
Katni Pan Kisan : एमपी के कटनी जिले के बिलहरी गांव में परंपरागत रूप से पान की खेती करने वाले किसान इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कारण उनकी उपज पान का बाजार में बहुत कम दाम मिल रहा है, जिससे उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है. इन दिनों पान की कीमत करीब सौ रु प्रति सैकड़ा मिल रहा है, या उससे भी कम, जबकि डेढ़ सौ रु से दो सौ रु प्रति सैकड़ा के हिसाब से लागत लग रही है. पान की (बरेजा) खेती करने वाले किसान पान का चारों तरफ से बांस और कपड़ों से बरेजा बनाते हैं, जिससे कि पान को धूप से बचाव किया जा सके.
पान की खेती का आखिरी चरण चल रहा
बिलहरी में पान की खेती करने वाले करीब सौ से ज्यादा चौरसिया समाज के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी पान की खेती करते चले आ रहे हैं. बरेजा में पान की बोवनी करते हैं, जोकि तीन महीने में पौधा तैयार होता है, जिसके बाद अगस्त से नए पान की तुड़ाई करना शुरू होता है, जिसे बाजार में बेचा जाता है. इस समय पान की खेती का आखिरी चरण चल रहा है.
गुटखा पान मसाला के चलते खेती प्रभावित
वर्तमान में बंगला पान की खेती बिलहरी में ज्यादातर किसान कर रहे है. किसानों का कहना है कि पान के व्यवसाय को बाजार में गुटखा पान मसाला के चलते प्रभावित कर दिया है जिससे मांग कम होने से भी पान की कीमत और मांग में भारी कमी आई है. जिसके कारण किसानों को अब अर्थात क्षति भी उठानी पड़ रही है.
अन्य किसान कढ़ोरी लाल ने बताया कि आज के समय पान की खेती करने में कम से कम दो हजार रुपए लागत आती है यदि अच्छी पैदावार हो जाए तो मुनाफा हो जाए लेकिन वर्तमान में लागत भी नहीं निकल पा रही है.मजदूरी भी नहीं निकल रही है, उनके पूर्वज यह काम करते आ रहे है इसलिए मजबूरी में वह भी पान की खेती कर रहे है.
5 से 6 सौ रु मुआवजा मिलता है- किसान
युवा किसान अमरनाथ चौरसिया ने बताया कि बाजार में गुटखा के कारण पान की डिमांड कम हो गई है. पान बरेजा में यदि कभी आग लग जाती है, बारिश में ओलावृष्टि हो जाए तो मुआवजा भी बहुत कम मिलता है. एक बरेजा में एक लाख की लागत आती है, लेकिन 5 से 6 सौ रु मुआवजा मिलता है.
यहां करीब 120 से ज्यादा परिवार पान की खेती कर रहे
पान किसान अंबिका प्रसाद यहां दो हजार पान लेकर बेचने आए है दाम बहुत कम मिल रहे है पान ज्यादा चल नहीं पाता है किसान बहुत कमजोर स्थिति में आ चुका है. सरकार पान किसानों के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है.अभी पान की बोवनी करने के बाद तीन महीने में पौधे तैयार होते है और फिर उन पौधों से अगस्त में नए पान की तुड़ाई शुरू होती है.
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