Jabalpur Collector का बड़ा एक्शन, कक्षा 1 से 12वीं तक NCERT Books अनिवार्य, अब इनकी खैर नहीं

NCERT Book in Jabalpur: इस फैसले का मुख्य उद्देश्य शिक्षा में एकरूपता लाना और आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के लिए राहत प्रदान करना है. इसके साथ ही, यह पहल छात्रों को पुराने संस्करण की किताबों का भी उपयोग करने की अनुमति देती है, जिससे हर साल सिलेबस और किताबें बदलने की समस्या का भी समाधान होगा.

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NCERT Text Books Mandatory in Jabalpur Schools: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों के तहत, जबलपुर कलेक्टर (Jab) दीपक सक्सेना ने जिले के सभी सीबीएसई स्कूलों को कक्षा 1 से 12 तक के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training) यानी एनसीईआरटी (NCERT Books) की किताबें अनिवार्य करने का आदेश दिया है. यह कदम अभिभावकों को निजी पुस्तक विक्रेताओं और स्कूल प्रबंधन द्वारा की जा रही मनमानी से राहत दिलाने के लिए उठाया गया है. अभी तक  उन्हें हर साल महंगी और अनावश्यक किताबें खरीदनी पड़ती थीं.

आदेश में क्या है?

आदेश के अनुसार, सभी स्कूलों को 1 अक्टूबर तक अपनी वेबसाइट पर प्रत्येक कक्षा के लिए निर्धारित पुस्तकों की सूची अपलोड करनी होगी. यदि कोई स्कूल एनसीईआरटी की किताबों के अलावा किसी अन्य किताब का उपयोग करता है, तो इसका स्पष्ट कारण बताना होगा, साथ ही यह सूची प्राचार्य और प्रबंधन के हस्ताक्षर के साथ अपलोड करनी होगी.

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इस नई पहल से अभिभावकों को हर साल नई और महंगी किताबें खरीदने की अनिवार्यता से छुटकारा मिलेगा. अक्सर स्कूल यह बहाना बनाते थे कि एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं होतीं, इसलिए उन्हें अन्य प्रकाशकों की किताबें खरीदनी पड़ती थीं. अब, सरकार ने स्पष्ट किया है कि एनसीईआरटी की किताबें वेबसाइट से मुफ्त में डाउनलोड की जा सकती हैं और उनकी फोटो कॉपी कराई जा सकती है, जो कि काफी सस्ती होंगी. 

इस फैसले का मुख्य उद्देश्य शिक्षा में एकरूपता लाना और आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के लिए राहत प्रदान करना है. इसके साथ ही, यह पहल छात्रों को पुराने संस्करण की किताबों का भी उपयोग करने की अनुमति देती है, जिससे हर साल सिलेबस और किताबें बदलने की समस्या का भी समाधान होगा.

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जबलपुर की कार्रवाई बनी मिसाल

जबलपुर में जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना की हालिया कार्रवाई ने स्कूल प्रबंधन और निजी प्रकाशकों के बीच चले आ रहे गठजोड़ को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई है. कई स्कूलों में नकली और महंगी किताबों का धंधा जोरों पर था, जिससे अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा था. इस छापेमारी से इस गठजोड़ को समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. जबलपुर की यह पहल धीरे-धीरे रंग ला रही है और मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है. उम्मीद है कि इससे पूरे राज्य और देश भर में अभिभावकों को राहत मिलेगी और शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी. 

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