MP के सभी कॉलेजों में RSS से जुड़ी किताबें अनिवार्य, विपक्ष का कटाक्ष, BJP का बचाव, जानिए पूरा मामला

MP News: उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ धीरेंद्र शुक्ला ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों (Private College) के प्राचार्यों को पत्र लिखा है. इस पत्र में संस्थानों को 88 किताबों का एक सेट खरीदने के निर्देश दिए हैं. लिस्ट में सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, डॉक्टर अतुल कोठारी, देवेंद्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर जैसे प्रमुख आरएसएस नेताओं (RSS Leaders) की लिखी गई रचनाएं शामिल हैं, जो आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती (Vidya Bharati) से जुड़े रहे हैं.

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Madhya Pradesh Higher Education Department: मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने एक निर्देश जारी कर राज्य के सभी कॉलेजों (College) के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं द्वारा लिखी गई किताबों को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना अनिवार्य कर दिया है. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए इस आदेश ने एक राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. विपक्षी दल इसे एक विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा देने की कोशिश बता रहे हैं, जबकि बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का कहना है कि पहले एक राष्ट्र-विरोधी विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा था.

अधिकारी का क्या कहना है?

उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ धीरेंद्र शुक्ला ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों (Private College) के प्राचार्यों को पत्र लिखा है. इस पत्र में संस्थानों को 88 किताबों का एक सेट खरीदने के निर्देश दिए हैं. लिस्ट में सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, डॉक्टर अतुल कोठारी, देवेंद्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर जैसे प्रमुख आरएसएस नेताओं (RSS Leaders) की लिखी गई रचनाएं शामिल हैं, जो आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती (Vidya Bharati) से जुड़े रहे हैं.

उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों से कहा है कि वे बिना देरी इन किताबों को खरीदें. यह निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है, जो अकादमिक पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपराओं को शामिल करने की वकालत करता है. विभाग के पत्र में यह भी सिफारिश की गई है कि प्रत्येक कॉलेज में एक इंडियन नॉलेज ट्रेडिशन सेल का गठन किया जाए, जो विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में इन किताबों को शामिल करने में मदद करेगा.

सबसे बड़ा विवाद इनके नाम पर

88 पुस्तकों की सूची ने विवाद खड़ा कर दिया है, खासकर दीनानाथ बत्रा द्वारा लिखित 14 किताबों के कारण. दीनानाथ बत्रा, विद्या भारती के पूर्व महासचिव और आरएसएस के शैक्षिक अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक प्रमुख व्यक्ति हैं. बत्रा इससे पहले क्रांतिकारी पंजाबी कवि अवतार पाश की कविता 'सबसे खतरनाक' को कक्षा 11 की हिंदी की पाठ्यपुस्तक से हटाने की वकालत कर सुर्खियों में आ चुके हैं.

मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश की विपक्षी कांग्रेस (Congress) ने निंदा की है. कांग्रेस ने राज्य सरकार पर छात्रों में विभाजनकारी और नफरत फैलाने वाली विचारधारा को थोपने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने चुने गए लेखकों की उपयुक्तता पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि उनकी रचनाएं शैक्षणिक योग्यता के बजाय एक खास विचारधारा पर आधारित हैं. मिश्रा ने पूछा, "क्या ऐसे लेखकों की किताबें शैक्षणिक संस्थानों में देशभक्ति और त्याग की भावना को प्रेरित करेंगी?'' उन्होंने वादा किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो इस आदेश को रद्द कर दिया जाएगा.

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बीजेपी का बचाव

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इन किताबों का छात्रों के ज्ञान और समग्र व्यक्तित्व पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ेगा. शिक्षा के भगवाकरण में क्या गलत है? कम से कम हम उस राष्ट्रविरोधी विचारधारा को बढ़ावा तो नहीं दे रहे हैं जिसे वामपंथी विचारकों ने कभी हमारे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों पर थोपा था.

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