
Ration Scam in Satna: सतना जिले में एक ऐसी भी राशन दुकान (Ration Shop) है, जहां भूतों को बड़ी आसानी से राशन (Ration) मिल जाता है, लेकिन जीवितों को संघर्ष करना पड़ता है. यह राशन दुकान रामपुर बघेलान तहसील की अकौना ग्राम पंचायत में संचालित हो रही है. यहां फूड विभाग (Food Department) की आंखों में धूल झोंक कर राशन वितरण प्रणाली (PDS) को मजाक बना दिया गया. 7 साल पहले सड़क हादसे में जो व्यक्ति मर चुका है, उसे नियमित राशन मिल रहा है. वहीं जीवित बुजुर्ग को जूझना पड़ रहा है. समग्र पोर्टल (Samagra Portal) में 8 साल पहले मृत घोषित कर दिए गए बुजुर्ग आदिवासी को तमाम जांच के बाद पुनर्जीवित तो कर दिया गया, लेकिन वह अभी तक राशन के लिए पात्र नहीं हो सका है. जबकि मृतक बलवंत सिंह के नाम पर पिछले 7 वर्षों से खाद्यान्न निकल रहा है.
ऐसे खुली पोल
सरपंच श्रद्धा सिंह ने मामले की शिकायत सीपी ग्राम पोर्टल में की है. उन्होंने बताया कि शंकर को पुनर्जीवित करने की कोशिशों के क्रम में यह अंधेरगर्दी पकड़ में आयी. बलवंत का निधन सडक़ हादसे में हुआ था. समग्र आईडी में मृतक दर्ज होने के बाद भी उनके नाम पर राशन का उठाव वर्षों से जारी है. सरकारी राशन केंद्र के सेल्समैन शिवकुमार गौतम ने बताया कि समग्र आईडी में परिवार के 8 सदस्य के नाम शामिल है. कोई भी एक सदस्य आकर फिंगर लगा कर राशन ले जाता है. मामला अब सामने आया है. हाल ही में 13 मई को इस समग्र आईडी से राशन प्रदीप सिंह ले कर गए है.
उल्लेखनीय है, पीडीएस के तहत हितग्राही को नि:शुल्क 2 किलोग्राम गेहूं और 3 किलोग्राम चावल दिया जाता है.
लम्बे संघर्ष के बाद जीवित हुआ शंकर
वर्ष 2017 से समग्र पोर्टल में मृत अकौना गांव के ही 62 वर्ष के आदिवासी शंकर को कलेक्टर ने तो पुनर्जीवित कर दिया, मगर पात्र होने के बाद भी शंकर को पिछले 4 माह से पीडीएस का नि:शुल्क सरकारी राशन नसीब नहीं है. जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार के पीडीएस पोर्टल में पिछले एक साल से नई पात्रता पर्चियां जनरेट नहीं हो रही हैं. रामपुर बघेलान तहसील की अकौना सरंपच श्रद्धा सिंह और उनके पंच पति अनुराग सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में रहस्यमयी अंदाज में समग्र पोर्टल ने शंकर आदिवासी को मृत घोषित कर दिया. मृत घोषित होने के बाद उसका नाम पीडीएस के पोर्टल की पात्रता से भी खत्म हो गया. शंकर को जब रियायती राशन मिलना बंद हुआ तो उसने स्वयं को जिंदा सिद्ध करने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी शुरु कर दीं. 6 माह पहले मामला सरपंच के संज्ञान में आया. सरपंच ने सीपी ग्राम पोर्टल में शिकायत दर्ज कराई. केस जांच में आया. इस तरह कलेक्टर के आदेश पर शंकर आदिवासी सरकारी रिकार्ड में पुनर्जीवित हो गया. मगर, सरकारी राशन आज भी उसे नसीब नहीं है.
जिम्मेदारों का क्या कहना है?
डीएसओ सम्यक जैन ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं था. यदि ऐसा है तो दोनों मामले गंभीर हैं. जांच करा कर दोषियों के खिलााफ कार्यवाही की जाएगी. साथ ही सुनिश्चित किया जाएगा की पात्र व्यक्ति को पीडीएस का लाभ मिले. वहीं अपात्रों का राशन बंद किया जाएगा.
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