
MP Transport Department: सालों से मध्यप्रदेश का परिवहन विभाग गहरे घोटालों की गर्द में धंसा हुआ है...जानकार कहते हैं कि भोपाल के बाणगंगा चौराहे पर हुआ बस हादसा इसी अकड़ और भ्रष्टाचार की परिणति है. जिसमें एक ट्रेनी डॉक्टर आयशा जो किसी की बेटी थी, किसी की बहन, और सबकी उम्मीद थी, उस पर बस चढ़ गई और सिस्टम आंख बंद किए खड़ा रहा.भोपाल के बाणगंगा चौक पर जो कुछ हुआ, वह सिर्फ एक ‘दुर्घटना'नहीं थी, वो एक लाचार व्यवस्था की कब्रगाह थी. एक मासूम डॉक्टर, जो लोगों की जान बचाने की कसम खाकर निकली थी, उसे एक ऐसी बस ने कुचल दिया, जिसे खुद इलाज की जरूरत थी.
इस हादसे में आयशा की जान चली गई लेकिन उसके बाद जो कुछ भी हुआ वो तो आपको और चिंता में डाल सकता है. हुआ यूं कि वाणगंगा चौराहे पर ये हादसा हुआ सुबह 11 बजे और तीन बजे तक उसे बेचने के फर्जी दस्तावेज भी तैयार हो गए. ड्राइवर भी नकली तैयार कर लिए गए. असली बस ड्राइवर के पास तो भारी वाहन चलाने का लाइसेंस ही नहीं था. शुरू में कहा गया कि बस का ब्रेक फेल था लेकिन असल में सिस्टम फेल था क्योंकि वो बस बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के चल रही थी.

ऐसा लगता है कि इस हादसे के बाद अब विभाग ने ठान लिया कि अबकी बार सख्ती करेंगे — यानी जांच होगी, कैमरे होंगे, अफसर खुद को शाबासी देंगे और कहेंगे-हमने स्कूल बसों की जांच के लिए विशेष टीमें बनाई हैं. लेकिन हकीकत ये हैं कि विभाग हर बार हादसे के बाद ही जागता है. मतलब ये विभाग अलार्म पर नहीं, एक्सीडेंट पर चलता है. जागा तो स्कूल बसों की चेकिंग शुरू कर दी—वैसे ही जैसे पेपर में नकल होने के बाद मास्टर साहब बच्चों की जेबें टटोलने लगते हैं. हाल के ही आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि अगर विभाग का 'दिखावा' नहीं होता तो शायद इन हादसों के बाद कोई और हादसा नहीं होता.

हालांकि ऐसा भी नहीं है कि राज्य में सड़क हादसों के शिकार सिर्फ स्कूल बस ही होते हैं. आप सड़क हादसों के आंकड़े देखेंगे शायद आपकी चिंता और बढ़ जाए.

एक दूसरी हकीकत ये है कि राज्य के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के बावजूद, कई शैक्षणिक संस्थानों ने हेलमेट उपयोग और ड्राइविंग लाइसेंस सत्यापन जैसे सुरक्षा उपायों को लागू नहीं किया है.दूसरी तरफ भोपाल के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त बसंत कौल बताते हैं कि हादसे के बाद से एक्शन लिए जा रहे हैं. जगह जगह चेकिंग के निर्देश दिए गए हैं. पूरे प्रदेश भर में चेकिंग अभियान जारी है. अब भोपाल वाले हादसे पर ही बात कर लेते हैं. इस पूरे मामले में आरोपी ड्राइवर विशाल बैरागी बैरसिया रोड से पकड़ा गया, इधर टीटी नगर थाने के टीआई साहब को लाइन अटैच कर दिया गया. अब बताइये – जिस राज्य में एक मामूली आरक्षक सौरभ शर्मा की गाड़ी से 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश निकलते हैं वहां बसें अगर लोगों को कुचल रही हैं और सब आंखें मूंदें है तो ये न्यू नॉर्मल जैसा ही है. यहां ये बात गौरतलब है कि सौरभ शर्मा का सात साल में 12 बार ट्रांसफर हुआ है और हर पोस्टिंग जैसे किसी ‘करोड़पति कांस्टेबल रियलिटी शो' की अगली कड़ी साबित हुआ.
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