Madhya Pradesh News : इस वर्ष श्रेष्ठ राष्ट्रीय खेल सम्मानों में से एक द्रोणाचार्य खेल अवार्ड (Dronacharya Award) के लिए नामित भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) के सहायक कोच (Assistant Hockey Coach) और देश के जाने-माने राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी शिवेंद्र सिंह चौधरी (National Hockey Player Shivendra Singh Choudhary) को इसकी जानकारी स्पेन में मिली थी, जहां वे भारतीय हॉकी टीम के साथ टूर पर थे. विगत दिनों वे भारत लौटकर सीधे अपनी मातृभूमि ग्वालियर पहुंचे. यहीं से उन्होंने अपने खेल की यात्रा शुरू की थी. यहां उनका जगह-जगह स्वागत सत्कार का दौर चल रहा है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr Mohan Yadav) ने भी उनका अभिनंदन किया. यह सम्मान पाने पर शिवेंद्र ने कहा है कि यह जीवन के संघर्ष और खेल के प्रति समर्पण का सम्मान है, जो उन्हें इस ऊंचाई तक ले गया और इसमें ग्वालियर का हिस्सा काफी बड़ा है, इसीलिए यह क्षण सेलिब्रेट करने सबसे पहले ग्वालियर पहुंचा हूं.
स्वागत समारोहों का सिलसिला जारी
स्पेन दौरे से शिवेंद्र सीधे ग्वालियर लौटे, क्योंकि वे यहां तानसेन नगर के अपने पैतृक घर मे रह रही माँ, भाई, भाभी, अन्य परिजन और अपने मोहल्ले व ग्वालियर के दोस्तों के इस खास पल को सेलिब्रेट करना चाहते थे. शिवेंद्र जिस दिन ग्वालियर पहुंचे थे, संयोग से उसी दिन मध्यप्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पहली बार ग्वालियर दौरे पर आए थे. उन्होंने अटल जी के जन्मदिन पर आयोजित ग्वालियर गौरव दिवस के समारोह में शिवेंद्र सिंह को ग्वालियर गौरव के रूप में सम्मानित किया.
हॉकी खिलाड़ियों ने भी किया सम्मानित
इसके बाद उनके स्वागत और सम्मान का सिलसिला भी शुरू हो गया. ग्वालियर पहुंचने पर जगह-जगह खिलाड़ी, उनके मित्र और साथ में खेले उनके पुराने दोस्तों द्वारा स्वागत और सम्मान का सिलसिला शुरू हो गया. सबसे पहले ग्वालियर में भारत रत्न अटल विहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर गौरव दिवस के मौके पर महाराज बाड़े पर आयोजित भव्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने उनका नागरिक अभिनंदन कर सम्मानित किया.
इसके साथ ही शहर के प्रमुख खेल संस्थान महादजी सिंधिया हॉकी अकादमी द्वारा दर्पण हॉकी मिनी स्टेडियम में सम्मान समारोह आयोजित किया गया. इसमें एसएसपी (SSP) राजेश सिंह चन्देल, अकादमी के अध्यक्ष डॉ केशव पांडे और एनआईएस हॉकी प्रशिक्षक अविनाश भटनागर ने शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.
संघर्ष और समर्पण के बगैर नहीं मिलती सफलता : शिवेंद्र
शिवेन्द्र सिंह चौधरी से जब पूछा कि आपका सफर कैसा रहा? तो उन्होंने कहा कि वह तो मुश्किलों से भरा हुआ रहा. बचपन से ही हॉकी के जुनून में घर परिवार से दूर रहना पड़ा. घर परिवार से दूर रहकर काफी संघर्ष किया. इसके बाद जॉब लग गई, तो भी संघर्ष जारी रहा. खेल, नौकरी से लेकर खाना बनाने तक सब खुद को ही करना पड़ता था. जब मेरे भाइयों की शादी हुई, पिता बीमार हुए यहां तक कि मेरी बेटी बीमार हुई तब भी मैं नहीं आ सका, क्योंकि देश के लिए, हॉकी के लिए काम मे जुटा था, यह पल काफी परेशान करते थे. लेकिन यही सफलता की सीढ़ियां हैं. मैं अपनी पत्नी और परिवार वालों को धन्यवाद बोलता हूं जो हर समय मुझे सपोर्ट करते हैं, जिसके बलबूते पर ही मैं आज यहां तक पहुंच पाया.
द्रोणाचार्य मेरा मुकाम नहीं, मंजिल अभी और भी है
चौधरी ने द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि यह अवार्ड मुझे बहुत ही युवावस्था में मिल गया है, इसकी मुझे खुशी भी है, लेकिन मैं अभी यहीं ठहरने वाला नहीं हूं, बल्कि इससे और मोटिवेट होकर और अच्छा काम करना चाहूंगा.
एमपी से खिलाड़ी निकलें, इसके लिए करूंगा काम
शिवेंद्र ने कहा कि ग्वालियर और एमपी की धरती से मैं निकला हूं, तो यहां के लिए कुछ करना चाहता हूं. मेरा प्रयास है कि ऐसा कुछ करूं कि मध्यप्रदेश से हॉकी के कुछ और अच्छे खिलाड़ी लगातार निकल सकें. इस दिशा में आगे जरूर कुछ काम करने की योजना है और अपने अनुभवों का लाभ देश में हॉकी को आगे ले जाने में और कैसे दे सकें, यह प्रयास भी निरंतर जारी रखना चाहूंगा.
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