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MP News : धार नगर पालिका में कई महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं आश्वासन मिला, अब हड़ताल का ऐलान

Madhya Pradesh News : धार नपा की तरह जिले के अन्य निकायों में भी आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं है. धामनोद नगर पंचायत से स्थानांतरित होकर धार नगरपालिका में नव पदस्थ हुए सहायक राजस्व निरीक्षक ने मंगलवार को वेतन की मांग को लेकर जनसुनवाई में अपर कलेक्टर को आवेदन सौंपा है. आवेदन में बताया कि धामनोद से ट्रांसर्फर हो गया है, किंतु 6-7 महीने का वेतन बाकी है, जो नहीं दिया जा रहा है, टालमटोल कर रहे हैं. अधिकारियों ने आवेदन पढ़ा और आवेदन नगरपालिका में देने के लिए कहा. जहां से वह परेशान होकर जनसुुनवाई में पहुंचे थे.

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MP News : धार नगर पालिका में कई महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं आश्वासन मिला, अब हड़ताल का ऐलान
धार:

Madhya Pradesh Latest News : प्रायवेट सेक्टर में कार्यरत कर्मचारियों (Private Employee) से अधिक मुश्किल में इन दिनों सरकारी विभागों में काम करने वाले कर्मचारी (Government Sector Employee) हैं. पूरा समय काम करने के बावजूद भी इन्हें 5-7 महीनों तक वेतन नहीं मिल पा रहा है. इनमें सर्वाधिक परेशान आऊटसोर्स (Outsource Worker) के तहत रोजगार से जुड़े कर्मचारी है. महकमों में सबसे ज्यादा खस्ता हालत नगरपालिका-पंचायतों (Nagar Palika and Panchayat) में दिखाई दे रही है. यहां पर अब कर्मचारियों के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है. वेतन ना मिलने पर 5-6 महीने उधार से काम चलाते हैं. वेतन आते ही उधार चुुकाते हैं. ऐसी स्थिति में वे हमेशा खाली हाथ रहते हैं. अब इस समस्या से जूझ रहे धार नगर पालिका के कर्मचारी हड़ताल का रुख करने वाले हैं.

 नए साल के साथ शुरू हो सकती है हड़ताल

आऊटसोर्स कर्मी ही नहीं बल्कि नगर पालिका में स्थायी और दैनिक कर्मियों को भी दो महीने से वेतन नहीं मिला है. तीसरा महीना समाप्ति की ओर बढ़ रहा है. परेशान इन कर्मचारियों को अभी फिलहाल सीएमओ निशिकांत शुक्ला ने 15 दिन में यानि 28 दिसंबर तक केवल एक या दो माह का वेतन देने का आश्वासन दिया है. वेतन ना मिलने पर कर्मचारियों का अगला कदम हड़ताल रहेगा यानी नववर्ष की शुरूआत हड़ताल के साथ हो सकती है. इससे नगर में स्वच्छता सहित संचालित अन्य व्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं.

शासन से मदद नहीं, चुंगी राशि में कटौती

धार नगरपालिका ही नहीं  जिले की अन्य नगरपालिका, पंचायतों में भी कर्मचारियों के वेतन के लाले पड़े हुए हैं. शासन से अतिरिक्त कोई मदद नहीं है. चुंगी क्षति से मिलने वाली राशि में भी कई महीनों से कटौती शुरू हो गई है. नगरपालिका को करीब 96 लाख रुपए चूंगी क्षतिपूर्ति के रूप में मिलते थे. अब यह राशि कटौती के बाद 72 लाख रुपये हो गई है. यह राशि भी पहले समय से पूर्व मिल जाती थी. लेकिन अब समय पर भी नहीं मिल पा रही है. नवंबर माह में कटौती के बाद मिलने वाली 72 लाख रुपये की राशि आधा दिसंबर बितने के बाद भी नहीं आई है. इसके कारण भी वेतन वितरण व्यवस्था गड़बड़ा गई है. चुंगी क्षति में कटौती की गई करीब 1 करोड़ 55 लाख रुपये की राशि भी शासन से नहीं मिली है. यह राशि भी मिलती है तो कर्मचारियों को कुछ हद तक राहत मिल सकती है. पत्र व्यवहार के बावजूद विभाग की और से राशि जारी करने में तेजी नहीं आई है.

खर्च बढ़े, आय  के स्त्रोत नहीं

नगरपालिका में करीब 1 करोड़ 40 लाख रुपए प्रतिमाह का वेतन बांटना होता है. वेतन वितरण में चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि ही मुुख्य है. इसमें कटौती से नगर पालिका की बैलेंस शीट बिगड़ गई है. वहीं कर्मचारियों की बढ़ती संख्या एवं अन्य खर्चों ने वित्तीय संतुलन बिगाड़ दिया है. बढ़ते खर्च की तुलना में निकाय के आय स्त्रोत नहीं बढ़े है. कम्पाउंडिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्य के माध्यम से राशि संग्रहित की जा सकती है, किंतु इसको लेकर ना लोगों की रुचि है और ना ही निकाय द्वारा सख्ती की जा रही है. इसके अतिरिक्त कर वसूली में भी सख्ती के बावजूद बकाया राशि का आंकड़ा बड़ा है. राज्य शासन से अतिरिक्त कोई मदद नहीं है. इस तरह की स्थिति में कर्मचारियों को महीनों तक वेतन नहीं देना ना सिर्फ श्रम नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मानसिक प्रताड़ित करना भी है.

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हड़ताल करना मजबूरी

मंगलवार को कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने सीएमओ निशिकांत शुक्ला से मुलाकात की. यह वह कर्मचारी हैं जिनका दो माह का वेतन बकाया है. सीएमओ ने 15 दिन में वेतन समस्या हल करने का आश्वासन दिया है, किंतु उन्होंने भी महज एक माह के वेतन की बात कही है. एक माह का वेतन 28 दिसंबर तक दिया जाएगा. दो दिन बाद दिसंबर का वेतन पुन: जुड़कर दो माह के बकाया में तब्दील हो जाएगा. सबसे मुख्य बात यह है कि इसमें सर्वाधिक परेशानी 170 आऊटसोर्स कर्मी है. इनका 8 महीने का वेतन अटका पड़ा है. कर्मचारियों ने 15 दिन के आश्वासन पर फिलहाल कामबंदी जैसा कोई कदम नहीं उठाया है, किंतु 15 दिन में वेतन ना मिलने पर हड़ताल जैसे कदम मजबूरी में उठाने का इशारा दिया है.

वेतन के लिए जनसुनवाई में आवेदन

 धार नगर पालिका की तरह जिले के अन्य निकायों में भी आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं है. धामनोद नगर पंचायत से स्थानांतरित होकर धार नगरपालिका में नव पदस्थ हुए सहायक राजस्व निरीक्षक ने मंगलवार को वेतन की मांग को लेकर जनसुनवाई में अपर कलेक्टर को आवेदन सौंपा है. आवेदन में बताया कि धामनोद से ट्रांसर्फर हो गया है, किंतु 6-7 महीने का वेतन बाकी है, जो नहीं दिया जा रहा है, टालमटोल कर रहे हैं. अधिकारियों ने आवेदन पढ़ा और आवेदन नगरपालिका में देने के लिए कहा. जहां से वह परेशान होकर जनसुुनवाई में पहुंचे थे.

रजिस्टर में दर्ज 700 से अधिक कर्मचारी

आऊटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति के मामले में भी कई निकायों में गड़बड़ी चल रही है. रजिस्टर में कर्मी नियुक्त हैं, किंतु फील्ड में दिखाई नहीं देते हैं. इनका सूक्ष्म परीक्षण जरूरी हो गया है. सिर्फ धार नगर पालिका में ही 700 के लगभग कर्मचारी कार्यरत हैं. इनमें 180 स्थाई कर्मचारी हैं, 120 विनियमित और 255 दैनिक वेतनभोगी कर्मी हैं. आऊटसोर्स कर्मियों की संख्या करीब 170 है.

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