Shivpuri School: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में शिक्षा व्यवस्था (School Education System) को लेकर आए दिन उठते रहते हैं. इन सबके बीच एक झकझोर देने वाली देने वाली तस्वीर शिवपुरी (Shivpuri) से भी सामने आयी है, जहां मासूम स्कूली बच्चों को न केवल खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करनी पड़ती है बल्कि सर्दी, गर्मी, बरसात सब बर्दाश्त करते हुए मिड डे मील (Mid Day Meal) के तहत मिलने वाला भोजन भी खुले में खाना पड़ता है. हैरानी की बात यह है कि 7 साल का लंबा समय गुजर जाने के बाद भी बच्चों को स्कूल की इमारत (School Budling) नहीं मिल सकी. हद तो तब हो रही है जब सुनने वाला कोई नहीं मिल रहा है. मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) अगर देख सकती और सुन सकती है, तो उसे यह तस्वीरें जरूर देखनी चाहिए क्योंकि बच्चे कह रहे हैं कि हम किसी से भीख नहीं मांगते, बल्कि अपना अधिकार मांग रहे हैं. बच्चों की सुनो पुकार स्कूल दे दो सरकार...
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खुले आसमान के नीचे एक छोटे से पेड़ की छांव में पढ़ रहे बच्चे शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाले शासकीय प्राथमिक विद्यालय फार्म का पूरा ममोनी खुर्द के हैं. एक-दो दिन नहीं बल्कि पूरे 7 साल गुजर गए लेकिन इनको इनके हक की स्कूल इमारत नहीं मिल सकी. सरकारी पैसा आया, ठेकेदार ने काम शुरू किया, लेकिन काम आधा-अधूरा छोड़कर चलता बना. ऐसे में शिक्षा की इमारत बनने से पहले ही टूट कर बिखरने लगी है.
संध्या आदिवासी बच्ची हैं, लेकिन गुस्से में है कहती हैं कि हमें स्कूल चाहिए. हमें भी गर्मी, सर्दी लगती है और बरसात में गीले हो जाते हैं लेकिन अफसोस कि कोई सुनता नहीं है.
अजब-गजब शिक्षा व्यवस्था
मध्यप्रदेश में कब, क्या, कैसे और कहां अजब-गजब कारनामा हो जाए कोई नहीं जानता, NDTV जिन तस्वीरों को दिखा रहा है वे भी गजब की हैं.
इस स्कूल में फतेह सिंह नामक शिक्षक पढ़ाते हैं. वे कहते हैं कि स्कूल की बिल्डिंग 7 साल से अधूरी है, अधूरी बनी थी. लेकिन अब तो टूटने भी लगी है, बिल्डिंग का काम पूरा कराने के बारे में अधिकारियों को कई बार लिख चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
Mid Day Meal का ऐसा है हाल
शिक्षक बताते हैं कि सर! हम मिड डे मील की पूरी व्यवस्था करते हैं. हमारे स्कूल की बिल्डिंग के लिए पहली किस्त मिली थी. थोड़ा काम हुआ लेकिन दूसरी किस्त का अब 2 साल से इंतजार है. यही वजह है कि काम रुका हुआ है. निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत है.
जिम्मेदारों का क्या कहना है?
स्कूल के बच्चों की आवाज बनकर NDTV की टीम इस उम्मीद के साथ प्रशासन के पास पहुंची थी कि शायद बरसते पानी, कड़कड़ाती धूप और सर्दी से परेशान बच्चों को उनकी बिल्डिंग जल्द मिल सके और कोई राहत भरा जवाब सामने आए, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने सीधे तौर पर दो टूक कह दिया पैसा नहीं है सरकार देगी तो बिल्डिंग बन जाएगी.
फार्म का पूरा मामूनी खुर्द शासकीय प्राथमिक विद्यालय खुले आसमान के नीचे तो चल रहा है. बच्चे पढ़ने को भी मजबूर हैं. बच्चे नारे भी लगाते हैं और अपने हक के लिए सरकार से मांग भी करते हैं लेकिन यह तस्वीर न सरकारी नुमाइंदों को नजर आती है ना उनकी आवाज सुनाई पड़ती है.
जिले के 54 स्कूल भवन में खतरे की घंटी
18 जनवरी 2019 को मध्य प्रदेश शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक आदेश जारी किया गया था. आदेश के मुताबिक जिले की 376 शालाओं को आपस में मर्ज किया गया और एक ही परिसर में लगाने के लिए उनके डाइस कोड मर्ज कर दिए गए. यह कार्यवाही कागजों में तो पूरी कर ली गई लेकिन जमीन पर उतरते-उतरते इसे 2023 तक का वक्त लग गया. वर्तमान में 376 ऐसी शालाएं हैं जिन्हें आपस में मर्ज किया गया है. वर्ष 2024 की ताजा जानकारी के अनुसार शिवपुरी जिले में ऐसे स्कूलों की बात की जाए जिन स्कूलों के पास आज भी उनका खुद का भवन नहीं है तो उनकी संख्या 18 बताई जाती है. इन स्कूलों में फार्म का पूरा मामूनी खुर्द सतनवाड़ा सहित चक डोरानी नोहरे हर जरिया कला पाटनपुर अतरुआ जैसे स्कूल शामिल हैं.
शिवपुरी जिले के ऐसे स्कूलों की बात करें जो जर्जर हो चुके हैं और लंबे समय से मरम्मत का इंतजार कर रहे हैं उनकी संख्या विभाग के अनुसार 54 बताई जाती है. इनमें से करीब एक दर्जन से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जो बेहद संवेदनशील स्थिति में जर्जर हैं और छात्रों की जिंदगी के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं. बावजूद इनका दुरुस्त करने या नए भवन बनाने के लिए सरकार के पास खजाना नहीं है या यूं कहें कि पैसा और इच्छा शक्ति की कमी है.
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