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MP में छात्रों की फीस से ऐसे भर रहा सरकारी खजाना, 'वन टाइम एग्जाम फीस' वाले वादे से इतनी दूरी क्यों ?

MP News In Hindi :  MP में परीक्षा और उसके परिणाम की गारंटी तो नहीं, लेकिन (ESB) का सरकारी खजाना जरूर भर रहा है, छात्रों की फीस से. ऐसे में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूर्व में दिया गया एक बयान चर्चा में आ गया. जानें इस पर कैंडिडेट्स और पक्ष-विपक्ष के नेता क्या बोल रहे हैं. फीस से सरकार कैसे अपना खजाना भर रही है. 

MP में छात्रों की फीस से ऐसे भर रहा सरकारी खजाना, 'वन टाइम एग्जाम फीस' वाले वादे से इतनी दूरी क्यों ?

Madhya Pradesh News:  एमपी में छात्रों को हर एक प्रतियोगी एग्जाम के लिए हर बार छात्र-छात्राओं को शुल्क जमा करनी पड़ती है. इससे जहां एक ओर कैंडिडेट्स के ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ता है. तो वहीं, दूसरी तरफ ESB के खजाने में बढ़ोतरी देखी जा रही है. कांग्रेस के विधायक के सावल पर सरकार ने विधानसभा में बताया कि 530 करोड़ रुपये परीक्षा शुल्क से आए हैं.  वहीं, 2016 से 2024 तक ESB ने कुल 112 परीक्षाएं आयोजित की है. जिसमें डेढ़ करोड़ से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किया. लेकिन कुछ हो या न हो पर बेरोजगार उम्मीदवारों की फीस से सरकारी तिजोरी जरूर भरती जा रही है.

वाह ! फीस के पैसे से सरकार बांट रही लैपटॉप-स्कूटी

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मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल पर सरकार ने बताया आंकड़ों के साथ 2016 से 2024 तक की प्रतियोगी परीक्षाओं की संख्या,  इसमें शामिल प्रतिभागियों की संख्या और शुल्क के रूप में ESB के खाते में आई धन राशि की जानकारी दी. वहीं, बताया गया कि सरकार को बेरोजगारों की फीस पर बैंक से 58. 52 करोड़ ब्याज के मिले हैं. 

परीक्षा फीस के पैसों से 297 करोड रुपए शिक्षा संचानालय को दिया गया. जिससे विद्यार्थियों को स्कूटी और लैपटॉप दिया जा सके. सरकार इसी से ही लैपटॉप-स्कूटी बांट रही है. चुनाव के पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज ने वन टाइम एग्जाम फीस का ऐलान किया था, लेकिन नई सरकार ने ये साफ कर दिया है कि राज्य में आयोजित हो रही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए शुल्क देना होगा. शैलेन्द्र मिश्रा 2014 से प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म भरने में 30,000 से ज्यादा खर्च कर चुके हैं. इनके कमरे में दुनियां लटकी है. वक्त के पाबंद हैं, जिसकी तस्दीक इनके कमरे से होती है. जमीन पर बिछे बिस्तर के बगल में रफ रजिस्टर का ढेर. यहीं बंधी रस्सी में कपड़े भी सूखते हैं. बगल में खाना भी बनता है.10 बाय 10 के इस किराये के कमरे में पन्ना जिले के तीन भाई रहते हैं. 2 प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं, जबकि बड़े भाई पर घर चलाने की जिम्मेदारी हैं.

'बड़ी मुश्किल से घर से खर्चा चल पाता है'

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कैंडिडेट्स ने कहा कि बड़े भाई भी सरकारी नौकरी के लिये तैयारी करना चाह रहे थे, लेकिन,अब उनके ऊपर लोड ज्यादा है. हम तीन भाई हैं. 5 हज़ार रेंट है. तीन लोगों का खर्चा है. बड़े भइया की इनकम 15 से 20 हज़ार है. इसमे भी क़िताब खरीदना है, रफ खरीदना है, खाना-पीना भी देखना है. रिजल्ट देरी से आते हैं,  व्यापमं अगर टाइम से रिजल्ट दे देता तो बेचारे बच्चे किसी और परीक्षा के तैयारी में समय दे दें. लेकिन रिजल्ट न आने के चलते अन्य परीक्षा नहीं दे पाते.

'क्वालीफाई भी किया लेकिन रिजल्ट अटक गया'

इंदौर की रहने वाली सोनाली पटेल 2019 से पुलिस भर्ती की तैयारी कर रही हैं. 2017 के बाद सब इंस्पेक्टर की वैकेंसी नहीं आई है. 2023 में कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए परीक्षा दी,क्वालीफाई भी किया लेकिन रिजल्ट अटक गया. 2024 में बड़ी मुश्किल से फिजिकल हुआ फ़ाइनल रिजल्ट अब मार्च 2025 में जारी हुआ.

'दूसरी तैयारी कैसे करेंगे'

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सोनाली पटेल कहती हैं कि 2 साल हो गए एक ही एग्जाम के पीछे इतना परेशान होंगे, तो दूसरी तैयारी कैसे करेंगे. कांस्टेबल की परीक्षा के पीछे अगर हम दो-दो तीन साल लगा देंगे. हम लोगों के घर वाले इतना प्रिपेयर नहीं है कि एक ही तैयारी के लिए 10 साल देंगे. घर वाले हमसे पूछते हैं कब आएगा रिजल्ट ? हम क्या बताएंगे हमको खुद ही नहीं पता रिजल्ट कब आएगा.

जानें क्या बोले थे शिवराज सिंह चौहान 

 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मध्यप्रदेश के तात्कालीन मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि अब केवल वन टाइम परीक्षा शुल्क देना होगा. शिवराज ने कहा था कि हमारे बच्चों को सरकारी नौकरियों के लिए अलग-अलग जगह फॉर्म भरने पड़ते हैं और परीक्षा शुल्क अलग-अलग लगता है. अब 5 नौकरियों के लिए आवेदन भरा और 400 परीक्षा शुल्क है, तो 2000 रुपये हो गया. अब केवल एक बार ही वन टाइम परीक्षा शुल्क जमा करना होगा. सब परीक्षाओं में सब इंटरव्यू में भाग ले सकेंगे. हर परीक्षा  हर नौकरी के लिये अलग-अलग शुल्क की जरूरत नहीं होगी.

जानें इस मामले पर क्या बोल रहे पक्ष और विपक्ष के नेता 

वहीं, प्रताप ग्रेवाल,विधायक कांग्रेस  कहते हैं कि मेरी सरकार से मांग है कि निःशुल्क परीक्षा आयोजित करे, और बढ़ती बेरोजगारी से बेरोजगारों और परीक्षार्थियों को राहत प्रदान करें. यह मेरी सत्ता में बैठे लोगों से और मुख्यमंत्री से मांग है. जबकि गौतम टेटवाल, (राज्य मंत्री कौशल विकास एवं रोजगार) ने कहा कि कांग्रेस सिंर्फ आरोप लगा रही है. आरोप के अलावा कुछ नही है, जिस गति से जिस प्रयास से भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही है. वह सामने दिखाई दे रहा है.

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दूर-दूर तक नहीं दिख रही राहत की उम्मीद

मध्यप्रदेश सरकार ने एक साल में एक लाख और पांच साल में कुल ढाई लाख पदों को भरने की घोषणा की है,परीक्षा में शामिल होने के लिए एक बार में 500 से 600 तक फीस देनी पड़ती है. यदि कोई अभ्यर्थी 5 परीक्षा में भाग लेता है, तो उसे 2500 तक परीक्षा फीस चुकानी पड़ सकती है. एक तरफ नौकरी न मिलने का तनाव, तो दूसरी तरफ परीक्षा फीस की मार झेल रहे अभ्यर्थियों को सरकार शायद अब दोबारा चुनाव के समय ही याद करें.

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