
Madhya Pradesh Crime News; मध्यप्रदेश में सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर मेहरबान है. इसके उदाहरण NCRB के आंकड़ों में तो मिलते ही है लेकिन ताजा बानगी इंदौर के उप श्रमायुक्त रहे लक्ष्मीप्रसाद पाठक (Deputy Labor Commissioner Lakshmi Prasad Pathak) का है. बीते साल 10 नवंबर को श्रम विभाग के प्रमुख सचिव को लोकायुक्त (Lokayukta) ने खत लिखा था कि उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप पहली नजर में सही हैं, लिहाजा उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति दी जाए. इस पर कोई एक्शन तो नहीं हुआ लेकिन अब उसी श्रम विभाग ने लक्ष्मीप्रसाद पाठक को श्रम मंत्री प्रह्लाद पटेल (Prahlad Patel)का ओएसडी बना दिया है.
ये हालत तब है जबकि 10 नवंबर 2023 को भेजे अपने खत में लोकायुक्त में विशेष पुलिस स्थापना के महानिदेशक ने श्रम विभाग को जो खत भेजा था उसमें साफ लिखा है कि उप श्रमायुक्त के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश करना है इसलिये उसे अभियोजन की मंज़ूरी दी जाए . लोकायुक्त मंजूरी का इंतजार करते रह गए और अब यानी 9 जनवरी को श्रम विभाग ने अपने ही आदेश से श्रम मंत्री की निजी पदस्थापना में उन्हें ओएसडी बना दिया है. दरअसल मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों में जांच और अभियोजन में लंबे वक्त तक इजाज़त नहीं मिलने से कोर्ट में चालान देरी से पेश होता है जिसकी वजह से ऐसे मामले सालों तक कोर्ट में चलते रहते हैं और फैसला नहीं आता. अगर आंकड़ों की मानें तो मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के आरोपियों की संख्या 26 फीसदी तक बढ़ गई है. ये आंकड़े 2022 के हैं जो इसके पहले के दो सालों की स्थिति की तुलना करते हैं. अब आगे बढ़ने से पहले कुछ आंकड़ों पर निगाह डाल लेते हैं जो आपको चौंका सकते हैं.

NCRB के आंकड़ों पर भरोसा करें तो पता चलता है कि भ्रष्टाचार के मामले में देश में महाराष्ट्र टॉप पर है और मध्यप्रदेश छठे नंबर पर. लेकिन परेशानी ये है कि भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई के मामले में मध्यप्रदेश बेहद फिसड्डी है. यहां संबंधित विभाग द्वारा किसी भी आरोपी को दंड देने का रिकॉर्ड बेहद खराब है. जबकि पड़ोसी राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के दूसरे राज्यों में भ्रष्ट वरिष्ठ अधिकारी भी जेल की हवा खाते रहते हैं. सरकार के इस रवैये से कहीं न कहीं भ्रष्टाचारियों के हौंसले बुलंद हो रहे हैं.
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