BJP MLA Brij Bihari Pateriya- मध्य प्रदेश के सागर जिले के भाजपा विधायक बृज बिहारी पटेरिया (BJP MLA Brij Bihari Pateriya) ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेजा, हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने इसके लिए खेद भी व्यक्त किया और उनका इस्तीफा वापस हो गया. ये सब सियासी ड्रामा हुआ एक विरोध प्रदर्शन की वजह से. दरअसल, मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक परिवार से कथित तौर पर पैसे मांगने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए विधायक ने विरोध प्रदर्शन किया और बात यहां तक पहुंच गई कि उन्होंने विधायकी से इस्तीफा ही सौंप दिया.
देवरी विधायक बृज बिहारी पटेरिया ने गुरुवार रात एक पुलिस थाने के बाहर धरना दिया था. उसके कुछ समय बाद उन्होंने अपना आंदोलन वापस ले लिया. सागर के पुलिस अधीक्षक विकास साहवाल ने कहा कि विधायक ने रात 11 बजे से 12.30 बजे तक केसली थाने में विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन समाप्त कर दिया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. पटेरिया ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें निर्देश दिए और कहा कि उनकी मांगें जायज हैं और उन पर सहमति है.
‘इस्तीफा देने का खेद है...'
शुक्रवार को पीटीआई से बात करते हुए, पटेरिया ने कहा कि उन्हें इस्तीफा सौंपने पर खेद है, और उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह गुस्से और दुख में थे. उन्होंने कहा, "मैं बस एक गरीब आदमी की रिपोर्ट (डॉक्टर के खिलाफ) दर्ज कराना चाहता था. जांच करना और रिपोर्ट (एफआईआर) लिखना पुलिस का कर्तव्य है."
डॉक्टर पर कार्रवाई नहीं होने से नाराज हैं विधायक
विधायक ने कहा कि 70 वर्षीय व्यक्ति के परिवार ने एक डॉक्टर से मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा था, जिसमें कहा गया था कि उसकी मौत सांप के काटने से हुई है और उन्हें मुआवजा चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने प्रमाण पत्र जारी करने के लिए परिवार से 40,000 रुपये की मांग की. पटेरिया ने कहा कि सांप के काटने से मरने वाले व्यक्ति के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है.
उन्होंने दावा किया, "यह मजदूरों का परिवार है. उन्हें लगा कि उनके पिता की मौत के बाद वे मुआवजे के हकदार हैं. इस डॉक्टर ने सांप के काटने (मृत्यु प्रमाण पत्र में) लिखने के लिए 10 प्रतिशत, यानी 40,000 रुपये की मांग की. परिवार ने मृत सांप को भी अस्पताल में पेश किया." विधायक ने दावा किया कि परिवार ने 10,000 रुपये का इंतजाम किया, लेकिन डॉक्टर ने नहीं दिया. उन्होंने कहा, "इसलिए, मैं पुलिस स्टेशन के सामने बैठ गया और पुलिस अधीक्षक के वहां आने और टाउन इंस्पेक्टर को निलंबित करने की मेरी मांग को स्वीकार करने और डॉक्टर को निलंबित करने का आश्वासन देने के बाद मैंने धरना समाप्त कर दिया."
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