MP News: हे महाकाल! फिर मैली हुई क्षिप्रा, कांग्रेस प्रत्याशी ने जिसका विरोध किया, BJP नेता ने वही पानी पिया

Ujjain News: नदी के जानकार चिंतक प्रकाश त्रिवेदी ने बताया कि सन 2004 से लेकर नदी को शुद्ध करने के लिए करीब 5 हज़ार करोड़ रूपए विभिन्न योजनाओं में खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन हालात जस के तस हैं.

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Shree Mahakaleshwar Temple Ujjain : उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के नजदीक से बहने वाली पुण्य सलिला क्षिप्रा नदी (Shipra River) एक बार फिर गंदी हो गई. यहां फिर सीवरेज चैंबर (Sewerage Chamber) फूटने से बड़ी मात्रा में नाले का पानी नदी में मिलने पर बवाल मच गया. घटना को लेकर राजनिति भी शुरू हो गई. इसी को देखते हुए एनडीटीवी (NDTV) की टीम ने नदी को शुद्ध (Clean River) करने के लिए अब तक किए खर्च और नदी की स्थिति की खोजबीन की तो चौकाने वाली जानकारी सामने आईं.

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सोमवार रात पेयजल पाइप लाइन (Water Pipeline) गंधर्व घाट के पास फूट गई, इसी के दबाव के चलते सुनहरी घाट के पास सिवरेज लाइन के चेंबर भी फूट गए और बड़ी मात्रा में नाले का पानी नदी में मिलने लगा. पता चलते ही कलेक्टर (Ujjain Collector) नीरज सिंह ने मरम्मत का काम रात को ही शुरू करवा दिया. बावजूद सुबह तक तेजी से नाले का पानी नदी मिलता रहा. पता चलते ही उज्जैन लोकसभा सीट (Ujjain Lok Sabha Seat) से कांग्रेस प्रत्याशी (Congress Candidate) महेश परमार मौके पर पहुंचे और नाले के पानी में धरने पर बैठ गए और गंदे पानी में नहाकर आरोप लगाया कि नदी का पानी आचमन के लायक भी नहीं है और क्षिप्रा नदी की इस दुर्गति की जिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी (BJP) है. इधर चैंबर सुधार कार्य करवा रहें पार्षद और जल कार्य समिती प्रभारी प्रकाश शर्मा ने आरोप को नकारने के लिए नदी का पानी पीकर दिखाया.

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यह है नदी की हकीकत

क्षिप्रा नदी में नाले का पानी पहली बार नहीं मिला है. पिछले वर्ष भी रूद्रसागर का चैंबर फूटने से हजारों गैलन नाले का पानी नदी मिल गया था. बरसात में तो नाले नदी में मिलना आम बात है. यही नहीं त्रिवेणी से चक्रतीर्थ तक करीब 16 नाले नदी में मिल रहे हैं. त्रिवेणी पर इंदौर के काम नदी का पानी मिल रहा है, जिसमें इंदौर के नालों के साथी उद्योगों का केमिकल भी मिला हुआ है, इससे नदी पूरी तरह दूषित हो रही है. वहीं शहर के नाले गंधर्व और सुनहरी घाट तक मिल रहे हैं.

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पांच हज़ार करोड़ रुपये खर्च फिर भी क्षिप्रा शुद्ध नहीं

नदी को शुद्ध करने के लिए गत वर्ष पांच निर्मोही अखाड़ा के महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज अनशन पर बैठे थे. काफी समय अनशन करने के बाद उन्हें नदी को साफ करने का आश्वासन मिला. आज फिर उन्होंने नदी की हालत पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है.

नदी के जानकार चिंतक प्रकाश त्रिवेदी ने बताया कि सन 2004 से लेकर नदी को शुद्ध करने के लिए करीब 5 हज़ार करोड़ रूपए विभिन्न योजनाओं में खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन हालात जस के तस हैं. बावजूद अब भी कई योजनाएं बन रही है. कोटि तीर्थ पुरोहित हेमंत उपाध्याय ने कहा कि नदी की स्थिति को देख श्रद्धालुओं की भावना आहत हो रही है.

खोजा रहा है स्थायी समाधान

कई घंटों की मशक्कत के बाद नगर निगम (Nagar Nigam Ujjain) और पीएचई विभाग (PHE Department) के टीम ने शिवराज लाइन को साफ कर नदी में ज्यादा ही गंदे पानी को रोक दिया, लेकिन उन्होंने पाइप लाइनों की स्थिति को देखते हुए घटना की पूर्णाहुति होने की संभावना भी व्यक्त कर दी. इस संबंध में कलेक्टर नीरज सिंह ने बताया कि कान्ह नदी का पानी डाइवर्ट करने के लिए नहर बनाई जा रही है, वहीं नलों को रोकने के लिए भी अधिकारी के साथ बैठक कर योजना बनाई जाएगी.

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