकने के बाद सुंदरजा गोल्डन कलर का हो जाता है. जो देखने में बेहद खूबसूरत लगता है. आम की बात की जाए तो इसमें पील 14.03 स्टोन 12.37 पल्प 75.52 एसीडीटी. 29 टी.एस.एस (शुगर) 22.23 पाई जाती है. सुंदरजा की महक खाने के बाद देर तक देर तक बनी रहती है. इस आम को लगभग 10 से 12 दिन तक रखा जा सकता है. सुंदर जा आम को 1970 में दिल्ली में लगी प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्कार मिला था.उसके बाद तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह ने सुंदरजा आम को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भेंट किया, यह उन्हें बेहद पसंद आया. उसके बाद से ही रीवा आने पर और रीवा से जाने वालों को आम के सीजन के समय सुंदरजा भेंट करने का रिवाज ही बन गया.
विदेशों में भारी डिमांड
उन्होंने बताया कि 1971-72 में इसके ऊपर 50 पैसे का एक डाक टिकट जारी किया गया. 1971-72 में डाक टिकट जारी होने के बाद सुंदरजा आम किले से बाहर निकला और पहुंच गया रिसर्च के लिए रीवा के एग्रीकल्चर कॉलेज के कुठलिया अनुसंधान केंद्र. गोविंदगढ़ किले और उसके आसपास की मिट्टी इस आम की वैरायटी को बेहद सूट करती है. यहां के पेड़ों पर लगा आम और अन्य जगहों पर लगा आम दोनों के स्वाद में कुछ अंतर आ जाता है. साइज भी बदल जाती है. आमतौर पर सुंदरजा आम 200 से लेकर 500 ग्राम तक का होता है. कीमत की बात की जाए तो यह आम 150 रुपए से लेकर रुपए 500 तक बिकता है. रीवा और उसके आसपास की बात तो छोड़ दीजिए, इस आम की डिमांड विदेश में भी बेहद ज्यादा है, जी आई टैग प्राप्त होने की वजह से अब इसको आसानी से एक्सपोर्ट भी किया जाता है. एक बार इस आम का स्वाद चखने के बाद कोई भी व्यक्ति सुंदर जा आम का स्वाद नहीं भूल पाता. बार-बार उसको सुंदरजा याद आता है. जिसका बड़ा उदाहरण पिछले दिनों रीवा के गंगैंव में प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के मंच से दिए भाषण पर भी देखा जा सकता है.
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