Ayodhya Ram Temple Flag Hoisting Ceremony: अयोध्या में राम मंदिर परिसर के शिखर पर 'ध्वजारोहण' के कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं. सफाई से लेकर सुरक्षा के खास बंदोबस्त किए गए हैं. 25 नवंबर को लगभग चार घंटे चलने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेता शामिल होंगे. अयोध्या में तैयारियों के बीच राम जन्मभूमि परिसर के निकास मार्ग पर 'सुग्रीव पथ' नाम का साइनबोर्ड लगाया गया है. लोक निर्माण विभाग ने ध्वजारोहण समारोह से पहले यह बोर्ड लगाया. प्रधानमंत्री मोदी के 25 नवंबर को अयोध्या के दौरे से पहले भारत-नेपाल बॉर्डर तक सुरक्षा काफी कड़ी कर दी गई है.
पहले देखिए ध्वजारोहण समारोह के इनविटेशन कार्ड का वीडियो
#WATCH उत्तर प्रदेश: 25 नवंबर को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में होने वाले ध्वजारोहण समारोह के इनविटेशन कार्ड का वीडियो। PM नरेंद्र मोदी भी समारोह में शामिल होंगे। pic.twitter.com/H0gXTFNk93
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 20, 2025
कैसा है ध्वज?
रामनगरी अयोध्या एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को राम मंदिर परिसर में विशेष रूप से तैयार किए गए दिव्य ध्वज का अनावरण और ध्वजारोहण करेंगे. यह ध्वज न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि भारतीय अध्यात्म, इतिहास और पर्यावरणीय संदेशों की गहराई भी समेटे हुए है. विशेष डिजाइन के इस ध्वज की लंबाई 11 फीट और चौड़ाई 22 फीट रखी गई है, जो अपने आप में भव्य और अनोखा है. ध्वज के डिजाइन और रिसर्च का जिम्मा ललित मिश्रा ने संभाला.
#WATCH | Ahmedabad, Gujarat: Flag manufactured in Ahmedabad to be used in the flag hoisting ceremony at Shri Ram Janmabhoomi temple. It will be hoisted by PM Modi on November 25.
— ANI (@ANI) November 20, 2025
Kashyap Mevada, flag manufacturer, says, "It is made from a three-layer fabric... It took almost 25… pic.twitter.com/VevuWNIBPd
सूर्य भगवान राम के सूर्यवंशी वंश होने का प्रतीक है, जो शौर्य, तेज और पराक्रम की ऊर्जा दर्शाता है. वहीं ॐ सनातन संस्कृति के अध्यात्म, अनंतत्व और निरंतर गतिशीलता का प्रतीक है. डिजाइनर ललित मिश्रा बताते हैं कि ‘ॐ' का समावेश यह संदेश देता है कि सनातन न कभी नष्ट होता है, न समाप्त, वह निरंतर परिवर्तन और सृजनशीलता के साथ आगे बढ़ता रहता है. सबसे कठिन लेकिन महत्वपूर्ण भाग था कोविदार वृक्ष की पहचान. त्रेता युग के इस वृक्ष का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में, विशेष रूप से अयोध्या कांड में कई बार मिलता है.
साथ ही यह ध्वज 360 डिग्री घूमने की तकनीक के साथ स्थापित किया जाएगा, जिससे यह सदैव लहराता हुआ प्रतीत होगा. राम मंदिर में ध्वज फहराने का यह क्षण श्रद्धा और गौरव के साथ-साथ वैदिक इतिहास की पुनर्स्थापना का भी प्रतीक बनकर सामने आएगा. 25 नवंबर को पूरा देश और विश्व की हिंदू संस्कृति उस पल पर नजरें जमाए रहेगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिव्य ध्वज का उद्घाटन करेंगे. यह ध्वज आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास, अध्यात्म और प्रकृति के संरक्षण का संदेश बनकर खड़ा रहेगा.
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