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पीथमपुर में 'जहरीले कचरे' का विरोध, तमाम संगठनों ने 3 जनवरी को बुलाया शहर बंद

यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लेकर पीथमपुर में विरोध तेज हो गया है. इसे लेकर पीथमपुर से लेकर दिल्ली तक विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली में जंतर-मंतर पर पीथमपुर बचाओ समिति ने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में मानव अधिकार परिषद के कार्यकर्ता भी शामिल हुए. दूसरी तरफ पीथमपुर के महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर सर्वदलीय धरने का आयोजन किया गया. इ

पीथमपुर में 'जहरीले कचरे' का विरोध, तमाम संगठनों ने 3 जनवरी को बुलाया शहर बंद

Toxic waste in Pithampur: यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लेकर पीथमपुर में विरोध तेज हो गया है. इसे लेकर पीथमपुर से लेकर दिल्ली तक विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली में जंतर-मंतर पर पीथमपुर बचाओ समिति ने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में मानव अधिकार परिषद के कार्यकर्ता भी शामिल हुए. दूसरी तरफ पीथमपुर के महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर सर्वदलीय धरने का आयोजन किया गया. इसी दौरान एक युवक संदीप रघुवंशी अपने साथियों के साथ आमरण अनशन पर बैठ गए. 

आपको बता दें कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा 2 जनवरी को सुबह करीब 4:23 पर पीथमपुर पहुंचा. जहरीले कंटेनर को सुरक्षित पीथमपुर तक पहुंचाने के लिए ढाई सौ किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया इस दौरान सुरक्षा के सभी मानकों का खास ख्याल रखा गया. इस कचरे को पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड में नष्ट किया जाएगा. यह जहरीला कचरा जिस जगह नष्ट किया जाएगा उस क्षेत्र के आसपास बड़ी संख्या में रहवासी इलाका है. प्रशासन उनकी सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की बात कह रहा है. क्षेत्र के लोगों को यह डर सता रहा है कि यहां नष्ट किए जाने वाले जहरीले कचरे से आने वाले समय में पीथमपुर से लेकर इंदौर तक आबो हवा के साथ-साथ भूमिगत जल स्रोत भी दूषित होगा. जिसके परिणाम स्वरुप आने वाली पीढ़ियों पर भी इसका असर पड़ेगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी फसलें भी खराब हो जाएंगी. उधर महाराणा प्रताप बस स्टैंड के पास आमरण अनशन पर बैठे संदीप रघुवंशी ने कहा है कि जब तक पीथमपुर से जहरीला कचरा नहीं हटाया जाता तक वे और उनके साथी अनशन पर बैठे रहेंगे. इसके अलावा पीथमपुर के करीब सभी राजनीतिक और मजदूर संगठनों ने 3 जनवरी को शहर बंद बुलाया है. 

दूसरी तरफ एक्सपर्ट्स का कहना है कि 90 किलोग्राम प्रति घंटे की मानक दर से इस जहरीले कचरे को जलाया जाए तो भी इसे नष्ट करने में करीब 5 महीने का समय लगेगा. 337 टन जहरीला कचरा जलाए जाने के बाद राख का वैज्ञानिक परीक्षण कराया जाएगा. यदि ये सुरक्षित रहा तो इसे खास तौर पर बने लैंडफिल साइड पर डंप किया जाएगा.

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