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This Article is From Jan 26, 2024

Republic Day Special: ग्वालियर में रखी है संविधान की मूल प्रति, भारत के गौरवशाली इतिहास की है झलक

Copy of the Constitution: ग्वालियर में संविधान की मूल प्रति आज भी सुरक्षित है. ग्वालियर में महाराज बाड़ा स्थित केंद्रीय पुस्तकालय में आज भी भारतीय संविधान की एक दुर्लभ प्रति सुरक्षित रखी हुई है. जिसे हर वर्ष संविधान दिवस, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर आम लोगों को दिखाने की व्यवस्था की जाती है.

Republic Day Special: ग्वालियर में रखी है संविधान की मूल प्रति, भारत के गौरवशाली इतिहास की है झलक
संविधान की यह मूत प्रति आज भी ग्वालियर में सुरक्षित रखी हुई है.

The Original Copy of the Constitution of India: कई बलिदानियों और लंबे संघर्ष के बाद देश को मिली आजादी को देश के लिए कल्याणकारी और न्यायसंगत बनाने और सत्ता का सुचारू संचालन के लिए स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं ने संविधान (Constitution) बनाया. इस संविधान को बनाने में देश के नेताओं, समाज सुधारक और न्यायविदों ने देश की जरूरतों, मान्यताओं और परिस्थितियों का वर्षों अध्ययन किया और लंबी कवायद के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हुआ. जिसके बाद आज के दिन यानी 26 जनवरी 1950 को संविधान को अपनाया गया. इसलिए इस दिन हम गणतंत्र दिवस (Republic Day) के रूप में मनाते हैं.

भारतीय संविधान का एक भावनात्मक रिश्ता ग्वालियर से भी रहा है. ग्वालियर में संविधान की मूल प्रति आज भी सुरक्षित है. ग्वालियर में महाराज बाड़ा स्थित केंद्रीय पुस्तकालय में आज भी भारतीय संविधान की एक दुर्लभ प्रति सुरक्षित रखी हुई है. जिसे हर वर्ष संविधान दिवस, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर आम लोगों को दिखाने की व्यवस्था की जाती है. अब यह पुस्तकालय डिजिटल हो चुका है लिहाजा इसकी डिजिटल कॉपी भी देखने को मिलती है. हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग संविधान की इस मूल प्रति को देखने ग्वालियर पहुंचते हैं. 

सिंधिया शासकों ने बनवाया था पुस्तकालय

बता दें कि 1927 में सिंधिया शासकों ने इस केंद्रीय पुस्तकालय की स्थापना कराई थी. तब यह पुस्तकालय मोती महल में था और इसका नाम आलीजा बहादुर लाइब्रेरी था. कालांतर में इसे महाराज बाड़ा स्थित एक भव्य स्वतंत्र भवन में स्थानांतरित कर दिया गया. स्वतंत्रता के बाद इसका नाम संभागीय केंद्रीय पुस्तकालय कर दिया गया. गणतंत्र दिवस के मौके पर संविधान की मूल प्रति देखने के लिए इस पुस्तकालय में बड़ी संख्या में युवक और युवतियां आते हैं.

Copy of Constitution in Gwalior

संविधान के इस मूत प्रति में संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं.

ग्वालियर कैसे पहुंची संविधान की मूल प्रति 

आपको बता दें, अंग्रेजी भाषा में लिखे गए हस्तलिखित संविधान की कुल 11 प्रतियां तैयार की गयी थी. इसकी एक प्रति संसद भवन में रखने के साथ ही कुछ प्रतियों को देश के अलग-अलग हिस्सों में रखा गया, ताकि लोग अपने संविधान को देख सकें. इसी के तहत एक प्रति ग्वालियर के केंद्रीय पुस्तकालय में भी भेजी गई. ग्वालियर में संविधान की इस प्रति की सुरक्षा और संरक्षण की खास व्यवस्था गई है.

संविधान की इन प्रतियों की सबसे खास बात यह है कि सभी ग्यारह प्रतियों के अंतिम पन्ने पर संविधान सभा के सभी 286 सदस्यों ने मूल हस्ताक्षर किए थे, जो आज भी इस पर अंकित हैं. इसमें सबसे ऊपर पहला हस्ताक्षर संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद के हैं. इनके साथ ही संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के भी हस्ताक्षर हैं.

संविधान में की गई है कैलीग्राफी 

केंद्रीय पुस्तकालय के अधिकारी के अनुसार संविधान की मूल प्रतियां हस्तलिखित हैं. इसके साथ ही इनमें सुन्दर शब्दांकन करने के लिए कैलीग्राफी करवाई गई है और इनकी सजावट सोने से की गई है. संविधान पहले पेज को सोने से सजाया गया है. इसके अलावा इसके हर पेज की सजावट और नक्काशी स्वर्ण पॉलिश से कराई गई है. संविधान की इस पाण्डुलिपि में भारत के गौरवशाली इतिहास की झलक भी मिलती है. इसके अलग-अलग पन्नों पर इतिहास के विभिन्न कालखंडों यानी मोहन जोदाड़ो, महाभारत काल, बौद्ध काल और अशोक काल से लेकर वैदिक काल तक की मुद्राएं, सील और चित्र अंकित किए गए हैं.

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