
Eye Donation: राजगढ़ जिले में एक 7 वर्षीय मासूम बच्ची की नाइट्रोजन से भरे टैंक में गिरने से मौत हो गई, लेकिन मौत के बाद भी मासूम की आंखों से 4 लोगों को रोशनी मिल गई. हादसे में मासूम की मौत के बाद मृतका के परिजनों नवज्योति नेत्रदान समिति की सलाह पर आंखों को दान करने का फैसला किया, जिससे चार लोगों को आंखों को नई रोशनी मिल गई.
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चार लोगों को नेत्र-ज्योति देकर मासूम ने रचा इतिहास
रिपोर्ट के मुताबिक नाइट्रोजन टैंक में गिरने से हादसे की शिकार हुई 7 वर्षीय मासूम वाहिनी गुप्ता जिले के खुजनेर इलाके में एक विवाह समारोह में गई थी और नन्हीं मासूम वाहिनी खेलते समय अचानक नाइट्रोजन टैंक में जा गिरी. नाइट्रोजन में गिरने से मासूम का 80 फीसदी शरीर झुलस गया था और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
नाइट्रोजन टैंक में गिरकर 80% झुलस गई थी मासूम
बताया जाता है नाइट्रोजन टैंक में गिरने से 80 फीसदी झुलसी मासूम को इलाज के लिए परिजन इंदौर लेकर गए, लेकिन वेंटिलेटर सपोर्ट के बाद भी उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. मासूम की मौत के बाद शनिवार शाम को परिवार ने नवज्योति नेत्रदान समिति के माध्यम से एमके इंटरनेशनल आई बैंक इंदौर नेत्रदान करने का फैसला किया.
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आंखों का दान देकर परिवार ने पेश किया बड़ा उदाहरण
गौरतलब है ऐसे विरले ही उदाहरण मिलते हैं जब कोई परिजन मासूम की आंखों के दान के लिए तैयार होता है, लेकिन राजगढ़ जिले के राजेश गुप्ता ने अपनी बच्ची की आंखों का दान देकर बड़ा उदाहरण पेश किया, जिससे न केवल लोगों को प्रेरणा मिलेगी, बल्कि इससे चार लोगों को फिर दुनिया देखने में मदद मिली है.