
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में स्वास्थ्य विभाग व महिला बाल विकास के दावे खोखले साबित होते नज़र आ रहे हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाल ही में जिले के मुंगावली क्षेत्र में एक आदिवासी परिवार की चार बच्चों की मौत में बड़ी प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है. 15 अगस्त को मुंगावली सिविल अस्पताल में एक आदिवासी महिला, प्रीति आदिवासी, अपने पांच दिन के नवजात शिशु को लेकर आई थी. तब डॉक्टरों की जांच में महिला में केवल डेढ़ ग्राम हीमोग्लोबिन पाया गया, जिसके बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. यहां 6 दिन इलाज के बाद महिला को घर भेज दिया गया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास के अधिकारीयों ने उसकी कोई देखभाल नहीं की.
आखिरी बच्चे की आस में जी रही माँ
अस्पताल से डिस्चार्ज होने के दो दिन बाद ही नवजात की मौत हो गई, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई भी अधिकारी इस परिवार की स्थिति देखने नहीं पहुंचा. यह आदिवासी परिवार मुंगावली ब्लॉक के चिरौली गांव का रहने वाला है और वर्तमान में मुंगावली भातपुरा में रह रहा है. परिवार ने बताया कि इससे पहले भी उनके तीन बच्चे कम उम्र में ही मौत के मुंह में समा गए थे. अब केवल एक ढाई साल का बच्चा बचा है, जो भी कुपोषण का शिकार नजर आ रहा है.
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मामले को लेकर क्या बोले ज़िम्मेदार ?
इस मामले में जब SDM से चर्चा की गई, तो उन्होंने जांच कराने और उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. साथ ही उन्होंने कुपोषित बच्चे को एनआरसी में भर्ती कराने की बात कही है. यह घटना आदिवासी क्षेत्र और दूरस्थ इलाकों में सरकारी योजनाओं और दावों की असलियत को उजागर करती है, जहां जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई मासूम जिंदगियों का नुकसान हो रहा है.
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