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Organ Donation: जीवन के बाद भी काम आएगा शरीर; बाल्मीक सिंह को मेडिकल कॉलेज में दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर

Body Donation: पद्मश्री बाबूलाल दाहिया ने बताया कि बाल्मीक सिंह ऊंचेहरा क्षेत्र के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने लगभग 10 वर्ष पहले देहदान का संकल्प लिया था. उस समय एक चिकित्सक ने उन्हें बताया था कि मेडिकल शिक्षा में एक डेड बॉडी पर कम से कम तीन छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि शरीर की उपलब्धता सीमित होती है. यह जानकर उन्होंने सहर्ष अपना शरीर मेडिकल कॉलेज को दान करने का निर्णय लिया था.

Organ Donation: जीवन के बाद भी काम आएगा शरीर; बाल्मीक सिंह को मेडिकल कॉलेज में दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
Body Donation: जीवन के बाद भी काम आएगा शरीर; बाल्मीक सिंह को मेडिकल कॉलेज में दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर

Organ Donation: सतना जिले के उचेहरा तहसील के पिथौराबाद गांव के देहदान संकल्पित 86 वर्षीय बाल्मीक सिंह का मंगलवार को निधन हो गया. बुधवार को उनकी पार्थिव देह सतना मेडिकल कॉलेज को सुपुर्द की गई, जहां पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. जिले के पहले देहदानी बने जिन्हें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा के अनुरूप शासन द्वारा “गार्ड ऑफ ऑनर” देकर सम्मानित किया जाएगा. यह सतना जिले में पहली बार हुआ जब किसी देहदानी को अंतिम यात्रा के समय सैन्य सम्मान जैसा आदर मिला.

मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया शरीर

परिवार के अनुसार, दिवंगत बाल्मीक सिंह ने जीवनकाल में ही अपना शरीर चिकित्सा शिक्षा हेतु दान करने का संकल्प लिया था. उनके निधन के बाद पुत्र कमलेश सिंह, इंद्रपाल सिंह, संतोष सिंह, खेल्लु सिंह और भारत सिंह, पिता की इच्छा के अनुसार, पार्थिव देह को मेडिकल कॉलेज सतना को सौंप दिया. मंगलवार को शव को फ्रीजर में सुरक्षित रखा गया है. बुधवार सुबह परिवारजन और रिश्तेदारों द्वारा अंतिम दर्शन के बाद मेडिकल कॉलेज परिसर में “गार्ड ऑफ ऑनर” के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.

किसी के पास आंखें नहीं हैं तो किसी का लिवर या किडनी डैमेज हो चुका है. ऐसे में इनके लिए 'अंगदान' वरदान की तरह है. दुनिया भर में 13 अगस्त को अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है.

पद्मश्री ने बताई संकल्प की कहानी

पद्मश्री बाबूलाल दाहिया ने बताया कि बाल्मीक सिंह ऊंचेहरा क्षेत्र के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने लगभग 10 वर्ष पहले देहदान का संकल्प लिया था. उस समय एक चिकित्सक ने उन्हें बताया था कि मेडिकल शिक्षा में एक डेड बॉडी पर कम से कम तीन छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि शरीर की उपलब्धता सीमित होती है. यह जानकर उन्होंने सहर्ष अपना शरीर मेडिकल कॉलेज को दान करने का निर्णय लिया और भाई देवलाल सिंह के साथ देहदान फॉर्म भरकर संकल्प लिया था. उनकी प्रेरणा से क्षेत्र में अब तक दर्जनों लोग देहदान का संकल्प ले चुके हैं. ऊंचेहरा क्षेत्र का यह दूसरा देहदान होगा. इससे पहले 30 मई 2024 को अटरा गांव के ब्रह्मचारी सिंह तोमर के निधन के बाद उनका शरीर भी मेडिकल कॉलेज सतना को सौंपा गया था.

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