Drone in Rewa: जंगल घने हो... ऐसी जगह पर भी पेड़ हो, घास हो, जहां पर आदमी आसानी से नहीं पहुंच सकता... इसी सोच के साथ मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा (Rewa) में वन विभाग (Forest Department) द्वारा ड्रोन से हवाई सीडिंग (Drone Seeding) करवाई गई. ड्रोन से हवाई सीडिंग का काम गंगेव जनपद के हिनौती ग्राम में, गौधाम के निकट वनक्षेत्र में और रायपुर कर्चुलियान जनपद में स्थित भलुआ पहाड़ी पर कराया गया.
पिछले दिनों मंनगवा विधानसभा (Mangawa Vidhan Sabha) के हिनौती ग्राम के गौवंश विहार के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल (Rajendra Shukl) ने वन विभाग को निर्देशित किया था कि वह ड्रोन का इस्तेमाल करें. वन विभाग गोवंश अभ्यारण के नजदीकी वन क्षेत्र में प्रयोगात्मक तौर पर घास एवं अन्य प्रजातियों के बीजों का ड्रोन के माध्यम से छिड़काव किया है. वहीं, दूसरी ओर रायपुर कर्चुलियान की भलुआ पहाड़ी पर सीडिंग कार्य जिला प्रशासन के सुझाव अनुसार कराया गया.
ड्रोन से सिडिंग का क्या है मतलब
डीएफओ रीवा अनुपम शर्मा से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस तकनीकी का इस्तेमाल अभी तक राजस्थान और उत्तराखंड के अलावा और भी कुछ राज्यों ने किया है. परिणाम सार्थक रहे हैं, जिसके चलते मध्य प्रदेश के रीवा में इस तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है. ड्रोन द्वारा एरियल सीडिंग से दुर्गम क्षेत्रों में भी तेजी से बीजारोपण कार्य किया जा सकता है. रीवा वन विभाग का यह प्रयोग सफल होता है और आगामी माह में पर्याप्त बीजों का अंकुरण होता है, तो इस नई तकनीकी प्रक्रिया का उपयोग रीवा वनमण्डल अंतर्गत अन्य क्षेत्रों में भी किया जाएगा.
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क्या होगा लाभ
दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में ड्रोन की मदद से एरियल सीडिंग करने का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि ऐसे क्षेत्रों में भी पेड़ लगाना, घास लगाना, जहां आदमी का पहुंच पाना काफी मुश्किल होता है. वहीं, दूसरी ओर कम खर्च, कम लागत, कम समय में, ज्यादा एरिया में वृक्षारोपण हो सकता है. गोवंश अभ्यारण के पास इस तरीके से एरियल सीडिंग का सबसे बड़ा लाभ गोवंश को आसानी से चारा उपलब्ध कराना है.
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