
MP Police: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) से एक बहुत शर्मनाक खबर सामने आई है. आरोप है कि यहां पुलिस वालों ने चोरी के आरोप में न सिर्फ आदिवासी युवकों की पिटाई की, बल्कि उसके गुप्तांग में मिर्ची भी भर दी. इस मामले को लेकर आदिवासी समाज सड़कों पर है.
छतरपुर जिले के नौगांव थाना क्षेत्र से पुलिस बर्बरता की एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसमें चोरी के संदेह के आधार पर पांच आदिवासी युवकों के साथ बेरहमी से मारपीट की गई. इन युवकों पर न केवल शारीरिक हिंसा की गई, बल्कि एक युवक ने आरोप लगाया है कि उसके गुप्तांग में मिर्च भर दी गई. पीड़ितों का कहना है कि उन्हें थाने ले जाकर घंटों तक अवैध रूप से हिरासत में रखकर अमानवीय यातनाएं दी गयी.
न्याय के लिए धरने पर बैठा आदिवासी परिवार
इस अमानवीय व्यवहार से आहत पीड़ित आदिवासी परिवार अब भीम आर्मी के साथ मिलकर छतरपुर एसपी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गया है. पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने थाने बुलाकर न केवल मारपीट की, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया.
भीम आर्मी ने खोला मोर्चा
धरने में बैठे आदिवासी युवक प्रताप, जोकि खुद एक पीड़ित है. उसने बताया कि उन्हें बिना किसी पुख्ता सबूत के थाने में बंद किया गया और वहां बेरहमी से पीटा गया. वहीं, भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष आकाश ने इस पूरे मामले को दलित और आदिवासी उत्पीड़न बताते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
SP ने दिए जांच के आदेश
धरने के दौरान संयोग से मौके पर पहुंचे डीआईजी ललित शाक्यवार ने खुद पीड़ितों की बात को गंभीरता से सुना और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया. वहीं, छतरपुर एसपी अगम जैन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं.
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन
नौगांव एसडीओपी अमित मेश्राम ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि थाने में कुछ युवकों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, इस दौरान उनके साथ कुछ अनुचित व्यवहार हुआ है, जिसकी पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से भी हो रही है. उन्होंने कहा कि मामले की पूरी जांच की जाएगी और दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
पुलिस पर उठे सवाल
इस घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक ओर जहां संविधान हर नागरिक को सम्मान और न्याय की गारंटी देता है. वहीं, इस तरह की घटनाएं पुलिस की जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं.
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छतरपुर जिले की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कानून के रखवाले अगर खुद कानून तोड़ने लगे, तो आम जनता कहां जाए? यह आवश्यक है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो और दोषियों को सख्त सजा मिले, ताकि आमजन का पुलिस व्यवस्था पर भरोसा बना रह सके.