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This Article is From Aug 28, 2023

सतना जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कथित लापरवाही से हुई गर्भवती महिला की मौत

परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी. लिहाजा परिजनों के बार-बार ड्यूटी डॉक्टर से ऑपरेशन करने की गुहार लगाने के बावजूद भी किसी डॉक्टर ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया.

सतना जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कथित लापरवाही से हुई गर्भवती महिला की मौत
सतना के सरदार बल्लभ भाई पटेल जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते इससे पहले भी गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है.
सतना:

सोमवार को सतना जिला अस्पताल में एक गर्भवती महिला की मौत पर सवाल खड़ा हो रहा है. महिला के परिजनों का आरोप है कि महिला अस्पताल में 24 घंटे तक दर्द से कराहती रही, लेकिन उसे देखने कोई भी डॉक्टर नहीं आया. जिसके बाद महिला ने दम तोड़ दिया.

परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महिला प्रसव पीड़ा से परेशान थी लेकिन किसी डॉक्टर ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया. जिसके बाद सोमवार की सुबह महिला की मौत हो गई. महिला के ससुर अच्छेलाल वर्मा ने इस मामले की शिकायत  सिविल सर्जन से की है. जिसके बाद प्रकरण की जांच बैठाई गई है. हालांकि इस गंभीर लापरवाही के संबंध में सिविल सर्जन डॉ. केएल सूर्यवंशी ने बात करने से मना कर दिया.

क्या है पूरा मामला?

मृतिका की पहचान ज्योति वर्मा (20) पति अन्नू वर्मा निवासी शिवराजपुर थाना सिंहपुर की रूप में हुई है. महिला को प्रसव पीड़ा होने के कारण उसके पति अन्नू वर्मा ने नागौद अस्पताल में उसे भर्ती किया था. महिला के गर्भ में पहला बच्चा होने के कारण वह काफी तकलीफ में थी. लिहाजा स्थिति को देखते हुए उसे नागौद अस्पताल से सतना जिला अस्पताल रेफर किया गया. इस दौरान महिला के ससुर अच्छे लाल, सास पार्वती और देवर भोला वर्मा भी उसके साथ थे. महिला को काफी दर्द था लिहाजा परिजन चाहते थे कि उसका ऑपरेशन कर दिया जाए. कई चक्कर डॉक्टरों के पास काटने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई. अंतत: सुबह नौ बजे महिला की मौत हो गई.

सतना जिला अस्पताल में अक्सर हो रही ऐसी घटनाएं

सतना के सरदार बल्लभ भाई पटेल जिला चिकित्सालय में गर्भवती महिला की मौत का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई गर्भवती महिलाएं इसी प्रकार से दम तोड़ चुकी हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन अभी भी लापरवाही बरतने में कोई कमी नहीं कर रहा. जबकि प्रदेश सरकार मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए तमाम तरह की सुविधाएं भी दी जा रही हैं. फिर भी डॉक्टर इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.

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