Ragging in MGM College: इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का मामला थमता नजर नहीं आ रहा है. हालात ये है कि रैगिंग से परेशान होकर जूनियर्स को एक्स पर पोस्ट कर अपनी दर्दनाक दास्तान बयान करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. हेल्प मी प्लीज नाम के एक्स हैंडल से छात्रों ने रैगिंग से बचाने के लिए प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव से गुहार लगाई है. छात्रों ने अपने पोस्ट में लिखा है कि हॉस्टल बना ‘रावण की लंका. वहीं, इस मामले के सामने आने के बाद इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह ने जींच टीम का गठन कर रिपोर्ट तलब की है.
दरअसल, इंदौर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में रैगिंग की घटनाओं ने गंभीर रूप ले लिया है. एक अज्ञात जूनियर छात्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स' पर अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया है कि सीनियर्स ने हॉस्टल को 'रावण की लंका' बना दिया है.
“नशा करके लेते हैं रैगिंग”
छात्र ने लिखा कि सीनियर्स नशा करके रात 10:30 बजे से सुबह 5:30 बजे तक जूनियर्स को प्रताड़ित करते हैं. उन्हें असहज कपड़े पहनकर छत पर बुलाया जाता है और शारीरिक हिंसा की जाती है.
डर के कारण हॉस्टल छोड़ चुके हैं 30 छात्र
हालात ये है कि रैगिंग से डर कर 30 छात्रों ने हॉस्टल छोड़ दिया है. डर और दबाव के कारण ज्यादातर जूनियर छात्र अपनी पहचान उजागर करने से बच रहे हैं. छात्रों का कहना है कि सीनियर्स के डर से वे खुलकर इस मुद्दे पर बोलने से डरते हैं, लेकिन यह समस्या लगातार बढ़ता जा रही है.
सोशल मीडिया पर सीएम से लगाई मदद की गुहार
सीनियर्स की रैगिंग से परेशान होकर जूनियर छात्र ने ‘प्लीज हेल्प मी' नाम से अकाउंट बनाकर अपनी दर्द बयां की है. जहां वे अपनी आपबीती साझा कर रहे हैं. छात्रों ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से हॉस्टल का दौरा कर रैगिंग बंद कराने की मांग की है.
कॉलेज प्रशासन पर सवाल
रैगिंग के गंभीर आरोपों के बावजूद कॉलेज प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. यह सवाल खड़े करता है कि आखिर जूनियर्स को कब तक इस भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, इस पूरे मामले पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ दलाल ने बताया कि कॉलेज प्रशासन जांच में पूरा सहयोग करेगा. इसके साथ ही रैगिंग की इस घटना में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की भी बात कही है.
कलेक्टर के आदेश पर जांच शुरू
वहीं, इस मामले में कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर मंगलवार को एक जांच टीम का गठन किया गया. टीम में शामिल एसडीएम और तहसीलदार ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर जांच शुरू कर दी है. कलेक्टर ने जांच अधिकारियों से कॉलेज हॉस्टल में जूनियर स्टूडेंट्स के साथ सीनियर छात्रों द्वारा की गई रैगिंग के मामले में कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है. जांच में अब तक कई स्टूडेंट्स के बयान लिए गए हैं, जो इस घटना से संबंधित हैं.
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एम.जी.एम मेडिकल कॉलेज का यह मामला रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत को दर्शाता है. छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक है. सरकार और प्रशासन को इस मामले में कड़ा रुख अपनाना चाहिए.
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