
शिवपुरी-गुना-इटावा रेलवे लाइन परियोजना को 30 साल से ज्यादा का समय पूरा होने में लगा, लेकिन अभी तक यात्रियों को पूरी सुविधा नहीं मिल सकी है. यही वजह है कि लोग परेशान हैं और पूरा रेलवे स्टेशन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक वीराने और सन्नाटे में ढका रहता है. लोग शिवपुरी-गुना-ग्वालियर को जोड़ने के लिए भारतीय रेल मंत्रालय के साथ क्षेत्रीय सांसद से शटल और लोकल ट्रेन की लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है.

मध्य प्रदेश के शिवपुरी स्टेशन को बातों बातों में लोग भूतिया स्टेशन कहने लगे हैं. दरअसल, इसके पीछे की वजह यह है कि सुबह 10:15 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक इस रेलवे स्टेशन पर बिछाए गए ट्रैक पर कोई भी यात्री गाड़ी नहीं है और शिवपुरी रेलवे स्टेशन सन्नाटे में पसरा रहता है.
चारों तरफ छाई रहती है सिर्फ बीरानी
शिवपुरी जिले में करीब 13 लाख से ज्यादा की आबादी है और शहर में ढाई लाख लोग रहते हैं, लेकिन यहां यात्रा के लिए सिर्फ बस ही साधन है. चिलचिलाती गर्मी और मंहगे किराये में लोग बस से ही यात्रा करने को मजबूर हैं.

30 साल में गुना-इटावा के बीच में बिछाई गई थी रेलवे लाइन
शिवपुरी-गुना-इटावा रेलवे ट्रैक परियोजना को 1977-78 में शामिल किया था. फिर 1985 में इस योजना को स्वीकृति मिली और 1989 में इस ट्रैक को लेकर काम शुरू हुआ. योजना पूरी होते-होते 30 साल से ज्यादा का समय लग गया. वर्ष 2002 में शिवपुरी से भिंड के बीच में एक ट्रेन चलाई गई. लोगों को लगा अब उनका सफर आसान और बेहतर हो जाएगा, लेकिन तब से लेकर आज 2025 तक इस ट्रैक पर यूं तो चलने वाली गाड़ियां कई हैं, लेकिन शिवपुरी-गुना और ग्वालियर को आपस में जोड़ने वाली शटल लोकल ट्रेन जैसी सुविधा यात्रियों को अब भी नहीं मिली है. यही वजह है कि लोग यात्री परेशान हैं और बसों में सफर करने के लिए मजबूर हैं.

दोगुना किराया दोगुना समय
शिवपुरी से ग्वालियर की दूरी 112 किमी, शिवपुरी से गुना की दूरी 100 किलोमीटर है. दोनों का किराया रेलवे नियम के अनुसार, 60 से 70 रुपये है, लेकिन बसों में यात्रा करने के लिए इन्हीं यात्रियों को गुना और ग्वालियर जाने के लिए ₹200 से ₹250 देने पड़ते हैं. अगर ट्रेन से सफर को तय करें तो करीब डेढ़ घंटा लगता है, लेकिन बसों से सफर करने में इसे ढाई घंटे तक लग जाते हैं.
काम देरी से होने के चलते इस परियोजना को भुगतने पड़े कई परिणाम
- पहले चरण में गुना से शिवपुरी तक 101 किमी में रेल लाइन बिछानी थी. इसके लिए 41.47 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल गई, लेकिन योजना की लागत 52 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. इसकी वजह काम में देरी होना था.
- दूसरा चरण था शिवपुरी से ग्वालियर तक 124 किमी रेल लाइन तैयार करना. इसके लिए बजट स्वीकृत हुआ 99 करोड़ रुपये, लेकिन इसे 163 करोड़ खर्च करके पूरा किया गया. इसके पीछे की वजह भी काम का लेट होते चले जाना था.
- तीसरे चरण में ग्वालियर से भिंड तक 81 किमी लाइन बिछानी थी. इसके लिए 93 करोड़ रुपये खर्च होने थे, लेकिन लागत बढ़कर 400 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गई.
- अंतिम चरण था भिंड से इटावा तक 36 किमी की रेल लाइन बिछाने का. इस लाइन पर तीन ब्रिज, कुंआरी, चंबल और यमुना नदी पर पुल बनाने का था. यह काम लगभग 30 साल से ज्यादा के समय में पूरा हुआ.
इतने शहर लेकिन एक भी लोकल ट्रेन नहीं
- गुना-इटावा लाइन की लंबाई: 348. 25 किमी
- गुना-शिवपुरी की दूरी: 101 किमी
- शिवपुरी-ग्वालियर की दूरी: 124 किमी
- ग्वालियर-भिंड की दूरी: 81 किमी
- भिण्ड से इटावा की दूरी: 36 किमी
- शुरूआती लागत: 233 करोड़
- वर्तमान में लागत: 750 करोड़
जिस परियोजना को 200 से 300 करोड़ रुपये में पूरा हो जाना चाहिए था, वह परियोजना 750 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने के बाद जैसे-जैसे पूरी हुई. बावजूद इसके यात्रियों को पूरा लाभ अब तक यानी लगभग लगभग 45 सालों के बाद भी नहीं मिल पा रहा है.
सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक रेलवे स्टेशन पर पसरा रहता है सन्नाटा
शिवपुरी जिले में रहने वाले यात्री जो गुना, ग्वालियर, भिंड, दतिया या फिर इटावा तक सफर करना चाहते हैं, उनके लिए इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. कहने को रेलवे लाइन है, जिसका नाम गुना-इटावा रेलवे लाइन है, लेकिन न गुना को पूरी तरह से जोड़ा गया और ना ग्वालियर को. यात्रियों को हर 1 घंटे में यात्री ट्रेन की सुविधा भी नहीं मिल सकी है.
यही वजह है कि सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक हर रोज यहां पर सन्नाटा रहता है और कोई भी यात्री ट्रेन नहीं गुजरती. ट्रेन नहीं गुजरने की वजह से यात्री भी नहीं आते है तो स्टेशन की वीरानी अपने आप में बहुत कुछ कह डालती है.
खुद स्टेशन मास्टर भी कहते हैं गाड़ी होगी तो यात्री होंगे
शिवपुरी स्टेशन पर रेलवे की ड्यूटी कर रहे स्टेशन मास्टर खुद स्वीकार करते हैं कि यकीनन अगर गाड़ी गुना और ग्वालियर को जोड़ते हुए शिवपुरी से गुजरेगी तो यात्री भी यहां आने लगेंगे. रेलवे का किराया भी कम है. ऐसे में अगर यात्रियों को ट्रेन मिले तो उनके लिए आसानी होगी, लेकिन अभी तक कि यात्रियों ने कोई आवेदन नहीं दिया, इस वजह से आगे फॉरवर्ड नहीं किया गया.