Ratlam SP Amit Kumar Coaching classes: रतलाम पुलिस अधीक्षक (SP) अमित कुमार (Amit Kumar) ने गरीब और आदिवासी बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Examination) की तैयारी में मदद करने के लिए एक सराहनीय पहल की है. आर्थिक तंगी के कारण जिन बच्चों के लिए उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एक सपना बन चुकी थी, अब वे एसपी अमित कुमार के निर्देशन में मुफ्त कोचिंग के माध्यम से अपने सपनों को साकार कर सकेंगे.
रतलाम पुलिस अब केवल कानून-व्यवस्था का पालन कराने तक सीमित नहीं है. एसपी अमित कुमार के नेतृत्व में पुलिस विभाग ने एक ऐसी कोचिंग शुरू की है, जो आदिवासी और गरीब बच्चों को एमपी पीएससी, पुलिस आरक्षक, सब-इंस्पेक्टर, संविदा शिक्षक और पटवारी सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराएगी.
कक्षा में पुलिस अधिकारी भी बने शिक्षक
इस विशेष पहल के तहत, खुद एसपी अमित कुमार और पुलिस विभाग के अन्य अधिकारी बच्चों को पढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इसके अलावा, डीएसपी सैलाना और नीलम बघेल भी बच्चों को पढ़ाते हुए नजर आ रही हैं. इसके अलावा, विषय विशेषज्ञ भी बच्चों को विभिन्न विषयों में मार्गदर्शन देंगे.
ऐसे कराई जाएगी तैयारी
- शिक्षा अवधि: कोचिंग का समय चार से छह महीनों का होगा.
- विशेष टेस्ट: नियमित अंतराल पर टेस्ट लिए जाएंगे, ताकि बच्चों की प्रगति परख सकें और उनकी कमजोरियों को दूर किया जा सके.
- विषय कवरेज: प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित सभी मुख्य विषय पढ़ाए जाएंगे.
बच्चों के लिए उम्मीद की नई किरण
जब एसपी अमित कुमार ने खुद सैलाना पहुंचकर बच्चों को पढ़ाया, तो बच्चों ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि अब वे बिना आर्थिक दबाव के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे. बच्चों ने कहा कि हमें पुलिस विभाग से ऐसी मदद की उम्मीद नहीं थी, लेकिन इस पहल ने हमें हमारे सपनों को साकार करने का अवसर दिया है.
"थाना नहीं, शिक्षा का मंदिर"
यह पहल पुलिस थाने की पारंपरिक छवि को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. जहां कभी वर्दी रौब का प्रतीक मानी जाती थी. अब वही वर्दी बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षण का माध्यम बन गई है.
एसपी अमित कुमार ने बताया ये उद्देश्य
एसपी अमित कुमार ने इस पहल को लेकर कहा कि हमारा मकसद केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखना नहीं, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को उनका हक दिलाने और उनके सपनों को साकार करने में मदद करना भी है. बच्चों की मेहनत और इस कोचिंग का परिणाम उनकी सफलता के रूप में देखने का हमें इंतजार रहेगा.
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रतलाम पुलिस की यह अनूठी पहल समाज में बदलाव की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है. गरीब और आदिवासी बच्चों को सशक्त बनाने और उनके सपनों को उड़ान देने में यह प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है.
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